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Deadliest Plane Crash History: जीवन और मृत्यु के बीच की संघर्षमई दास्तां, फ्लाइट 571 की कहानी

Deadliest Plane Crash Flight 571 History: फ़्लाइट 571 एक उरुग्वेयन एयर फ़ोर्स विमान था, जो 13 अक्टूबर 1972 को एंडीज़ पर्वत में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे को विमान दुर्घटना के इतिहास में सबसे भयंकर हादसों में से एक माना जाता है।

Shivani Jawanjal
Written By Shivani Jawanjal
Published on: 24 Feb 2025 12:59 PM IST (Updated on: 24 Feb 2025 1:41 PM IST)
Deadliest Plane Crash Flight 571 Incident History
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Deadliest Plane Crash Flight 571 Incident History

Flight 571 Incident History: कहते हैं "जाको राखे साइयाँ, मार सके ना कोई" और इसका जीता-जागता उदाहरण है उरुग्वेयन एयर फ़ोर्स फ़्लाइट 571 की भयानक दुर्घटना, जिसने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया था। 13 अक्टूबर 1972 को घटित यह घटना विमान दुर्घटना के इतिहास में सबसे भयंकर घटना में से एक है। इस दिन 571 यह विमान एंडीज़ पर्वत में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जहाँ चारों ओर मौत का साया, भीषण ठंड, भुखमरी और निराशा फैली हुई थी। इस हादसे में कई यात्रियों की जान चली गई, लेकिन 16 लोगों ने 72 दिनों तक असंभव परिस्थितियों से जूझते हुए जीवित रहने की अविश्वसनीय मिसाल पेश की।


यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि यह मानव साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति और अस्तित्व की लड़ाई की ऐसी कहानी थी, जिसने दुनिया को यह सिखाया कि जब तक तकदीर साथ हो, तब तक मौत भी घुटने टेक देती है। इन लोगों ने विपरीत हालातों में हार नहीं मानी और हर चुनौती को मात देकर यह साबित किया कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है।

फ्लाइट 571की कहानी (Uruguayan Air Force Flight 571)


13 अक्टूबर 1972 को, उरुग्वेयन एयर फोर्स फ्लाइट 571 एक भयावह दुर्घटना का शिकार हुई। यह विमान उरुग्वे से चिली जा रहा था, जिसमें रग्बी टीम के खिलाड़ी, उनके परिवारजन और दोस्त समेत कुल 45 लोग सवार थे। यह विमान एंडीज पर्वत में तब दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जब विमान बड़ी चट्टान से टकरा गया टक्कर इतनी भयानक थी कि कई यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कुछ गंभीर चोटों और कड़ाके की ठंड के कारण धीरे-धीरे दम तोड़ते गए। इस भयावह दुर्घटना में कुल 29 लोगों की जान चली गई| जबकि बचे 16 यात्री जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करने को मजबूर हो गए।

29 बार एंडीज़ पर्वत पार कर चुके अनुभवी पायलट फेर्रादास (Pilot Ferradas)


इस विमान को पहले 29 बार एंडीज़ पर्वत पार कर चुके अनुभवी पायलट फेर्रादास उड़ा रहे थे, लेकिन इस उड़ान में वे सह-पायलट लगुरारा को प्रशिक्षण दे रहे थे, जो उस समय विमान को नियंत्रित कर रहे थे। एंडीज़ पर्वत के ऊपर उड़ते समय घने बादलों ने दृश्यता को बाधित कर दिया, जिससे विमान का सही स्थान निर्धारित करने में कठिनाई हुई।

विमान एक एफएच-227 मॉडल था, जिसे 'लीड-स्लेड' कहा जाता था, क्योंकि इसे अपेक्षाकृत कमजोर इंजन वाला माना जाता था। विमान के डिज़ाइन में अधिक यात्रियों और कार्गो के लिए अतिरिक्त जगह जोड़ी गई थी। एंडीज़ पर्वत में दुर्घटनाग्रस्त होने वाला यह दसवां FH-227 विमान था।

गलत नेविगेशन और घातक दुर्घटना


घने बादलों के कारण पायलटों को इंस्ट्रूमेंट नेविगेशन सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ा। प्लेन्चॉन पास पार करने के बाद, सह-पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल को सूचित किया कि वे कुछ ही पलों में क्यूरिको (Curico) पहुँचने वाले हैं, लेकिन यह अनुमान गलत साबित हुआ। विमान उस समय भी एंडीज़ पर्वत के ऊपर ही था, लेकिन पायलटों को यह जानकारी नहीं थी। उन्होंने विमान को उतरने की अनुमति मांगी, जिसे एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने मंजूरी दे दी, लेकिन रडार कवरेज की कमी के कारण उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि विमान अभी भी ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र में ही था।

टक्कर और विमान का बिखरना


जैसे ही विमान नीचे उतरा, उसे तीव्र वायु अवरोध और झटकों का सामना करना पड़ा। कुछ ही क्षणों में यात्रियों को महसूस हुआ कि विमान खतरनाक रूप से पहाड़ों के करीब उड़ रहा है। सह-पायलट ने विमान को ऊपर उठाने की कोशिश की, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। विमान का पिछला हिस्सा 4,200 मीटर (13,800 फीट) की ऊँचाई पर एक चट्टान से टकरा गया, जिससे विमान का पिछला हिस्सा टूटकर अलग हो गया और उसमें बैठे कुछ यात्री निचे गिर गए।

इसके बाद, दाहिना पंख टूट गया, जिससे विमान का नियंत्रण और अधिक बिगड़ गया। कुछ सेकंड बाद, बाएँ पंख भी एक चट्टान से टकराकर अलग हो गया, और उसका प्रोपेलर विमान के धड़ को काटते हुए निकल गया। अंततः विमान का धड़ 350 किमी/घंटा (220 मील प्रति घंटे) की रफ्तार से बर्फीली ढलान पर फिसलते हुए 725 मीटर (2,379 फीट) नीचे आकर एक बर्फ की दीवार से टकराकर रुक गया।

इस भीषण टक्कर में विमान के भीतर की सीटें आगे की ओर धंस गईं, और कॉकपिट बुरी तरह कुचल गया, जिसमें पायलट फेर्रादास की तत्काल मौत हो गई, जबकि सह-पायलट गंभीर रूप से घायल हो गए।

बचाव अभियान और दुर्घटना स्थल


विमान का धड़ Glacier of Tears (आंसुओं का ग्लेशियर) पर 3,675 मीटर (12,057 फीट) की ऊँचाई पर जाकर रुका। यह स्थान चिली और अर्जेंटीना की सीमा पर स्थित एंडीज़ पर्वत श्रृंखला में बेहद दुर्गम और ठंडा क्षेत्र था। विमान अपने निर्धारित मार्ग से 80 किमी (50 मील) पूर्व की ओर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।

यह दुर्घटना पायलट की नेविगेशन त्रुटि के कारण हुई थी, जो गलत अनुमान के आधार पर विमान को उतरने की कोशिश कर रहे थे। आधिकारिक जाँच रिपोर्ट में भी इसे ‘कंट्रोल्ड फ्लाइट इंटू टेरेन’ (Controlled Flight into Terrain) यानी एक नियंत्रित उड़ान के दौरान पहाड़ से टकराने की घटना बताया गया।

इस हादसे में कुछ यात्री मौके पर ही मारे गए, जबकि कुछ लोग गंभीर चोटों और ठंड के कारण धीरे-धीरे दम तोड़ते गए। हालांकि, इस दुर्घटना में 16 लोग असंभव परिस्थितियों में 72 दिनों तक जीवित रहे और अंततः मदद प्राप्त करने में सफल हुए, जिससे यह इतिहास की सबसे चमत्कारी उत्तरजीविता कहानियों में से एक बन गई।

संघर्ष, चोटें और बचाव की जद्दोजहद


फ़्लाइट 571 दुर्घटना में कुल 45 यात्रियों में से 5 लोगों की तुरंत मृत्यु हो गई, जब विमान का पिछला हिस्सा टूटकर अलग हो गया। कुछ सेकंड बाद दो अन्य यात्री भी बाहर गिर गए, जिनमें से एक की गिरने से तुरंत मौत हो गई, जबकि दूसरा गहरी बर्फ में फंसकर दम घुटने से मर गया। विमान के आगे के हिस्से के टकराने से कई यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि टीम के डॉक्टर, उनकी पत्नी, कुछ अन्य यात्रियों और पायलट की तुरंत मौत हो गई। को-पायलट भी बुरी तरह घायल हुआ और अपनी जान खत्म करने के लिए बंदूक मांगने लगा, लेकिन यात्रियों ने इनकार कर दिया; अगले दिन उसकी भी मृत्यु हो गई। दुर्घटना के बाद 33 यात्री जीवित बचे, जिनमें से कई गंभीर रूप से घायल थे। मेडिकल छात्र कानेसा और ज़र्बिनो ने प्राथमिक उपचार शुरू किया, लेकिन कई यात्रियों की चोटें इतनी गंभीर थीं कि वे बच नहीं सके। नांडो पाराडो को सिर में गंभीर चोट लगी और वह तीन दिन तक बेहोश रहा, जबकि उसकी बहन भी गंभीर रूप से घायल थी। कुछ यात्री, जिनकी हड्डियाँ टूट गई थीं, दर्द में तड़प रहे थे, लेकिन फिर भी उन्होंने दूसरों की मदद करने का प्रयास किया।

असफल सर्च ऑपरेशन


चिली एयर सर्च एंड रिस्क्यू सर्विस सार्स (SARS) को जल्द ही फ़्लाइट 571 के लापता होने की सूचना मिली, और चार विमानों ने इसके आखिरी ज्ञात स्थान के आधार पर खोज शुरू की। शाम तक यह खबर उरुग्वे की मीडिया में फैल गई। रेडियो संचार रिकॉर्डिंग सुनने के बाद, बचाव दल ने अनुमान लगाया कि विमान एंडीज़ के दुर्गम इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ होगा और चिली के एंडीज़ रेस्क्यू ग्रुप (CSA) से मदद मांगी। हालांकि, विमान चिली सीमा पार करने से पहले ही अर्जेंटीना में दुर्घटनाग्रस्त हो चुका था।

दूसरे दिन, अर्जेंटीना, चिली और उरुग्वे के 11 विमानों ने खोज अभियान जारी रखा, लेकिन सफेद मलबा बर्फ में छिपा होने के कारण बचाव दल इसे देख नहीं सका। जीवित बचे यात्रियों ने लिपस्टिक से SOS संदेश लिखने और सामान से बर्फ पर क्रॉस बनाने की कोशिश की, लेकिन यह भी ध्यान आकर्षित करने में असफल रहा। आठ दिन की असफल खोज के बाद, 21 अक्टूबर को बचाव अभियान रोक दिया गया, यह मानते हुए कि कोई भी जीवित नहीं बचा होगा। उन्होंने तय किया कि बर्फ पिघलने के बाद दिसंबर में शवों की तलाश फिर से शुरू की जाएगी।

संघर्ष का पहला हफ्ता


पहली रात और अगले दिन पाँच और यात्रियों की मौत हो गई, जिससे 28 लोग जीवित बचे। उन्होंने विमान के मलबे से एक अस्थायी आश्रय बनाया और ठंड से बचने के लिए सीट कवर और कुशन का उपयोग किया। नांडो पाराडो को होश आया, लेकिन उसने अपनी माँ को खो दिया और नौवें दिन उसकी बहन भी चल बसी। -30°C की ठंड में बिना भोजन, गर्म कपड़े या चिकित्सा सहायता के, बचे हुए 27 लोग संघर्ष कर रहे थे। ग्यारहवें दिन रॉय हार्ले ने रेडियो से सुना कि खोज अभियान बंद कर दिया गया था। जब सभी निराश हो गए, गुस्तावो निकोलिच ने कहा, "अब हमें खुद यहाँ से निकलना होगा", जिससे पूरे समूह को हिम्मत मिली।

मृत शरीरों को भोजन स्वरुप खाने के लिए मजबूर लोग

फ़्लाइट 571 के जीवित बचे यात्रियों के पास बहुत कम खाना था, जिसमें कुछ चॉकलेट, जाम, मसल्स, बादाम, डेट्स, कैंडी और वाइन शामिल थी, जो सिर्फ एक हफ्ते तक चली। खाने की कमी के कारण, उन्होंने सीटों से कपास और बेल्ट-जूते से चमड़ा खाना शुरू किया, जिससे वे बीमार हो गए। जब बचाव कार्य रोक दिए गए और भूख से मृत्यु निश्चित दिखने लगी, तो उन्होंने एक दूसरे से अनुमति ली कि अगर कोई मर जाए तो उसके शरीर का उपयोग भोजन के रूप में किया जा सकता है।

विमान दुर्घटना में जीवित बचे एक मेडिकल छात्र रॉबर्टो कनेसा ने अपने साथियों को बचाने के लिए एक अत्यंत कठिन निर्णय लिया। उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए अपने दोस्तों की शरीर बॉडी से मांस निकालकर खाना शुरू किया। कांच के टुकड़े का इस्तेमाल करके उन्होंने यह मांस निकाला। बाद में, एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि घटना के बाद उन्होंने इस सच को मृतकों के परिवारों के साथ साझा किया था। एक और जीवित बचे व्यक्ति, रमोन सबेला, ने कहा कि शुरुआत में इंसानी मांस खाना बहुत घिनौना लगा, लेकिन धीरे-धीरे इसकी आदत हो गई। उन्होंने बताया कि पहले उन्होंने त्वचा और वसा से शुरुआत की, फिर अंग और मस्तिष्क भी खाए थे।

संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी


दो महीने बाद 12 दिसंबर 1972 को नंडो पैराडो ने अन्य दो यात्रियों समेत 10 दिन की कठिन यात्रा शुरू की और ट्रेकिंग करते हुए मदद के लिए बाहर निकले। इस दौरान उन्हें भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उनकी कोशिश रंग लायी । आख़िरकार नंडो पैराडो और रॉबर्टो कैनेसा ने पहाड़ों को पार कर चिली के एक चरवाहे तक पहुंचने में सफलता पाई और इसतरह मजबूत इच्छाशक्ति और अथक संघर्ष के आगे मृत्यु भी हार गई । लगातार दो महीने के संघर्ष के बाद 22 दिसंबर 1972 को बचाव दल ने 16 बचे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। जब ये यात्री दुनिया के सामने आए, तो उन्हें एक करिश्मा माना गया और तब से इस हादसे को एंडीज़ का चमत्कार (Miracle of the Andes)के नाम से जाना जाने लगा।

दुर्घटना में जीवित बचे लोग


इस दुर्घटना में 45 में से केवल 16 लोग ही जीवित बच पाए। इनमें नंडो पैराडो (Nando Parrado) और रॉबर्टो कैनेसा (Roberto Canessa) प्रमुख थे, जिन्होंने बचाव दल लाने के लिए पहाड़ों को पार किया। रॉबर्टो कैनेसा एक मेडिकल छात्र थे और उन्होंने कठिन परिस्थितियों में अपने साथियों की मदद की। गुस्तावो ज़रबिनो (Gustavo Zerbino), फर्नांडो वासिंटो (Fernando Vasintin), एडुआर्डो स्ट्राउच (Eduardo Strauch), एडोल्फो स्ट्राउच (Adolfo Strauch), कार्लोस पैज़ (Carlos Páez) और अल्गार्टा फ्रांसिस्को (Algorta Francisco) भी उन भाग्यशाली लोगों में शामिल थे जो इस भयावह दुर्घटना के बाद जीवित बचे। इन सभी ने 72 दिनों तक भीषण ठंड, भूख और कठिन हालातों का सामना किया। जब भोजन खत्म हो गया, तो उन्होंने अपने मारे गए साथियों के शव खाने का कठिन निर्णय लिया, जिससे वे जिंदा रहने में सफल हुए।



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