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World News : दुनिया भर में बढ़ रही एडल्ट डायपर की मांग

seema
Published on: 25 Oct 2019 12:24 PM IST
World News : दुनिया भर में बढ़ रही एडल्ट डायपर की मांग
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दुनिया भर में बढ़ रही एडल्ट डायपर की मांग

वाशिंगटन: दुनिया की आबादी का बड़ा हिस्सा बूढ़ा हो रहा है और इस बढ़ती उम्र के साथ एडल्ट डायपर की मांग भी तेज हुई है। दुनिया भर में 40 करोड़ लोगों को मूत्राशय से जुड़ी बीमारियां हैं। ऐसे में डायपर का बाजार पिछले साल की तुलना में 9 फीसदी बढ़ कर 9 अरब डॉलर का हो गया है। पिछले दशक की तुलना में डायपर का बाजार दोगुना हो चुका है। कंपनियों का कहना है कि बीमारी से प्रभावित 40 करोड़ लोगों में से आधे ही डायपर का इस्तेमाल करते हैं। इसे बदलने के लिए कंपनियां कई नए तरीके अपना रही हैं। मिसाल के तौर पर पैकेट पर डायपर या नैपी जैसे शब्दों का इस्तेमाल खत्म किया जा रहा है। सुपरमार्केट में इन्हें बच्चों के डायपर के साथ न रख कर डियो, टूथपेस्ट इत्यादि के आसपास रखा जा रहा है ताकि लोग नि:संकोच इन्हें उठा सकें।

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जापान में तो 2013 में ही एडल्ट डायपर की बिक्री ने बच्चों के डायपर को पीछे छोड़ दिया था। एडल्ट डायपर बनाने वाली कंपनी यूनीचार्म कॉर्पोरेशन का कहना है, 'हम लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वयस्कों में मूत्राशय से जुड़ी समस्याएं सामान्य हैं और ऐसा युवाओं के साथ भी हो सकता है। इस कंपनी ने पिछले साल आठ फीसदी ज्यादा बिक्री दर्ज की। ऐसा ही अमेरिकी कंपनी किम्बरले क्लार्क के साथ भी देखा गया। इस कंपनी ने पिछले साल हल्के और पतले एडल्ट डायपर बाजार में उतारे।

पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इस तरह की दिक्कतों का ज्यादा सामना करना पड़ता है। आंकड़े बताते हैं कि महिलाएं दोगुना अधिक प्रभावित होती हैं। खास कर बच्चा होने के बाद इस तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं लेकिन कम ही महिलाएं इस पर खुल कर बात करती हैं। स्वीडन का एक ब्रैंड एसिटी महिलाओं के लिए डिस्पोजेबल अंडरवेयर को लोकप्रिय बनाने की कोशिश में लगा है। मूत्राशय की बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और चर्चा कराने वाली ग्लोबल फोरम ऑन इंकॉन्टीनेंस के अनुसार 12 प्रतिशत महिलाएं और 5 फीसदी पुरुष जीवन में कभी ना कभी इसका शिकार होते हैं।

एक सच यह भी है कि सैनिटरी पैड, बच्चों के नैपी और एडल्ट डायपर पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। इन्हें विघटित होने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। ऐसे में कंपनियों को सिर्फ नए और आरामदायक ही नहीं, बल्कि ईको फ्रेंडली विकल्पों पर भी ध्यान देना होगा।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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