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Coronavirus: कोरोना की उत्पत्ति और वुहान लैब लीक थ्योरी, कई सवालों के जवाब चाहती है दुनिया

जी-7 के सात बड़े नेता भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की अगुवाई में कोरोना वायरस मामले में एक नई और पारदर्शी जांच चाहते हैं।

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Newstrack NetworkPublished By Ashiki
Published on: 12 Jun 2021 10:13 AM IST
Monoclonal Antibody Therapy
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कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया

नई दिल्ली: पिछले डेढ़ साल से पूरी दुनिया कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर झेल रही है, लेकिन इस जानलेवा वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई? इस बारे में जानने के लिए अमेरिका एक नई जांच की मांग को आगे बढ़ा रहा है। इसमें यह भी शामिल है कि क्या कोरोना वायरस वुहान लैब (Wuhan Lab) से लीक हुआ। अमेरिका (America) की मांग के बाद सवाल उठने लगा है कि चीन (China) ने अब तक क्या छुपा रखा है। जी-7 के सात बड़े नेता भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की अगुवाई में कोरोना वायरस मामले में एक नई और पारदर्शी जांच चाहते हैं। ब्लूमबर्ग ने जी-7 के ड्राफ्ट स्टेटमेंट के हवाले से जानकारी दी है। कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने इंटेलिजेंस एजेंसियों को कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए 90 दिनों का वक्त दिया था। और कहा था कि कोरोना मामले पर चीन के लिए चिन्हित सवालों के साथ आएं।

वहीं बीजिंग कह चुका है कि कोरोना वायरस लैब से लीक नहीं हुआ है, चीनी अधिकारी अपनी दलीलों में WHO की रिपोर्ट के हवाले से वायरस को प्राकृतिक बताते रहे हैं। हालांकि WHO के डायरेक्टर जनरल तेद्रोस अधनोस घेब्रेयेसस ने कहा कि लैब लीक थियरी मामले में आगे की जांच के लिए वह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सितंबर 2019 के बायोलॉजिकल सैंपल सहित पूर्ण डाटा मिलने से वैज्ञानिकों को आसानी होगी। यूरोपियन यूनियन ने भी ऐसी ही मांग की है। आइए जानते हैं कि नई जांच में किन मुद्दों पर तहकीकात होनी चाहिए -


वुहान लैब में रिसर्च पर जांच

अब तक का सबसे बड़ा सवाल ये है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी में किस तरह का काम हो रहा था? शोधकर्ताओं को वुहान लैब के सभी आइसोलेट कोरोना वायरस और जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा नहीं मिला है। साथ ही लॉग बुक और रिसर्च से जुड़े रिकॉर्ड्स भी नहीं मिले हैं। सवाल ये भी है कि क्या वुहान लैब में गेन ऑफ फंक्शन रिसर्च भी हो रही थी?

वुहान लैब में काम करने वालों का मेडिकल रिकॉर्ड

हाल में कुछ रिपोर्ट्स में अमेरिकी इंटेलिजेंस के हवाले से कहा गया था कि नवंबर 2019 में वुहान लैब के तीन रिसर्चर्स बीमार पड़ गए थे, उनमे कोरोना के लक्षण थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन सरकार ने दक्षिण पश्चिमी चीन स्थित एक कॉपर माइन में लोगों के आने जाने पर पाबंदी लगा दी थी। वुहान लैब ने 2012 में इस माइंस से कोरोना वायरस के सैंपल लिए थे, जिसके बाद 6 खननकर्मी "रहस्यमयी" सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित पाए गए थे।


वुहान मार्केट से जुड़े दस्तावेज

चीन का दावा है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक तौर पर पैदा हुआ है, लेकिन जांच के लिए वुहान गई WHO की टीम को इस बारे में पूरे रिपोर्ट नहीं मिले कि सी फ़ूड मार्केट में कौन-कौन से जानवर बेचे जा रहे थे। चीन उन सबूतों को भी पेश करने में नाकाम रहा, जिनसे इस बात की पुष्टि हो सके कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैला है। WHO टीम ने चमगादड़ों के साथ अन्य जंगली जानवरों की सैंपलिंग करने और आगे जांच के लिए कहा था।



Ashiki

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