Corona Vaccines: सरप्लस वैक्सीन ठिकाने लगा रहे अमीर देश

Corona Vaccines: अमीर देशों के लिए कोरोना वैक्सीनों का फालतू स्टॉक अब एक सिरदर्द बन गया है। अब उनके पास इतना स्टॉक है कि वह बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुका है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Chitra Singh
Published on: 14 July 2021 8:17 AM GMT
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कोरोना वैक्सीन (फोटो- सोशल मीडिया)

Corona Vaccines: अमीर देशों (Rich Countries) के लिए कोरोना वैक्सीनों (Corona Vaccines) का फालतू स्टॉक अब एक सिरदर्द बन गया है। जब वैक्सीनों का डेवलपमेंट शुरू हुआ था, तभी से अमीर देशों ने जम कर वैक्सीनों की खरीद के ऑर्डर दिए हैं। अब उनके पास इतना स्टॉक है कि वह बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुका है। दूसरी तरफ गरीब देशों में वैक्सीन की कमी बनी हुई है और वैक्सीनेशन (Vaccination) का काम रेंगते हुये चल रहा है।

जरूरत से ज्यादा वैक्सीनों की खरीद करने वाले देश अब सरप्लस स्टॉक (Surplus Stock) से छुटकारा पाने के उपाय ढूंढ रहे हैं। अमेरिका (America) में ये हाल है कि तमाम राज्यों ने वैक्सीन की सप्लाई लेने से मना कर दिया है। न्यूयॉर्क जैसे राज्य में वैक्सीनों को फेंकने की नौबत आ गई है। ये हाल फाइजर (Pfizer), मॉडर्ना (Moderna) और जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson) की वैक्सीनों का है।

इसके अलावा, अमेरिका ने अपने यहां एस्‍ट्राजेनेका (AstraZeneca) की करोड़ों डोज़ बनवा तो लीं, लेकिन इस वैक्सीन को एफडीए (FDA) की मंजूरी ही नहीं मिल सकी। ऐसे में पूरा स्टॉक जरूरतमंद देशों को भेजा जा रहा है। अमेरिका के जिस प्लांट में ये वैक्सीन बनी हैं, वहां कुछ गड़बड़ी हो गई और प्लान्ट बन्द करना पड़ा। पता चला कि वैक्सीनों के कुछ बैच काम लायक नहीं रह गए थे। बाद में अमेरिका ने इसी प्लांट में बनी वैक्सीनें मेक्सिको (Mexico) भेज दीं, लेकिन मेक्सिको ने उनको लेने से मना कर दिया। इस प्लांट में बनीं लाखों वैक्सीनें कोवैक्स (Covax) के जरिये बांटी जा रही हैं।

अमेरिका- वैक्सीन (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

अब जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के बारे में एफडीए ने चेतावनी दी है कि इस वैक्सीन से कुछ लोगों में गंभीर न्यूरोलॉजिकल शिकायतें हो सकती हैं, जिसमें चेहरे पर लकवा मार जाना शामिल है। अब पता चला है कि अमेरिका ने इस वैकें की 15 लाख डोज़ नेपाल भेज दी हैं। भले ही एफडीए की चेतावनी और अमेरिका के दान का आपस में कोई ताल्लुक न हो लेकिन एक सवाल जरूर खड़ा हो गया है।

इजरायल में फाइजर की वैक्सीनें

इजरायल (Israel) में वैक्सीनों का इतना स्टॉक हो गया है कि फाइजर की दस लाख खुराकें फेंकने की नौबत आ गई। घरेलू डिमांड बहुत कम थी और वैक्सीनों कि एक्सपायरी डेट जुलाई के अंत तक ही थी। इजरायल ने फलस्तीन और कुछ अन्य देशों को ये वैक्सीन देने की कोशिश की, लेकिन सबने मना कर दिया। अब इजरायल से ये वैक्सीन खरीदने को साउथ कोरिया तैयार हो गया है। दोनों देशों में ये डील हुई है कि 7 लाख डोज़ साउथ कोरिया ले लेगा, लेकिन जब उसे सितम्बर-अक्टूबर में फाइजर की सप्लाई मिलेगी तो उसे इजरायल ले लेगा।

फाइजर-इडराइल (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

रोमानिया के पास भी जखीरा

रोमानिया में भले ही वैक्सीनेशन की रफ़्तार बहुत तेज नहीं है लेकिन उसके बावजूद उसके पास वैक्सीनों का जखीरा जमा हो गया है। देश में अब तक सिर्फ 23 फीसदी लोगों का फुल वैक्सीनेशन हुआ है। रोमानिया के पास इतनी वैक्सीनें हो गईं हैं कि उसके स्टॉक में रखीं अस्ट्रा ज़ेनेका की 43 हजार खुराकें एक्सपायर हो गईं। अपने स्टॉक से छुटकारा पाने के लिए रोमानिया ने ऐलान किया है कि वह 12 लाख डोज़ डेनमार्क को और 10 लाख डोज़ आयरलैंड को बेच देगा।

रोमानिया जैसा हाल बुल्गारिया का है जो अब सरपल्स स्टॉक को दान में देने की सोच रहा है। बुल्गारिया को 46 लाख डोज़ मिली थीं लेकिन इस्तेमाल हो पाईं हैं सिर्फ 18 लाख डोज़। और सिर्फ 12 फीसदी जनसंख्या का वैक्सीनेशन हो पाया है। इन दोनों देशों में लोग वैक्सीन से कतरा भी रहे हैं।

अफ्रीकी देशों में बुरा हाल

अफ्रीकी देश एक तरफ ज्यादा वैक्सीन खरीदने की स्थिति में नहीं हैं और दूसरी तरफ जो वैक्सीनें दान में मिल रही हैं उनको लगाने की समुचित व्यवस्था नहीं है। अफ्रीकी देश लोगों में वैक्सीन के प्रति आनाकानी के साथ वैक्सीनेशन से जुड़ी लोजिस्टिक्स की समस्या से जूझ रहे हैं। इसका नतीजा ये है कि 18 अफ्रीकी देशों में आस्ट्रा ज़ेनेका की 12 लाख 50 हजार वैक्सीनें एक्सपायर होने के करीब हैं। डब्लूएचओ ने कहा है कि अगर अगस्त के अंत तक ये खुराकें नहीं लग पाईं तो इनको फेंक देना पड़ेगा।

एस्‍ट्राजेनेका-अफ्रीकी देशवासी (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

हांगकांग (Hong Kong) में सिनोवैक और फाइजर की 20 लाख से ज्यादा खुराकें गोदाम में पड़ी हुईं हैं और इनकी एक्सपाइरी तारीख नजदीक आती जा रही है।

छह महीने के बाद एक्सपायर

अधिकांश वैक्सीनें निर्माण के करीब 3 साल तक चलती हैं लेकिन कोरोना की वैक्सीन की शेल्फ लाइफ बहुत कम है। फाइजर, मॉडर्ना और आस्ट्रा ज़ेनेका की वैक्सीन की शेल्फ लाइफ 6 महीने है जबकि जॉनसन एंड जॉनसन 3 महीने में एक्सपायर हो जाती है। पिछले महीने जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने लाखों डोज़ के सरपल्स स्टॉक की शेल्फ लाइफ 6 हफ्ते और बढ़ा दी है। ये स्टॉक 10 जून को एक्सपायर होने वाला था। कनाडा ने भी मई महीने में आस्ट्रा ज़ेनेका वैक्सीन की एक्सपायरी डेट 30 दिन बढ़ा दी थी। शेल्फ लाइफ बढ़ाने का क्या गणित है ये स्पष्ट नहीं है।

Chitra Singh

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