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Corona Vaccine: वैक्सीनेशन के मामले में पिछड़ा रूस, वैक्सीनें बहुत, लेकिन लगवाने वाले नदारद

Corona Vaccine: वैक्सीनेशन के मामले में रूस बहुत पीछे रह गया है। स्थिति ये है कि रूस की 14 करोड़ 60 लाख आबादी में से मात्र 14 फीसदी को एक डोज़ लग पाई है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 28 Jun 2021 5:00 AM GMT
रूस में वैक्सीनें बहुत, लेकिन लगवाने वाले नदारद
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प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Corona Vaccine: अगस्त 2020 में रूस (Russia) दुनिया का पहला देश था जिसने कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने का दावा किया था। प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) ने नेशनल टेलीविजन पर इसकी घोषणा करते हुए कहा था कि उनकी एक बेटी ने वैक्सीन लगवा भी ली है। उस समय रूस कोरोना की वैक्सीन और वैक्सीनेशन (Vaccination) के मामले में बाकी दुनिया से आगे खड़ा दिखाई दे रहा था। लेकिन उसकी स्पूतनिक वैक्सीन के अप्रूवल के दस महीने बाद भी रूस में वैक्सीनेशन की दर लड़खड़ा रही है।

जिन देशों में वैक्सीन बड़ी मात्रा में उपलब्ध है, वैक्सीनेशन के मामले में ऐसे देशों की तुलना में रूस बहुत पीछे रह गया है। स्थिति ये है कि रूस की 14 करोड़ 60 लाख आबादी में से मात्र 14 फीसदी को एक डोज़ लग पाई है। तुलना करें तो अमेरिका में 53.5 फीसदी लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के प्रोजेक्ट आवर वर्ल्ड इन डेटा (Our World In Data) ने ये आंकड़ा पेश किया है।

रूस की योजना जून 2021 तक 3 करोड़ रूसी नागरिकों को वैक्सीन लगाने की थी। इसके लिए मुफ्त कारों से लेकर मुफ्त राशन देने तक के गिफ्ट घोषित किये गए लेकिन काम नहीं बना।

कोरोना वैक्सीन (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तीन वैक्सीनों को मंजूरी

रूस में बनी तीन वैक्सीनों को देश में लगाये जाने की मंजूरी मिली हुई है। जबकि रूस ने इनमें से एक - स्पूतनिक को तुर्की, भारत, ब्राज़ील समेत कई देशों को बेचा है। रूस में वैक्सीनों की अच्छी खासी सप्लाई है और स्पूतनिक के तो 91 फीसदी असरदार होने का दावा किया गया है।

बताया जाता है कि बहुत से रूसी लोगों को रूस में बनी वैक्सीनों पर भरोसा नहीं है और बहुत लोग ऐसे हैं जिनको कोरोना हो चुका है और उनको लगता है कि वैक्सीन लगवाने की कोई जल्दी नहीं है। नेचर पत्रिका में छपी एक स्टडी के अनुसार रूस के दूसरे सबसे बड़े शहर सेंट पीटर्सबर्ग (Saint Petersburg) में 45 फीसदी एडल्ट आबादी में कोरोना वायरस की एन्टीबॉडी (Corona Virus Antibodies) हैं यानी इतने लोग संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं।

पूर्व सोवियत संघ (Soviet Union) में वैक्सीनेशन (Vaccination) व्यापक रूप से स्वीकार्य रहा है लेकिन कम्युनिज़्म के पतन के साथ 90 के दशक में लोगों को एहसास हुआ कि उनके पास चयन करने का अधिकार है। और वे अपने बारे में निर्णय ले सकते हैं।

व्लादिमीर पुतिन (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सिर्फ दावा, साक्ष्य नहीं

पिछले साल पुतिन ने वैक्सीन के प्रति शुरुआत में उत्साह तो बहुत दिखाया लेकिन वैक्सीन के प्रभावी होने के बारे में कोई साक्ष्य नहीं पेश किया। उन्होंने खुद वैक्सीन लगवाई है इसका सिर्फ एक सरकारी बयान जारी हुआ, कोई फोटो जारी नहीं की गई।

बढ़ते गए केस

वैक्सीन लांच होने के बावजूद रूस में कोरोना के केस आउट मौतें तेजी से बढ़ती गईं। रूस सरकार ने कई बार मौतों की संख्या को संशोधित भी किया है। कोरोना संक्रमण धीमा पड़ने के बाद अब डेल्टा वेरिएंट (Corona Delta Variant) की वजह से फिर से केस बढ़ने लगे हैं। मास्को में सामने आए ताजा मामलों में 90 फीसदी डेल्टा वेरियंट के हैं। बीते शनिवार को 619 लोगों की मौत हुई जो 24 दिसंबर के बाद सबसे बड़ी संख्या है।

बढ़ते संक्रमण और वैक्सीनों के प्रति हिचकिचाहट के चलते अधिकारियों को वैक्सीनेशन के लिए इंसेंटिव की घोषणा करनी पड़ी है। मास्को में सरकारीअधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि वे अपने स्टाफ में कम से कम 60 फीसदी को वैक्सीन लगवाएं अन्यथा उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।

इसके अलावा मास्को में बार और रेस्तरां को आदेश दिया गया है कि वे सिर्फ उन्हीं लोगों को अनुमति दें जिनको वैक्सीन लग चुकी है। जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है उनको अस्पताल में सामान्य इलाज भी नहीं मिलेगा। सरकार की सख्ती की वजह से फर्जी वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट का बाजार भी खूब गर्म हो गया है।

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Shreya

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