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Chinese Vaccine लगवाकर धोखा खा गए ये देश, नहीं थमी Corona की रफ्तार, अब Pfizer से शुरू किया Vaccination

Corona Vaccine : कोरोना की जंग में जिन देशों ने चीनी वैक्सीन (Chinese Vaccine) पर विश्वास किया था, अब उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।

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Newstrack NetworkPublished By Ashiki
Published on: 4 Jun 2021 3:42 PM IST
Chinese Vaccine
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कांसेप्ट इमेज (सौ. सोशल मीडिया )

Corona Vaccine : कोरोना की जंग में जिन देशों ने चीनी वैक्सीन (Chinese Vaccine) पर विश्वास किया था, अब उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। खासतौर पर बहरीन और सेशेल्स (Bahrain & Seychelles) सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। दोनों देशों ने अपने अधिकतर नागरिकों को चीनी वैक्सीन कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) सिनोवैक (sinovac) और सिनोफार्म (Sinopharm) लगवाई है, लेकिन इसके बावजूद भी जब कोरोना संक्रमण की रफ्तार नहीं थमी। इसके बाद अब दोनों देशों ने फाइजर (pfizer) की वैक्सीन लगवानी शुरू कर दी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक बहरीन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन (vaccination) के बावजूद कोरोना के मामलों में कमी नहीं आ रही थी। इसके बाद रिस्क ग्रुप में आने वाले नागरिकों को फाइजर और BioNTech SE की वैक्सीन की खुराक देने का काम शुरू किया गया। बहरीन स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव वलीद खलीफा अल मानिया ने बताया कि अब तक सिनोफार्म (Sinovac) वैक्सीन बहरीन के 60 फीसदी से अधिक लोगों को लगाई जा चुकी है।

दूसरी Vaccine की सलाह

अब गंभीर बीमारियों से पीड़ित, मोटापे के शिकार और 50 साल से अधिक उम्र वाले लोगों को छह महीने बाद फिर से Pfizer-BioNTech की वैक्सीन लगवाने के लिए अनुरोध किया गया है। साथ ही जिन लोगों ने अभी तक वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लिया है, उनके लिए अब Pfizer-BioNTech की वैक्सीन मुहैया कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि चीन की वैक्सीन का विकल्प अब भी उपलब्ध है, लेकिन जो संवेदनशील और उम्रदराज हैं, उन्हें फाइजर की वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जा रही है।


ऐसे बनती है Chinese Vaccine

आपको बता दें कि सिनोफार्म (Sinopharm) और सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड की वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मंजूरी मिल चुकी है। चीन के दोनों टीके निष्क्रिय वायरस से तैयार किए जाते हैं। यह वैक्सीन बनाने की पुरानी तकनीक है। वहीं, फाइजर-बायोएनटेक ने RNA को नियोजित करने वाली एक नई तकनीक से वैक्सीन तैयार की है।

गंभीर मामलों पर कितना प्रभावी? नहीं है Data

एक अध्ययन के मुताबिक सिनोफार्म सिम्पटोमेटिक मरीजों पर 78 फीसदी प्रभावी है। जबकि गंभीर मामलों में यह वैक्सीन कितनी उपयोगी है, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। साथ ही, इसका भी कोई डेटा नहीं दिया गया है कि सिनोफार्मा 60 से अधिक के लोगों के लिए कारगर है या नहीं।


दोनों Dose के बाद भी नहीं बनी एंटीबॉडी

वहीं, सर्बिया में सिनोफार्म को लेकर एक अन्य रिचर्स बताता है कि चीनी वैक्सीन की दो खुराक लेने के बावजूद 150 प्रतिभागियों में से 29% में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी (Antibodies) नहीं पाई गई। बेलग्रेड यूनिवर्सिटी में अध्ययन करने वाली डॉक्टर ओल्गिका जोकोविच ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि सिनोफार्मा वैक्सीन इम्युनिटी बनाने में पर्याप्त रूप से कारगर नहीं है। ऐसा लगता है कि इसका प्रभाव विशेष रूप से बुजुर्गों पर कम हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि सिनोफार्म के ट्रायल में शामिल 150 लोगों में से 10 कोरोना की चपेट में आने से बच नहीं सके।


Seychelles में 65% का वैक्सीनेशन

वहीं अगर सेशेल्स की बात करें तो यहां 65 फीसदी आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका है और अधिकांश को चीनी वैक्सीन दी गई है, लेकिन फिर भी कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब सेशेल्स का स्वास्थ्य मंत्रालय अपने नागरिकों को तीसरी खुराक दिलवाने पर विचार कर रहा है। बहरीन अपनी 47% आबादी का वैक्सीनेशन करा चुका है। वहीं अमेरिका में 41% और ब्रिटेन में 38% लोगों का टीकाकरण हो चुका है।



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Ashiki

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