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Death Penalty In Britain: ब्रिटेन में मृत्युदंड है अवैध, जानें कितनी बार बदला कानून, क्या कहता है यूके का लॉ
Death Penalty In Britain: ब्रिटेन में मृत्युदंड का इतिहास रोमनों के समय से है, जब अपराधियों को सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी जाती थी। लेकिन बाद में मृत्युदंड को अवैध करार दे दिया गया।
Death Penalty In Britain: ब्रिटेन में मृत्युदंड का इतिहास (Britain Mein Mrityudand Ka Itihas) सदियों पुराना है, लेकिन इसे लेकर कानून और समाज की सोच में समय के साथ कई बदलाव आए हैं।
मृत्युदंड का इतिहास (Death Penalty In Britain History In Hindi)
ब्रिटेन में मृत्युदंड (Britain Mein Mrityudand) का इतिहास रोमनों के समय से है, जब अपराधियों को सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी जाती थी। मध्यकालीन काल में, मृत्युदंड व्यापक था। इसे कई अपराधों के लिए लागू किया जाता था, जैसे हत्या, चोरी, राजद्रोह और जादू-टोना। "Bloody Code" ब्रिटेन में 17वीं और 18वीं शताब्दी में 200 से अधिक अपराधों के लिए मृत्युदंड दिया जा सकता था। इनमें छोटी-छोटी चोरी, पेड़ों को नुकसान पहुंचाना, और यहां तक कि 40 शिलिंग से अधिक की संपत्ति चुराना शामिल था।
1823 में, सर रॉबर्ट पील ने कानून सुधार की शुरुआत की। उन्होंने छोटे-मोटे अपराधों के लिए मृत्युदंड हटाने के प्रयास किए। 1861 के अपराध अधिनियम (Offences Against the Person Act) ने मृत्युदंड को केवल कुछ गंभीर अपराधों तक सीमित कर दिया, जैसे हत्या, राजद्रोह, जासूसी और समुद्री डकैती। 19वीं शताब्दी के अंत तक, सार्वजनिक रूप से मृत्युदंड देना बंद कर दिया गया। 1868 के Capital Punishment Amendment Act के तहत, फांसी को जेल के अंदर निजी तौर पर दिया जाने लगा।
1998 में अवैध घोषित किया गया था मृत्युदंड
ब्रिटेन में मृत्युदंड को आधिकारिक रूप से 1998 में अवैध घोषित किया गया था। हालांकि, अंतिम बार मौत की सजा पाने वाले लोगों को 1964 में फांसी दी गई थी। 18वीं शताब्दी में, 200 से अधिक अपराधों के लिए, जिनमें गैर-हिंसक अपराध भी शामिल थे, लोगों को मृत्युदंड दिया जा सकता था। 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 19वीं शताब्दी की शुरुआत में मृत्युदंड को लेकर सुधार शुरू हुए और जेल प्रणाली को एक वैकल्पिक उपाय के रूप में अपनाया जाने लगा। मृत्युदंड की सजा पाने वाले अपराधों की संख्या में भी कमी आई और सार्वजनिक फांसी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) से पहले मृत्युदंड को लगभग समाप्त कर दिया गया था। लेकिन 1965 में इसे निलंबित किया गया, पहले पांच वर्षों के लिए और फिर स्थायी रूप से। पीटर एलेन और ग्विन इवांस को 13 अगस्त, 1964 को ब्रिटेन में फांसी दी गई थी। 1998 में इसे आधिकारिक रूप से ब्रिटेन में अवैध घोषित कर दिया गया।
आज के समय में जिन विधियों से मृत्युदंड दिया जाता है, उनमें घातक इंजेक्शन, फांसी, गोली मारना और सिर कलम करना शामिल हैं। कुछ देशों में, जैसे रूस, मृत्युदंड तकनीकी रूप से कानूनी है। लेकिन पिछले 10 वर्षों से इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है। ब्रिटेन में मृत्युदंड (डेथ पेनाल्टी) को लेकर कानून और उसका इतिहास काफी जटिल और दिलचस्प है। इसे लेकर ब्रिटेन ने कई चरणों में सुधार किए, जो अंततः इसकी समाप्ति की ओर ले गए।
20वीं सदी में मृत्युदंड (Death Penalty In 20th Century)
20वीं सदी में मृत्युदंड के प्रति जनमानस में बदलाव आया। समाज में इसे अमानवीय और अप्रभावी माना जाने लगा। कुछ गलत फैसलों ने भी जनता का विश्वास हिला दिया। उदाहरण के लिए:
टिमोथी इवांस (1950)
उन्हें अपनी पत्नी और बेटी की हत्या के लिए फांसी दी गई। लेकिन बाद में साबित हुआ कि वह निर्दोष थे।
डेरेक बेंटली (1953)
बेंटली को एक पुलिसकर्मी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया, जबकि गोली उनके साथी ने चलाई थी। इसे न्यायिक त्रुटि का उदाहरण माना गया।
1957 में, Homicide Act के तहत, हत्या के कुछ विशेष मामलों में ही मृत्युदंड की अनुमति दी गई। उदाहरण: पुलिसकर्मी की हत्या करने पर। किसी बंदी को भागने में मदद करने के दौरान हत्या। 1965 में, Murder (Abolition of Death Penalty) Act के तहत, इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड में हत्या के लिए मृत्युदंड को अस्थायी रूप से खत्म कर दिया गया। इसे 1969 में स्थायी कर दिया गया।
ब्रिटेन में मृत्युदंड का पूर्ण उन्मूलन (Abolition Of Death Penalty in Britain)
1998 में, Crime and Disorder Act के तहत राजद्रोह, समुद्री डकैती और जासूसी जैसे अपराधों के लिए भी मृत्युदंड को खत्म कर दिया गया। इसके बाद, ब्रिटेन ने 1999 में यूरोपीय मानवाधिकार संधि (European Convention on Human Rights) के प्रोटोकॉल 6 और 13 पर हस्ताक्षर किए, जिसमें युद्धकाल और शांति काल दोनों में मृत्युदंड को प्रतिबंधित किया गया। ब्रिटेन में अंतिम बार मृत्युदंड 13 अगस्त, 1964 को दिया गया था। पीटर एंथोनी एलन और ग्विन ह्यूजेस को हत्या के मामले में फांसी दी गई थी।
मौजूदा स्थिति (2024 तक)
वर्तमान में ब्रिटेन में मृत्युदंड पूरी तरह समाप्त हो चुका है। यह सभी प्रकार के अपराधों के लिए प्रतिबंधित है। 1998 में Human Rights Act पारित होने के बाद, ब्रिटेन ने यूरोपीय मानवाधिकार संधि का पालन करते हुए मृत्युदंड को असंवैधानिक घोषित किया। ब्रिटेन अन्य देशों में भी मृत्युदंड के खिलाफ आवाज उठाता है। सरकार इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन मानती है और दुनियाभर में मृत्युदंड को खत्म करने का समर्थन करती है। हाल के वर्षों में, ब्रिटिश अदालतों ने ऐसे मामलों में दोषियों को प्रत्यर्पित करने से मना कर दिया है, जहां उनकी मौत की सजा संभव हो।
भविष्य की संभावनाएँ
ब्रिटेन में मृत्युदंड की वापसी की संभावना नहीं है। मानवाधिकारों को लेकर ब्रिटेन का रुख साफ है, और सरकार इसे असंवैधानिक मानती है। हालांकि, कुछ समूह अब भी गंभीर अपराधों, जैसे आतंकवाद और बच्चों के प्रति हिंसा, के मामलों में इसकी पुनः स्थापना की मांग करते हैं। लेकिन संसद और समाज में इसका समर्थन नगण्य है।
ब्रिटेन का मृत्युदंड का सफर, सार्वजनिक और व्यापक उपयोग से लेकर इसे पूरी तरह समाप्त करने तक, सामाजिक और कानूनी विकास का प्रमाण है। यह बदलाव मानवाधिकारों के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता और न्यायिक प्रणाली में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम था। वर्तमान में, ब्रिटेन दुनियाभर में मृत्युदंड को समाप्त करने के प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
आधुनिक युग में बदलाव
20वीं शताब्दी में मृत्युदंड केवल हत्या, राजद्रोह, समुद्री डकैती (पायरेसी) और कुछ सैन्य अपराधों तक सीमित कर दिया गया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद मृत्युदंड की नैतिकता पर बहस तेज हो। 1948 में संसद में इसे खत्म करने का प्रयास हुआ। लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया।
अंतिम फांसी और समाप्ति
पीटर एलन और ग्विन इवांस को 13 अगस्त, 1964 को हत्या के जुर्म में फांसी दी गई। ये ब्रिटेन में दी गई अंतिम फांसियां थीं। 1965 में हत्याकांड (मर्डर एक्ट) के तहत इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड में हत्या के लिए मृत्युदंड को निलंबित कर दिया गया। इसे प्रारंभ में पांच साल के लिए निलंबित किया गया। लेकिन 1969 में इसे स्थायी कर दिया गया। उत्तरी आयरलैंड में मृत्युदंड को 1973 में खत्म कर दिया गया। 1998 में यूरोपीय मानवाधिकार संधि (European Convention on Human Rights) को लागू करते हुए, ब्रिटेन ने मृत्युदंड को पूरी तरह समाप्त कर दिया।
वर्तमान स्थिति-ब्रिटेन में आज मृत्युदंड अवैध है। किसी भी अपराध के लिए इसे लागू नहीं किया जा सकता। हत्या, राजद्रोह, आतंकवाद, या अन्य गंभीर अपराधों के लिए भी आजीवन कारावास अधिकतम सजा है। ब्रिटेन में आज भी कुछ लोग मृत्युदंड की वापसी का समर्थन करते हैं, खासकर जघन्य अपराधों के मामलों में। हालांकि, मानवाधिकार संगठनों और सरकार ने इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया है।
ब्रिटेन में मृत्युदंड समाप्ति के प्रभाव
आजीवन कारावास और पुनर्वास पर जोर दिया गया। मृत्युदंड समाप्त होने के बाद न्यायिक त्रुटियों के मामलों में सुधार हुआ। यूरोपीय संघ के सदस्य के रूप में ब्रिटेन ने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मृत्युदंड समाप्त करने की संधियों का पालन किया। मृत्युदंड को समाप्त करके ब्रिटेन ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों को अपनाया।
भविष्य की संभावनाएं
ब्रिटेन में मृत्युदंड की वापसी की संभावना लगभग न के बराबर है। यूरोपीय मानवाधिकार संधि का हिस्सा होने के कारण, ब्रिटेन इसे लागू नहीं कर सकता। वर्तमान में, ब्रिटेन में कानून और समाज मृत्युदंड के खिलाफ हैं।
ब्रिटेन में मृत्युदंड का इतिहास यह दिखाता है कि कैसे एक कठोर और दंडात्मक प्रणाली से समाज ने सुधार और मानवीय दृष्टिकोण की ओर कदम बढ़ाया। मृत्युदंड की समाप्ति ने ब्रिटेन को एक ऐसी न्याय प्रणाली दी है, जो मानवाधिकारों को प्राथमिकता देती है।