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King Charles Coronation: सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक
King Charles Coronation: सम्राट चार्ल्स-तृतीय के आगामी 6 मई को होने वाले राज्याभिषेक में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उपस्थित रहेंगे। सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक उस वक्त हो रहा है जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भारत मूल के ऋषि सुनक हैं। सुनक की पत्नी भारत के प्रख्यात उद्योगपति एन. नारायणमूर्ति की सुपुत्री अक्षता हैं।
King Charles Coronation: भारत के मित्र और ब्रिटेन के नए बनने जा रहे सम्राट चार्ल्स-तृतीय के आगामी 6 मई को होने वाले राज्याभिषेक में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उपस्थित रहेंगे। सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक उस वक्त हो रहा है जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भारत मूल के ऋषि सुनक हैं। सुनक की पत्नी भारत के प्रख्यात उद्योगपति एन. नारायणमूर्ति की सुपुत्री अक्षता हैं। यह भी मानना होगा कि दोनों देशों के आपसी संबंधों को मज़बूत रखने में ब्रिटेन में बसे हुए 15-16 लाख प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका तो रही ही है।
इनमें अफ्रीकी और कैरिबियाई देशों से आकर बसे भारतीय मूल के लोग भी हैं। ये सब ब्रिटेन और भारत के बीच एक पुल का काम कर रहे हैं। प्रवासी भारतीय ब्रिटेन में हर क्षेत्र में मौजूद हैं। अब चाहे वो व्यापार, राजनीति, खेल का क्षेत्र हो या कोई और, इन्होंने सबमें एक मुक़ाम हासिल किया है। एक खास बात यह भी है कि ब्रिटेन ने आपसी संबंधों को बेहतर करने लिए ज़्यादातर प्रवासी भारतीयों को ही राज पाट में शामिल कर रखा है। प्रिंस से किंग बने चार्ल्स पहली बार 1975 में भारत आए थे। गुजरे दशकों से जिन्हें सब प्रिंस चार्ल्स के रूप में जानते थे, वे अब हो रहे हैं किंग चार्ल्स तृतीय।
वे भारत के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन के साथ पहली बार 2 मई, 1975 को नई दिल्ली आए थे। वे तब पूरी तरह से युवा थे। उनकी उम्र मात्र 22 साल थी। उनका पालम एयरपोर्ट पर तब के उपराष्ट्रपति बी.डी.जत्ती ने स्वागत किया था। वे राष्ट्रपति भवन में ही ठहरे थे। उनकी उस यात्रा की एक छोटी सी फिल्म यूट्यूब पर भी उपलब्ध है। उसमें लार्ड माउंटबेटन राष्ट्रपति भवन के बारे में प्रिंस चार्ल्स को इशारों से जानकारी दे रहे हैं। इसी राष्ट्रपति भवन में लार्ड माउंटबेटन भारत के अंतिम वायसराय के रूप में 12 फरवरी ,1948 से 15 अगस्त , 1947 और भारत के पहले गवर्नर जनरल के रूप में 21 जून , 1948 तक रहे थे।
इसलिए जाहिर है, उन्हें राष्ट्रपति भवन के भूगोल और वास्तुकला की जानकारी थी। इस बीच, भारत और ब्रिटेन के बीच संबंधों का एक पूरा इतिहास रहा है। यह सारा देश जानता है। वर्ष 2004 में द्विपक्षीय संबंध में जो रणनीतिक साझेदारी विकसित हुई उसे सभी सरकारों द्वारा और मज़बूत ही किया गया। आज भारत एक परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है, जिसका परिणाम ब्रिटेन के पक्ष में हो सकता है। भारत पहले से ही क्रय शक्ति समता विनिमय दरों के हिसाब से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर खड़ा है और आने वाले दशकों में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
निश्चित रूप से किंग चार्ल्स ही यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके देश की सरकार आगे भी भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाकर रखे। वे निकट भविष्य में भारत का दौरा भी अवश्य करेंगे। भारत सरकार की तरफ से उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी मिलेगा ही। वे तब राजधानी में दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के सेंट जॉन वोकेशनल सेंटर की गतिविधियों को भी देखना चाहेंगे। वे पिछली बार जब दिल्ली आए थे, वे तब ब्रिटेन के प्रिंस थे। तब वे सेंट जॉन वोकेशनल सेंटर की गतिविधियों को भी देखने पहुंचे थे।
यहां पर समाज के कमजोर तबकों से जुड़े सैकड़ों नौजवानों के लिए एयरकंडीशनिंग, मोटर मैक्निक, ब्यूटिशियन, कारपेंटर, टेलरिंग वगैरह के कोर्स चलाए जाते हैं। उस वक्त, उन्होंने सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे बहुत से नौजवानों से बात भी की थी और संतोष जताया कि यहां से प्रशिक्षित नौजवान जीवन में अपने लिए जगह बना रहे हैं। दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के सदस्य मोनोदीप डेनियल ने बताया कि प्रिंस चार्ल्स ने वादा किया था कि वे ब्रदरहुड सोसायटी के बाकी प्रोजेक्ट्स को आगे की यात्राओं में देखेंगे। दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के संस्थापकों में गांधी जी के परम सहयोगी दीन बंधु सीएफ एंड्रयूज थे।
उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ाया भी था। वे दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी से 1916 में मिले थे। उसके बाद दोनों घनिष्ठ मित्र बने। उन्होंने 1904 से 1914 तक सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ाया। उन्हीं के प्रयासों से ही गांधी जी पहली बार 12 अप्रैल-15 अप्रैल, 1915 को दिल्ली आए थे। सम्राट चार्ल्स की मां राजकुमारी एलिजाबेथ 1997 में अपने भारत दौरे के समय दिल्ली आईं थीं। वह तब दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के राजनिवास मार्ग पर स्थित ब्रदर्स हाउस भी गईं थीं। वहां पर उन्होंने उन पादरियों से मुलाकात भी की थी जो अविवाहित रहते हुए दीन-हीनों की सेवा में भी लगे हुए हैं।
इस बीच, मौजूदा जी-20 देशों के मंच का अध्यक्ष भारत चाहेगा कि उसे आगामी सितंबर में होने वाले शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन में ब्रिटेन का भरपूर साथ और समर्थन मिले। भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। इसके अलावा, भारत के विभिन्न शहरों में जी-20 से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।भारत में ब्रिटेन के राजदूत एलेक्जेंडर एलिस ने हाल ही में कहा भी है कि भारत में दुनिया की कई बड़ी समस्याओं को सुलझाने की क्षमता है। जी-20 की अध्यक्षता करते हुए भारत के पास मौका है कि वह दुनिया को नया और आधुनिक भारत के दर्शन कराए।
दरअसल भारत-ब्रिटेन विभिन्न क्षेत्रों में मिल-जुलकर काम कर रहे हैं। भारत दिसंबर 2022 से लेकर 30 नवंबर 2023 तक जी20 देशों की अध्यक्षता कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 के लिए अपना एजेंडा समावेशी, महत्वकांक्षी और एक्शन आधारित बताया है। जी20 के दौरान भारत के मॉडल को दूसरे देशों के सामने रखा जा सकता है, खासकर विकासशील देशों के सामने। एक बात और नोट करने लायक है कि ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का लगातार समर्थन किया है। यकीन मानिए कि इस बिन्दु पर ब्रिटेन के समर्थन से भारत को लाभ होगा। (लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)