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Coronavirus: कुत्तों से भी फैल रहा है कोरोना, मलेशिया में मिला पहला केस

मलेशिया में निमोनिया से पीड़ित बच्चे में जिस वायरस के लक्षण मिले हैं, वह कुत्तों में पाया जाता है।

Deepika Jaiswal
Written By Deepika JaiswalPublished By Dharmendra Singh
Published on: 22 May 2021 6:06 PM GMT
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कुत्तों को कोरोना की जांच अस्पताल लेकर पहुंची महिला (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

Coronavirus:पूरी दुनिया पर कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस का कुत्तों से कैसा रिश्ता है। मलेशिया में निमोनिया से पीड़ित बच्चे में जिस वायरस के लक्षण मिले हैं, वह कुत्तों में पाया जाता है। इससे वैज्ञानिक हैरत में है । वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह आठवें किस्म का नया कोरोनावायरस है जो कुत्तों में पाया जाता है। शोध पत्रिका क्लीनिकल इनफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में यह जानकारी दी गई है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, नए किस्म के कोरोना वायरस का अस्तित्व कुत्तों में मिला है, हालांकि यह कोई गंभीर बीमारी के लक्षण नहीं उत्पन्न करता है। लेकिन फिर भी जानवरों से संबंधित वायरस की वजह से बनने वाली बीमारियों पर निगरानी करने की और शोध करने की आवश्यकता है। इसकी सबसे पहले पुष्टि मलेशिया में 2018 हुई थी, जब निमोनिया से ग्रसित बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान बच्चे के शरीर में कैनाइन वायरस के लक्षण दिखाई दिए, जो कि कुत्तों में पाया जाता है। वैज्ञानिक इस कैनाइन वायरस पर शोध कर रहे हैं। यदि यह साबित हो जाता है कि यह वायरस मानव रोगजनक है, तो यह आठवें किस्म का कोरोना वायरस होगा और यह पहला कैनाइन वायरस बनेगा जो कि इंसानों में बीमारी पैदा करता है।
हालांकि शोधकर्ता अभी कुछ भी स्पष्ट कहने में असमर्थ हैं कि यह वायरस मानव के लिए खतरा है या नहीं। लेकिन अध्ययन से पता चलता है कि निमोनिया वायरस के कारण नहीं हुआ है जो कि आसानी से मानव के संपर्क में आने पर फैल सकता है। लेकिन यह खोज, जोकि पत्रिका Clinical Infectious Diseases में प्रकाशित हुआ था के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें जानवरों में पाए जाने वाले वायरसों के शोध करने की आवश्यकता है, जोकि आसानी से जानवरों से मनुष्यों में फैल जाते हैं।

शोध करने की तीव्रता और संख्या को और भी बढ़ाना चाहिए

डॉ. ग्रेगरी ग्रे, जोकि ड्यूक विश्वविद्यालय के एक संक्रामक रोग महामारी रोग विशेषज्ञ होने के साथ इस वायरस पर होने वाले अध्ययन पर लिखने वाले लेखकों में से एक है, ने कहा है कि, "मुझे लगता है कि ये चीजें शायद पूरी दुनिया में हो रही हैं, जहां लोग जानवरों के संपर्क में आते हैं, विशेष रूप से तीव्र संपर्क, और हम उन बीमारियों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, अगर हम इन वायरस की तलाश शीघ्रता से कर लेते हैं, तो इस प्रकार के वायरस मानव के शरीर का उपयोग नहीं कर सकेंगे। इससे पहले कि यह वायरस कोई महामारी का रूप ले, इससे बचने के लिए हमें शोध करने की तीव्रता और संख्या को और भी बढ़ाना चाहिए।
इसके अलावा वर्तमान समय में मनुष्य को संक्रमित करने वाले 7 मुख्य कोरोना वायरस मौजूद हैं। इसमें सबसे प्रमुख SARS-CoV-2 कोरोना वायरस है जोकि कोविड-19 का कारण बना है। इसके अतिरिक्त SARS, MERS और सर्दी जुखाम जैसे वायरस आसानी से एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य को संक्रमित करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि मुख्यता इस प्रकार के वायरस चमगादड़ से उत्पन्न हुए हैं जो कि मनुष्य के सीधे संपर्क में आते हैं या फिर जानवरों के शरीर से मनुष्य तक पहुंचते हैं।
हालांकि कई दशकों से वैज्ञानिकों को पता है कि कुत्तों में कैनाइन वायरस बीमारी का कारण बन सकता है। लेकिन अभी तक इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है कि कैनाइन वायरस मनुष्य को भी संक्रमित कर सकता है। वैज्ञानिक अभी भी यह निश्चित नहीं कर पा रहे हैं कि कोरोना वायरस कुत्तों से फैला है या कुत्ते इस वायरस से संक्रमित हुए हैं।

लैब में जांच करतीं शोधकर्ता (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)


वायरस से कुत्ते और बिल्ली दोनों ही संक्रमित हो सकतें हैं

डॉ ग्रे के अनुसार, इस वायरस का संक्रमण शायद कुत्तों से ही हुआ है, लेकिन इस बात का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। इस संक्रमण का कारण कुत्ता है। हालांकि इस वायरस से कुत्ते और बिल्ली दोनों ही संक्रमित हो सकतें हैं।
इसमें महामारी के आने के बाद इस नई शोध की शुरुआत हुई थी जिसमें डॉक्टर ग्रे ने डॉक्टरेट कर रही छात्र Leshan Xiu, से ऐसे यंत्र के निर्माण करने को कहा जो सभी प्रकार के वायरस का पता लगाने के साथ ही,उन वायरस का पता लगा सके, जिन्हें अभी तक वैज्ञानिक भी नहीं जानते हो। डॉ ग्रे ने एक नई तकनीक का प्रयोग किया जो कि the gold-standard P.C.R. test से अलग था। यह कोविड-19 से संक्रमित व्यक्तियों पर किया जाता है। डॉ ग्रे ने उन 301 लोगों में से कुछ पुराने रोगियों के नमूनों का विश्लेषण किया जिन्हें नासॉफिरिन्जियल स्वैब था और जिन्हें 2017 और 2018 में मलेशिया के सरवाक में निमोनिया के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच के लिए गए नमूनों में से आठ नमूनों में कुत्तों को संक्रमित करने वाला वायरस नोवल करोना वायरस की तरह लग रहा था। ये नमूने मुख़्यतः उन बच्चों के थे ,जो किसी न किसी कारण से जानवरों के संपर्क में रहते थे।
सर्वप्रथम तो डॉ ग्रे और उनके सहयोगी को यह विश्वास ही नहीं हुआ कि 300 रोगियों में से 8 रोगी ऐसे थे जिनमें कैनाइन वायरस के लक्षण दिखाई दिए जिसकी वजह से उन्होंने सोचा कि यह रिपोर्ट शायद गलत है और दोबारा जांच होनी चाहिए। इसीलिए उन्होंने यह नमूने ओहियो राज्य विश्वविद्यालय के एक पशु चिकित्सक और विषाणु विशेषज्ञ डॉ. एनास्तासिया वुल्सोवा को भेजें, जिसमें कम संवेदनशील स्क्रीनिंग तकनीक का उपयोग करते हुए, पुष्टि की गई कि आठ नमूनों में से दो में एक केनिन कोरोना वायरस था। इसके अलावा, उन नमूनों में से एक, जो शवकीय कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने में सक्षम साबित हुआ।
फिर उन्होंने इन नमूने में मौजूद विषाणु के genome को एकत्र कर उसका मिलान कैनाइन वायरस के genome से किया, जो कि काफी एक दूसरे से मेल खाते थे। डॉ. वैलसोवा ने कहा, "इसके लक्षण कैनाइन वायरस के समान है, लेकिन यह एक नोवल कोरोना वायरस है। यह वायरस पहले पहचाने गए दो कुत्तों के कोरोना वायरस का संयोग था और इसमें कैट कोरोना वायरस और पिग कोरोना वायरस दोनों के लक्षण मौजूद थे। (इनमें डॉ वाल्सोवा ने कहा कि पुनः संयोजक कोरोना वायरस कुत्तों में आम हैं।)
इस प्रणाली में एक असामान्य आनुवंशिक उत्परिवर्तन (mutation) भी होता है जिसे एनजीन कहते हैं। इसके विलोपन को अन्य कैनाइन कोरोना वायरस में उल्लेखित नहीं किया गया है, डॉ. व्लासोवा ने कहा कि लेकिन इसी तरह के उत्परिवर्तन जोडों में दिखाई दिए हैं, जो कोविड और SARS पैदा करते हैं। डॉ. ग्रे पूछते हैं। "तो इसका क्या मतलब है?" इसके उत्तर में वरसोवा बोलती है कि "खैर, आप जानते हैं, हमें बिल्कुल पता नहीं है।"

कोरोना वायरस (काॅन्सेप्ट फोटो: सोशल मीडिया)

मनुष्य के लिए घातक साबित हो सकता है
हालांकि शोधकर्ताओं ने अधिक शोध करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इस बात की संभावना जाहिर की है। शायद यह उत्परिवर्तन जानवरों में होने वाले कोरोना वायरस को मनुष्य में संक्रमित होने में मदद करें। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि, इस कैनाइन वायरस को घातक मानना जल्दबाजी होगी, क्योंकि यह अभी तक साबित नहीं हुआ है कि निमोनिया के होने का कारण मुख्य कारण यह वायरस था या फिर यह जानवरों के संपर्क में आने से होता है या फिर यह मनुष्य के लिए घातक साबित हो सकता है।
फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के एक वायरोलॉजिस्ट जॉन लेडनिक, जो कैनाइन वायरस के अध्ययन के लेखक नहीं है ने कहा कि हमें सावधान रहना होगा, क्योंकि हर चीज प्रकोप बनने से पहले सामने नहीं दिखाई देती है। फिर भी, अध्ययन करना "अत्यंत महत्वपूर्ण" है, उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि यह एक कोरोना वायरस है, एक बार फिर हमें बताता है कि यह वायरस का एक समूह है, जिसे आगे के अध्ययन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए और इसे ढूंढना चाहिए,। लेकिन उससे पहले यह पता नहीं लगाना चाहिए कि कोरोना वायरस मनुष्य से जानवरों (जिसमें कुत्ते भी शामिल है) तक फैल सकता है कि नहीं।
डॉ. वल्सोवा ने कहा, "इस समय हमारे पास वास्तव में यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि यह विषाणु एक महामारी का कारण बनता जा रहा है। किए गए अनुसंधान से पता चलता है कि इस वायरस का स्थानांतरण जानवरों से मनुष्य में होना आम सी बात है जिसे ज्यादातर लोगों ने नजरअंदाज किया गया है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इन खोजों में, विशेष रूप से मानव-पशुओं के बीच, अधिक लक्षित, सक्रिय वायरल पर और भी निगरानी करने की आवश्यकता है। डॉ. ग्रे ने कहा कि हमें केवल मनुष्यों के नहीं बल्कि मानव के संपर्क में आने वाले जानवरों के भी नमूने पर शोध करना चाहिए और हमें इसके संचरण पर ध्यान देना चाहिए जो कि मनुष्य का वायरस जानवरों में और जानवरों का वायरस मनुष्य में पाया जा रहा है।
डॉ. ग्रे ने यह भी कहा कि वैज्ञानिकों ने आगे अनुसंधान करने की योजना बनाई है, जिसमें अध्ययन के साथ यह देखा जाएगा कि स्वस्थ लोगों में यह वायरस कितना प्रचलित है। इस बीच परिवार को इस वायरस से डरने की कोई जरूरत नहीं है।"मनुष्य और कुत्ते लंबे समय तक एक साथ रहे हैं," उन्होंने कहा कि, हम शायद इन वायरसों का आदान-प्रदान कर रहे हैं ,जिन वायरस को हम नहीं जानते थे।


Dharmendra Singh

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