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बड़ा झटका: रेमडेसिविर कोविड-19 के इलाज में फेल, WHO ने जारी किया अलर्ट
मगर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस बयान से रेमडेसिविर से कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों को एक बड़ा झटका लगा है।
वॉशिंगटन कोरोना वायरस की दवा को लेकर एक बुरी खबर है कि कोविड-19 संक्रमण के इलाज में अमेरीकी फार्मा कंपनी गिलियड की दवा रेमडेसिविर कुछ हद तक कारगर मानी जा रही थी, लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस दवा को कोरोना से होने वाली मौतों को रोकने में फेल बताया है। कोविड-19 के मरीजों पर रेमिडसिविर असरदार साबित हो रही है जब खबर आई तो इसे लेकर लोगों में उम्मीद जगी।
रेमडेसिविर का बड़ा झटका
जांच से पता चला था कि यह दवा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को जल्दी ठीक कर सकती है। कुछ मामलों में ऐसा हुआ भी था, मगर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस बयान से रेमडेसिविर से कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों को एक बड़ा झटका लगा है।
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क्लिनिकल ट्रायल किया
डब्ल्यूएचओ ने रेमडेसिविर का 30 देशों के 11,266 वयस्क रोगियों पर क्लिनिकल ट्रायल किया था। इसमें रेमडेसिविर के साथ ही इन रोगियों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, एंटी-एचआईवी ड्रग कॉम्बिनेशन लोपिनवीर / रीतोनवीर और इंटरफेरॉन सहित चार संभावित ड्रग रेजिमेंट दिए गए थे. जिनके प्रभावों का मूल्यांकन किया गया।
गुरुवार को अध्ययन में डब्ल्यूएचओ ने पाया कि इससे 28-दिनों के मृत्यु दर या कोविड -19 के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों के ठीक होने पर कोई असर नहीं हुआ। वैसे अभी क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों की डिटेल रिव्यू किया जाना बाकी है। इस प्राइमरी स्टडी को प्रीप्रिंट सर्वर (medRxiv )पर अपलोड किया गया है।
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मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने बुधवार को कहा कि अध्ययन के दौरान जून में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनवीर /रिशनवीर को अप्रभावी साबित होने के बाद रोक दिया गया था, लेकिन 500 से अधिक अस्पतालों और 30 देशों में इससे संबंधित ट्रायल चल रहे हैं। स्वामीनाथन ने कहा, "हम मोनोक्लोनल एंटी-बॉडीज पर नजर रख रहे हैं। कुछ दिनों में इसके नतीजे समझ में आ जाएंगे।'
सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक, इस वर्ष के अंत तक या अगले वर्ष की शुरुआत तक कोरोना की वैक्सीन आ जाएगी। स्वामीनाथन ने सोमवार को कहा, 'फिलहाल डब्ल्यूएचओ के बैनर तले 40 कंपनियां वैक्सीन विकसित कर रही है।उनमें से 10 कंपनियों का ट्रायल तीसरे चरण में है। वर्ष 2020 के अंत तक या फिर 2021 की शुरुआत तक हमारे पास वैक्सीन आ जाएगी।
बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में अमेरीकी फार्मा कंपनी गिलियड की दवा रेमडेसिवीर कुछ हद तक कारगर मानी जा रही थी, लेकिन अब डब्ल्यूएचओ (WHO) ने इस दवा को कोरोना से होने वाली मौतों को रोकने में फेल करार दिया है। डब्ल्यूएचओ ने एक क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे आने के बाद इसकी जानकारी दी। हाल ही में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना संक्रमित हो गए थे, तब उन्हें भी रेमडेसिविर का इंजेक्शन लगाया गया था।