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Darjeeling Ki Chai : दार्जिलिंग चाय के नाम पर बिक रही डुप्लीकेट नेपाली चाय

Darjeeling Ki Chai : भारत का नेपाल के साथ मुक्त व्यापार समझौता है। इसके तहत आने वाली चाय भारतीय बाजारों में फर्जीवाड़ा करके दार्जिलिंग चाय के नाम पर बेची जा रही है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 16 Oct 2021 5:39 PM IST (Updated on: 16 Oct 2021 5:44 PM IST)
Darjeeling tea
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डुप्लीकेट नेपाली चाय (फोटो- कॉंसेप्ट इमेज)

Darjeeling Ki Chai : दार्जिलिंग के चाय बागानों की चाय अपने खास स्वाद और सुगंध के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। दार्जिलिंग चाय (darjeeling ki chai patti) के शौक़ीन पूरी दुनिया में मौजूद हैं और इस ख़ास चाय के लिए ऊंची कीमत भी अदा करते हैं। अपनी खासियतों की वजहों से इस चाय को जीआई टैग भी मिला है। लेकिन अब डुप्लीकेट दार्जिलिंग चाय बाजार में धड़ल्ले से बेची जा रही है।

नेपाल से आने वाली इस घटिया चाय ने दर्जिलिंग चाय (darjeeling ki chai patti) के सामने खतरा पैदा कर दिया है। भारत का चाय उद्योग पहले से ही केन्या और श्री लंका से सस्ती चाय के इम्पोर्ट से परेशान है अब नेपाली चाय(Nepal Ki Chai) ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है।

चाय की कीमतों पर सीधा असर

दरअसल, भारत का नेपाल के साथ मुक्त व्यापार समझौता है। इसके तहत आने वाली चाय भारतीय बाजारों में फर्जीवाड़ा करके दार्जिलिंग चाय के नाम पर बेची जा रही है। नेपाल से चाय (Nepal Ki Chai) की बढ़ती आवक और उपलब्धता ने प्रतिष्ठित दार्जिलिंग चाय की कीमतों पर सीधा असर डाला है। एक साल के दौरान दार्जिलिंग चाय की कीमतों में 20 से 25 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।

कानूनी तौर पर मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारत में कोई भी नेपाल से स्वतंत्र रूप से चाय का आयात कर सकता है। वैसे तो थोक बिक्री में दार्जिलिंग चाय की कीमत प्रति किलोग्राम औसतन 320 से 360 रुपये के बीच रहती है। लेकिन नेपाल की परंपरागत किस्म वाली चाय (Nepal Ki Chai)की कीमत इसकी आधी से भी कम होती है।

दार्जिलिंग के चाय (Darjeeling Ki Chai) बगान मालिकों ने इस समस्या के बारे में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा भारतीय टी बोर्ड को भी पत्र लिखा है और नकली चाय पर रोक लगाने की मांग की है।

दार्जिलिंग चाय (फोटो- सोशल मीडिया)

दार्जिलिंग इलाके के 87 चाय बागान मालिकों के संगठन दार्जिलिंग टी एसोसिएशन (डीटीए) ने हाल में ममता बनर्जी से आग्रह किया गया है कि वह दार्जिलिंग के चाय उद्योग को बचाने के लिए नेपाल से आयात होने वाली सस्ती और घटिया किस्म की चाय के आयात पर पूरी तरह पाबंदी लगा दें।

चाय उद्योग से जुड़े लोगों का आरोप है कि खास तौर पर व्यापारियों का एक तबका नेपाल की चाय (Nepal Ki Chai) को दार्जिलिंग चाय (Darjeeling Ki Chai) के रूप में बेच रहा है। उपभोक्ता के लिए यह समझना संभव नहीं होता कि वह नेपाल की चाय पी रहा है या दार्जिलिंग की। इन दोनों का स्वाद और सुगंध काफी हद तक समान होती है।

इंडस्ट्री के सूत्रों के अनुसार, हर साल करीब 1.6 करोड़ किलोग्राम नेपाली चाय भारत में आती है जिसमें से लगभग 30 से 40 लाख किलोग्राम चाय परंपरागत किस्म वाली होती है। चाय की यह किस्म दार्जिलिंग चाय की बिक्री को प्रभावित करती है।

बेईमानी की जा रही

स्वाद, सुगंध और दिखने के लिहाज से नेपाल की खास तौर पर इलाम किस्म वाली चाय दार्जिलिंग चाय (Darjeeling Ki Chai) की नजदीकी विकल्प होती है। लेकिन किसी एनी चाय को दार्जिलिंग की चाय कह कर बेचना सरासर बेईमानी है।

दार्जिलिंग के 87 चाय (Darjeeling Ki Chai) बागान सालाना 80 से 85 लाख किलो चाय का उत्पादन करते हैं। इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्ष 2017 में दार्जिलिंग में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के आंदोलन के चलते चाय बागान चार महीने बंद रहे थे और उसी दौरान भारत में नेपाली चाय की बिक्री बढ़ गई थी। वर्ष 2017 में अनियमित सप्लाई के बाद जापानी खरीददारों ने भी हाथ खींच लिए। वे पहले 10 लाख किलो दार्जिलिंग टी खरीदते थे।

टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय से नेपाली चाय के बढ़ते दबदबे की वजह से दार्जिलिंग चाय की बिक्री और उसकी साख को होने वाले नुकसान का मुद्दा उठाते हुए इस समस्या पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस पहल करने की अपील की है।

नेपाल के नेशनल टी ऐंड कॉफी डेवलपमेंट बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक नेपाल के 157 चाय बागानों में सालाना पैदा होने वाली 2.52 करोड़ किलोग्राम चाय का आधे से ज्यादा हिस्सा भारत को निर्यात कर दिया जाता है।

नेपाल से आने वाली सस्ती चाय

वर्ष 2017 में पर्वतीय क्षेत्र में आंदोलन की वजह से दार्जिलिंग चाय का उत्पादन 9.5 मिलियन किलो से घटकर 2020 में छह मिलियन किलो रह गया। उसके बाद कोरोना के कारण लॉकडाउन के दौरान घरेलू और विदेशी बाजारों पर असर पड़ा। अब रही-सही कसर नेपाल से आने वाली सस्ती चाय ने पूरी कर दी है। उसे दार्जिलिंग चाय के नाम से बेचा जा रहा है।

दार्जिलिंग टी एसोसिएशन (Darjeeling Tea Association (DTA)) का अनुमान है कि वर्ष 2020 के दौरान नेपाल से आयातित लगभग 90 लाख किलो चाय दार्जिलिंग चाय के नाम पर बेची गई थी। डीटीए के आंकड़ों के मुताबिक, दार्जिलिंग के चाय उद्योग से 67 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और करीब चार लाख लोगों को परोक्ष तौर पर रोजगार मिला है।

इस बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव से पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। उसके बाद केंद्र के समक्ष इस मुद्दे को उठाया जाएगा। टी बोर्ड ने भी केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय से नेपाली चाय के आयात के लिए मानक तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया है. उसने इस गोरखधंधे पर अंकुश लगाने के लिए आयातित चाय पर उसके निर्माता देश का नाम लिखा होना अनिवार्य करने की मांग की है।



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Vidushi Mishra

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