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Cost of earth: होश उड़ा देगी Planet Earth की कीमत, जानिए कितना सारा पैसा करना होगा खर्च
Cost of Earth: हम आप से कहें कि चाँद पर जमीन खरीदने के बाद पैसा बचा हो तो अब आप पृथ्वी खरीद सकते हैं। ये बात हवाबाजी नहीं है। बल्कि पृथ्वी की कीमत का अंदाजा लगा लिया गया है।
Cost of Earth: क्या कभी आपने सोचा है! जिस ग्रह पर हम जन्में हैं, यानि की पृथ्वी। जहां हम फ्री में रहते हैं। उसका दोहन कर रहे हैं। उसकी कीमत क्या है? नहीं पता होगा आपको? तो ऐसे में हम आपको बताएंगे कि इस ग्रह की कीमत कितनी है। उसके बाद आप कैल्कुलेटर पर देखिए की 0 कितने हैं। एक प्रोफेसर साहेब हैं जिन्होंने स्पेशल फार्मूला लगा के पृथ्वी की कीमत पता कर ली है।
कितनी है कीमत
प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करना सबसे फायदे वाला सौदा होता है। हम आप से कहें कि चाँद पर जमीन खरीदने के बाद पैसा बचा हो तो अब आप पृथ्वी खरीद सकते हैं। ये बात हवाबाजी नहीं है। बल्कि पृथ्वी की कीमत का अंदाजा लगा लिया गया है।
सरसल यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के Astrophysicist Greg Laughlin ने Treehugger.com को वर्ष 2022 के हिसाब से पृथ्वी की वैल्यू कैलकुलेट कर के दी है। नदी, सागर, जमीन, नदी, खनिज, जंगल यहाँ पाई जाने वाली सभी चीजों को मिलाकर पृथ्वी की कीमत (Cost Of Earth) 3,76,25,80,00,00,00,00,060 यानि की भारतीय रूपये में 3 लाख 76 हजार 258 खरब है। इसके बाद पृथ्वी सोलर सिस्टम में सबसे महंगा ग्रह बन गई है।
प्रोफेसर ने मंगल ग्रह की कीमत सिर्फ 12 लाख 2 हजार रु और वीनस की कीमत सिर्फ 70 पैसे आंकी है।
इनकी भी हैसियत नहीं खरीदने की
एलन मस्क की संपत्ति 219 अरब डॉलर।
जेफ बेजोस की संपत्ति 171 अरब डॉलर।
बर्नार्ड अरनॉल्ट 16,750 करोड़ डॉलर।
बिल गेट्स 13,410 करोड़ डॉलर।
वॉरेन बफेट 12,560 करोड़ डॉलर।
ये हैं दुनिया के 5 सबसे अमीर आदमी और उनकी संपत्ति।
वहीं भारतीय अरबपति मुकेश अंबानी की संपत्ति 90.7 अरब डॉलर है, और गौतम अडानी की संपत्ति 90 अरब डॉलर।
देश में इस समय 166 बिलेनियर हैं। इनकी कुल संपत्ति 760 बिलियन डॉलर है।
वापस लौटते हैं मुद्दे पर प्रोफ़ेसर के मुताबिक उन्होंने ये कीमत सिर्फ ये अहसास दिलाने के लिए बताई है, ताकि यहाँ रहने वाले जान सकें कि जिस पृथ्वी पर वो हैं वो कितनी कीमती है। मुफ्त में रहने का मौका मिला है तो इसका सम्मान भी करना सीखो।
आग का गोला बनती जा रही है
UNEP ने एक रिपोर्ट में कहा है कि यदि ग्लोबल वार्मिंग के कारण Pre Industrial Level Period से तापमान 1.5°C बढ़ता है, तो 60 लाख लोगो पर संकट के बदल मंडरा रहे हैं। वही ये तापमान 2°C बढ़ता हैं, तो 1 करोड़ 60 लाख लोग इसके निशाने पर हैं। साल 2019 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा था कि ग्लोबल एवरेज टेंपरेचर साल 2019 में 1.1°C अधिक हो चुका है।
ज्ञात इतिहास में दुनिया के सबसे गर्म वर्ष 2016, 2019 और 2020 रहे हैं। दुनिया की 30 प्रतिशत जनसंख्या साल के 20 दिनों से अधिक समय तक लू झेल रही है। वर्ष 2019 में ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड के 59.1 Gigatonnes के बराबर रहा था।
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