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दुनिया की ऐसी खास जगह, जहां नहीं है लोगों को कोरोना का डर

कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया के करीब 164 देशों में अपना पैर पसार चुका है। इस वायरस से 8 हजार से ज्यादा लोग मर चुके हैं और 2 लाख से ज्यादा लोग बीमार है।

Roshni Khan
Published on: 19 March 2020 6:08 AM GMT
दुनिया की ऐसी खास जगह, जहां नहीं है लोगों को कोरोना का डर
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया के करीब 164 देशों में अपना पैर पसार चुका है। इस वायरस से 8 हजार से ज्यादा लोग मर चुके हैं और 2 लाख से ज्यादा लोग बीमार है। लेकिन दुनिया में अब भी ऐसी जगह है, जो इस वायरस से बची हुई है। आपको बता दें कि यहां किसी भी तरह की बीमारी का असर नहीं होता। क्योंकि यहां हेल्थ स्टेबलाइजेशन प्रोग्राम कई सालों से बेहतरीन काम कर रहा है।

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने बताया ये

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने कहा है कि दुनिया की इस सबसे सुरक्षित जगह कभी कोई बीमार नहीं पड़ता। यहां सिर्फ एक बार एक आदमी को जुकाम हुआ था। वह भी 52 साल पहले। इस जगह का नाम है है अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS)।

NASA ने बताया कि, अभी अंतरिक्ष में किसी एस्ट्रनॉट को भेजने से पहले हम उसे 10 दिन तक मेडिकल जांच में रखेंगे। ताकि, स्पेस स्टेशन पर कोरोना वायरस का संक्रमण न हो। नासा मई में स्पेस-एक्स के रॉकेट से अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन भेजेगा।

NASA ने बताया कि कैसे उन्होंने स्पेस स्टेशन को बीमारियों से दूर रखा है। NASA के पास स्पेस स्टेशन को सुरक्षित रखने की टेक्नोलॉजी का नाम है हेल्थ स्टेबलाइजेशन सिस्टम। इस सिस्टम के लगने के बाद स्पेस स्टेशन पर रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स अपनी सेहत की निगरानी रख सकते हैं।

1968 में हुए अपोलो-7 मिशन से मिला आईडिया

1968 में हुए अपोलो-7 मिशन के दौरान वैली शीरा को नॉर्मल कोल्ड हो गया था। लेकिन इसकी वजह से उनके साथी वॉल्टर कनिघंम और डॉन एफ। ईसल को काफी दिक्कत हो रही थी। वैली जब भी छींकते उनके नाक से निकलने वाला पानी स्पेसशिप में तैरता। ये पानी बाकी दो एस्ट्रोनॉट्स को परेशान करते थे।

इसके बाद, NASA ने फैसला लिया कि वो स्पेस स्टेशन पर ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करेगा, जिससे कोई बीमार ही न हो। किसी भी एस्ट्रोनॉट को किसी भी तरीके का संक्रमण न हो। NASA ने स्पेस स्टेशन पर डॉक्टर भेजने शुरू किए।

स्पेस स्टेशन पर दशकों पहले कोई बीमार होता था तो उसे क्वारंटाइन कर दिया जाता था। वहां उसे स्लीपिंग बॉक्स या कैपसूल में कैद कर दिया जाता था। उसका वहीं इलाज होता था। जब वो ठीक हो जाता था तब उसे वापस काम पर लगाया जाता था।

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इस स्पेस स्टेशन को टाइम-टाइम पर सैनिटाइज किया जाता है। इसके लिए भी स्पेस स्टेशन पर ही मशीनें और केमिकल रखे रहते हैं। यहां जरूरत पड़ने पर बस एक बटन दबाते ही पूरा स्पेस स्टेशन सैनिटाइज हो जाता है।

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Roshni Khan

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