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Coronavirus: वुहान की लैब से निकला था कोरोना वायरस, सबूतों से हुआ साफ

Coronavirus: कोविड-19 वुहान की लैब से ही निकला है, इसके सबूत मिल गए हैं। दुनिया के दो प्रख्यात वैज्ञानिकों ने दावा किया कि चीन ने ही वायरल तैयार किया है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shivani
Published on: 30 May 2021 4:18 AM GMT (Updated on: 31 May 2021 10:16 AM GMT)
Wuhan lab leak
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चीन की लैब (फोटो सोशल मीडिया)

Coronavirus: कोरोना वायरस पर अब चीन (China) बुरी तरह फंस गया है। पहले से शक था कि महामारी फैलाने वाला ये वायरस चीन (Covid-19 origin) ने बनाया है लेकिन अब इसके पुख्ता सबूत सामने आ रहे हैं। दुनिया के दो प्रख्यात वैज्ञानिकों ने सबूतों (Study Claims) के साथ कहा है कि वुहान की लैब (Wuhan Lab Leak) में वायरस तैयार किया गया।

ब्रिटिश वैज्ञानिक प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नॉवे के वैज्ञानिक डॉ. बिर्गर सोरेनसेन ने सभी पहलुओं की पड़ताल के बाद कहा है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की बायो सेफ्टी लेवल-4 लैब में ही कोरोना वायरस के मूल स्वरूप को बदल कर उसे अत्यधिक संक्रामक बनाया गया है।
डेली मेल की एक खबर के अनुसार दोनों वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में कहा है कि जब महामारी फैल गई तो चीनी वैज्ञानिकों ने सबूत मिटाने का काम किया। चीनी वैज्ञानिकों ने रिवर्स-इंजीनियरिंग के जरिए वायरस को बदलने की कोशिश की, ताकि ऐसा लगे कि ये वायरस चमगादड़ से विकसित हुआ है।
वैज्ञानिकों ने लिखा है कि उनके पास पिछले एक साल से भी अधिक समय से चीन में वायरस बनाने के सबूत हैं लेकिन वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और प्रमुख साइंटिफिक पत्रिकाओं ने इसे नजरअंदाज कर दिया और ये स्टडी कहीं छप नहीं सकी।

प्रोफेसर डल्गलिश लंदन में सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी में कैंसर रिसर्च के प्रोफेसर हैं जबकि डॉ सोरेनसेन एक वायरोलॉजिस्ट और इम्यूनोर नामक कंपनी के अध्यक्ष हैं, जो कोरोना की वैक्सीन तैयार कर रही है। डॉ सोरेनसेन ने ही एचआईवी की वैक्सीन डेवलप की थी।
इन वैज्ञानिकों ने कहा है कि वुहान लैब में जानबूझकर डाटा को नष्ट किया गया, इसे छिपाया गया और गायब कर दिया गया। जिन वैज्ञानिकों ने आवाज उठाई, उन्हें चीन ने या तो चुप करा दिया या फिर गायब कर दिया।
प्रोफेसर डल्गलिश और डॉ सोरेनसेन ने लिखा है कि वे जब वैक्सीन बनाने के लिए कोरोना के सैंपल्स का अध्ययन कर रहे थे, तब उनको वायरस में एक 'खास फिंगरप्रिंट' मिला। उन्होंने देखा कि वायरस की संरचना ऐसी थी जो प्राकृतिक रूप से संभव नहीं है। जिस तरह उसमें चार चार स्पाइक प्रोटीन थे वो सिर्फ लैब में वायरस के साथ छेड़छाड़ करने के बाद ही संभव है।

चीन की घेराबंदी

अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प समेत दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्ष शुरू से ही यह शक जताते रहे हैं कि कोरोना वायरस को चीन के वुहान शहर की प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। डब्ल्यूएचओ की एक जांच टीम ने भी वायरस की उत्पत्ति पर गोलमोल रिपोर्ट दी थी। पहले तो फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी चीन पर उंगली उठाने वाली बातों को नकार रहे थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। फेसबुक ने कहा है कि वह वायरस को लेकर चीन पर शक करने संबंधी सामग्री को नहीं हटाएगा। अमेरिका के टॉप वैज्ञानिक डॉ एंथोनी फौची का भी रुख बदल गया है। ट्रम्प के समय वो वुहान लैब की थ्योरी को नकारते थे लेकिन अब वो कह रहे हैं कि वायरस का लैब से निकलने की बाद सच हो सकती है।

डब्लूएचओ के चीफ ने कहा है कि वुहान लैब की जांच करने की जरूरत है। अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन ने तो खुफिया एजेंसियों को 90 दिन के भीतर वायरस का रहस्य खोलने का आदेश दे दिया है। और तो और, वामपंथी झुकाव वाला अमेरिका का मेनस्ट्रीम मीडिया भी अब चीन पर संदेह जताने लगा है।

लीक हुआ या जानबूझकर फैलाया

जिस तरह के हालात बन रहे हैं और जो सबूत निकल कर आये हैं उनके बाद एक ही सवाल का जवाब पाना बाकी रह जाता है - कोरोना वायरस गलती से लैब से लीक हो गया या इसे जानबूझकर बाहर फैलाया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस पर सीक्रेट शोध किया जा रहा था और इसी क्रम में वायरस गलती से लीक हो गया।
Shivani

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