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Wuhan: दुनिया के इन देशों में भी हैं वुहान की तरह खतरनाक प्रयोगशालाएं
कोरोना महामारी के प्रसार को देखते हुए चिंता का विषय है कि पूरी दुनिया में वुहान जैसी 59 प्रयोगशालाएं हैं जिससे वायरस फैलने जैसे हादसों का खतरा बढ़ रहा है।
Wuhan city of China: पूरी दुनिया इस समय कोरोना की महामारी से पश्चिमी देशों में ये मुद्दा इन दिनों जोर-शोर से उठा है कि क्या कोविड-19 वायरस चीन में वुहान की एक प्रयोगशाला से लीक होकर सारी दुनिया में फैला? अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने देश की खुफिया एजेंसियों को इस बारे में 90 दिन के अंदर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। लेकिन वैज्ञानिकों के एक पक्ष का कहना है कि वायरस के बारे में अनुसंधान दुनिया भर में चलते हैं। वहां हादसे भी होते रहते हैं। इसलिए अगर ऐसा वुहान में भी हुआ होगा, तो उसे महज एक दुर्घटना ही समझा जाना चाहिए।
ब्रिटिश अखबार द फाइनेंशियल टाइम्स ने शुक्रवार को छापी गई एक खबर में बताया गया है कि दुनिया में कम से कम ऐसी 59 प्रयोगशालाएं या तो इस समय मौजूद हैं या बन रही हैं। वहां खतरनाक जैविक अनुसंधान किए जाते हैं या भविष्य में किए जाएंगे।
इन देशों में भी हैं खतरनाक प्रयोगशालाएं
इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में ऐसी प्रयोगशालाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक अभी मौजूद या बन रही प्रयोगशालाएं 23 देशों में हैं, जिनमें ब्रिटेन, अमेरिका, चीन, भारत, गैबॉन, और आइवरी कोस्ट शामिल हैं। वुहान की प्रयोगशाला भी इन्हीं 59 प्रयोगशालाओं में एक है।
जॉर्ज मैसॉन यूनिवर्सिटी में बायोडिफेंस के प्रोफेसर ग्रेगरी कोबलेन्त्ज और लंदन स्थित किंग्स कॉलेज में प्रोफेसर फिलिपा लेंतोज ने इन प्रयोगशालाओं के बारे में अध्ययन किया है। उनका कहना है कि जिन 42 प्रयोगशालाओं के बारे में आंकड़े मौजूद हैं, उनमें से आधी पिछले एक दशक में तैयार हुई हैं।
लेन्तोज ने यह भी कहा कि 'इस तरह के जितने काम हो रहे हैं, उतने अधिक हादसे होंगे।' अमेरिका की रुटगर्स यूनिवर्सिटी में केमिकल बायोलॉजी के प्रोफेसर रिचर्ड एब्राइट ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा- 'जितने अधिक संस्थान होंगे और जितने अधिक संख्या में व्यक्ति उन खतरनाक जीवाणुओं के संपर्क में आएंगे, खतरा उतना ज्यादा बढ़ेगा।'
विश्लेषज्ञों का कहना है कि वुहान प्रयोगशाला के बारे में जांच से चाहे जो निष्कर्ष निकले, लेकिन यह साफ है कि कोविड-19 महामारी ने वायरस रिसर्च पर दुनिया का ध्यान केंद्रित कर दिया है। अब तक ऐसे अनुसंधान की अंतरराष्ट्रीय निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
सेफ्टी लेवल 4 के तहत चल रही हैं 59 प्रयोगशालाएं
कोबलेन्त्ज और लेन्तोज ने ध्यान दिलाया है कि 59 प्रयोगशालाएं सेफ्टी लेवल 4 के तहत चल रही हैं, लेकिन उनमें एक चौथाई में ही उच्चस्तरीय बायोसिक्युरिटी संबंधी व्यवस्था है। एक तिहाई में ऐसी व्यवस्था मध्यम दर्जे की है, जबकि 41 प्रतिशत में निम्नस्तरीय तैयारी है।
कुछ समय पहले अमेरिकी पत्रिका न्यूयॉर्क मैगजीन में छपे एक लंबे विश्लेषण में बताया गया था कि इस बात की काफी संभावना है कि वुहान में संक्रमण प्रयोगशाला से फैला हो। ऐसी घटनाएं दुनिया की दूसरी वायरस संबंधी प्रयोगशालाओं में भी हो चुकी हैं।
अमेरिका की प्रयोगशाला में 67 प्रकार के टॉक्सिन और खतरनाक सामग्रियां हैं
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका का स्वास्थ्य विभाग और सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की निगरानी में 67 प्रकार के टॉक्सिन और संभावित खतरनाक सामग्रियों का इस्तेमाल प्रयोगशालाओं में होता है। 2019 की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि अमेरिका में 13 बार ऐसे पदार्थ गायब हो गए और 219 बार वे लीक हुए। यह सिर्फ संयोग की बात थी कि उनसे कोई बीमार नहीं हुआ।
चीन ने वुहान प्रयोगशाला में खुलापन और पारदर्शिता नहीं बरती गई
कई वैज्ञानिकों ने कहा है कि चीन ने वुहान प्रयोगशाला की अंतरराष्ट्रीय जांच के प्रति जैसी अनिच्छा दिखाई, उससे वहां मौजूद किसी समस्या का शक हुआ। लेन्तोज ने कहा कि 'हमने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के बारे में अब तक यही देखा है कि वहां क्या काम होता है, इस बारे में खुलापन और पारदर्शिता नहीं बरती गई है। लेकिन जब आप इस तरह की प्रयोगशालाएं बनाते हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि वहां पूरी पारदर्शिता से काम हो।'