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Tanashahi Ki Kahani: सिर्फ जर्मनी ही नहीं यह देश भी रहा तानाशाही की चपेट में, 40 साल बाद मिली मुक्ति

Dictatorship In Spain: आपने जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आप जनरल फ्रांसिस्को फ्रांको के बारे में जानते हैं, जिसने एक तानाशाह के रूप में 1939 से 1975 तक स्पेन पर शासन किया।

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 7 Dec 2024 7:34 PM IST
Tanashahi Ki Kahani: सिर्फ जर्मनी ही नहीं यह देश भी रहा तानाशाही की चपेट में, 40 साल बाद मिली मुक्ति
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Francisco Franco (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Dictatorship In Spain: स्पेन का इतिहास राजनीतिक और सामाजिक उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है और यह देश कई दशकों तक तानाशाही शासन का शिकार रहा। यह तानाशाही का दौर 1939 में स्पेनिश गृहयुद्ध (Spanish Civil War) के समापन से शुरू हुआ और 1975 तक जारी रहा। यानि 36 साल तक इस देश ने तानाशाही को सहा।

तानाशाही का उदय (Spain Mein Tanashahi Ka Uday)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

फ्रांसिस्को फ्रांको का शासन स्पेन में तानाशाही की शुरुआत 1936 से 1939 तक चले स्पेनिश गृहयुद्ध (Spanish Civil War) से हुई। इस गृहयुद्ध में रिपब्लिकन (समाजवादी और प्रगतिशील विचारधारा वाले लोग) और राष्ट्रवादियों (संपत्ति और सैन्य समर्थन वाले) के बीच संघर्ष हुआ। गृहयुद्ध के बाद, जनरल फ्रांसिस्को फ्रांको (General Francisco Franco) ने राष्ट्रवादी सेना के नेता के रूप में सत्ता संभाली। 1 अप्रैल, 1939 को गृहयुद्ध के अंत के बाद, फ्रांको ने अपने तानाशाही शासन की नींव रखी, जिसे वह ‘कैथोलिक स्पेन’ (Catholic Spain) के रूप में स्थापित करना चाहते थे।

फ्रांको ने न केवल सैन्य बलों का इस्तेमाल किया, बल्कि अपनी तानाशाही को स्थिर करने के लिए राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का सहारा लिया। उसने विपक्षी विचारधाराओं को कुचलने के लिए सत्ता में रहते हुए भारी दमन किया। सत्ता की कड़ी नीतियाँ, मीडिया की सेंसरशिप, और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी के साथ ही उसने स्पेन को एक सशक्त तानाशाही राज्य में बदल दिया।

तानाशाही के कारण (Dictatorship In Spain)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

स्पेन में तानाशाही के उदय के कई कारण थे। पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण था स्पेनिश गृहयुद्ध (Spanish Civil War), जिसने पूरे देश को अस्थिर कर दिया था। युद्ध के बाद, फ्रांको ने अपने शासन को स्थापित करने के लिए स्थिरता और देश की एकता को प्रमुख कारण बताया। दूसरा कारण था स्पेन की आर्थिक स्थिति और समाज में व्याप्त गहरी असमानता। यह स्थिति फ्रांको के लिए अपनी सत्ता को मजबूत करने का अवसर बन गई, क्योंकि उसने सैन्य और कैथोलिक चर्च का समर्थन प्राप्त किया।

इसके अलावा, 1930 के दशक में यूरोप में तानाशाही शासन की बढ़ती प्रवृत्तियाँ, जैसे कि नाजी जर्मनी और फासीवादी इटली का प्रभाव, स्पेन में भी तानाशाही शासन की ओर ले आईं। फ्रांको ने नाजी जर्मनी और फासीवादी इटली से समर्थन लिया, जिससे उसे अपने विरोधियों को दबाने में मदद मिली।

तानाशाही के दौरान फ्रांको का शासन

फ्रांको का शासन पूरी तरह से केंद्रीकृत था और इसमें राजनीतिक स्वतंत्रताओं का पूरी तरह से हनन किया गया। सबसे पहले, उसने संसद को नष्ट कर दिया और निर्विवाद नेता के रूप में स्थापित किया। राजनीतिक विपक्ष को कुचलने के लिए उसने हत्या, जेल और निर्वासन का सहारा लिया। सरकार और सेना की शक्ति को एकजुट करते हुए उसने एक पुलिस राज्य स्थापित किया।

फ्रांको ने मीडिया की स्वतंत्रता पर गंभीर रोक लगाई और सभी प्रकार के विरोधी विचारों को दबाने के लिए सेंसरशिप (Censorship) लागू की। किसी भी प्रकार की राजनीतिक असहमति को तुरंत कुचल दिया गया और अधिकांश विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया या देश से बाहर कर दिया गया।

इसके अलावा, उसने कैथोलिक चर्च (Catholic Church) को राज्य की सबसे शक्तिशाली संस्थाओं में से एक बना दिया। चर्च को अपने प्रभाव को बढ़ाने का अवसर मिला और फ्रांको के शासन के दौरान इसे कई विशेषाधिकार प्राप्त हुए। इसने स्पेन में एक धार्मिक और सांस्कृतिक तानाशाही की स्थिति उत्पन्न की, जो सामान्य नागरिकों के अधिकारों के खिलाफ थी।

तानाशाही के प्रभाव (Effects Of Dictatorship In Spain)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

फ्रांको की तानाशाही ने स्पेन को कई दशकों तक एक कर्फ्यू (Curfew) जैसी स्थिति में रखा। उसके शासन के दौरान स्पेन में शिक्षा, संस्कृति और समाज के अन्य पहलुओं पर कठोर नियंत्रण था। हालांकि, फ्रांको ने कुछ आर्थिक सुधार भी किए। लेकिन इन सुधारों का लाभ केवल उच्च वर्ग और सैन्य अधिकारियों को हुआ, जबकि आम जनता की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।

यह तानाशाही शासन सामाजिक न्याय और व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं के लिए एक बड़ा संकट था। जनसंख्या में डर का माहौल था और अधिकांश लोगों को अपनी राजनीतिक राय व्यक्त करने का अधिकार नहीं था। इसके अलावा, महिलाओं और श्रमिकों के अधिकारों को गंभीर नुकसान हुआ और उन्हें कड़ी मेहनत और कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर किया गया।

फ्रांको के शासन के तहत, स्पेन की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में स्थिरता बनी रही। लेकिन यह स्थिरता जनतांत्रिक सिद्धांतों और नागरिक अधिकारों की कीमत पर थी। फ्रांको के शासन ने स्पेन को एक अंधेरे दौर में डाल दिया, जिसमें राजनीतिक असहमति और लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचला गया। उन्होंने कहा कि गृहयुद्ध के बाद के दशक में फ्रेंको शासन द्वारा ‘कम से कम’ 50,000 लोगों को मार दिया गया और सैकड़ों हज़ारों लोगों को बंदी बना लिया गया क्योंकि फ्रेंको ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी।

फ्रांको की मृत्यु और तानाशाही का अंत (End Of Dictatorship In Spain)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

फ्रांको ने 20 नवंबर, 1975 को मृत्यु को प्राप्त किया। उसकी मृत्यु के बाद स्पेन में एक नये युग की शुरुआत हुई। उसके निधन के साथ ही स्पेन ने तानाशाही शासन के बाद लोकतांत्रिक प्रणाली की ओर वापसी की। 1977 में एक नया संविधान तैयार किया गया, जो स्पेन में लोकतंत्र की स्थापना के साथ-साथ मानवाधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक कदम था। साथ ही 06 दिसंबर, 1978 में स्पेन में 40 साल के तानाशाही शासन के बाद देश के नागरिकों ने लोकतंत्र की स्थापना के लिए मतदान किया। यह जनमत संग्रह संविधान की स्वीकृति के लिए कराया गया।

फ्रांको की मृत्यु के बाद, स्पेन में राजनीतिक बदलाव आया और विभिन्न पार्टियों ने चुनावों में भाग लिया। नए संविधान के तहत स्पेन को एक संवैधानिक राजतंत्र के रूप में पुनर्गठित किया गया और तब से अब तक स्पेन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया लगातार बनी हुई है।

आज का स्पेन: तानाशाही के प्रभाव

आज स्पेन एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है। लेकिन उसकी तानाशाही की छाप अभी भी समाज और राजनीति में देखने को मिलती है। फ्रांको के शासन के दौरान किए गए अत्याचारों को लेकर आज भी विवाद हैं। 2007 में फ्रांको के शासन के दौरान किए गए अपराधों के बारे में एक कानून बनाया गया था। लेकिन कुछ लोग अभी भी इसके खिलाफ हैं और इसे राजनीति में घसीटने का आरोप लगाते हैं। हालांकि, स्पेन में तानाशाही के बाद लोकतांत्रिक सुधार हुए हैं। लेकिन समाज में फैली असमानता और असंतोष कभी-कभी तानाशाही के प्रभावों की याद दिलाती है।

आधुनिकीकरण का एक अभूतपूर्व दौर

पिछले 40 वर्षों में स्पेन ने समृद्धि और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अभूतपूर्व अवधि का आनंद लिया है, यहां तक ​​कि 2014 में समाप्त हुई लंबी मंदी को भी ध्यान में रखा जाए तो परिवर्तन बहुत बड़े रहे हैं। देश ने किसी भी अन्य यूरोपीय देश की तुलना में बहुत कम समय में अपने राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक आधुनिकीकरण को हासिल कर लिया है-

1. 1975 और 2015 के बीच आर्थिक उत्पादन लगभग दस गुना बढ़कर लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

2. प्रति व्यक्ति आय 3,000 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 30,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गयी।

3. अर्थव्यवस्था की संरचना बहुत भिन्न है। उत्पादन में कृषि का हिस्सा 9 फ़ीसदी से घटकर 2.5 फ़ीसदी हो गया। निर्माण सहित उद्योग का हिस्सा 39 फ़ीसदी से घटकर 23 फ़ीसदी हो गया तथा सेवा क्षेत्र का हिस्सा 52 फ़ीसदी से बढ़कर 74 फ़ीसदी हो गया।

4. क्षेत्रवार रोजगार में और भी अधिक परिवर्तन हुआ है। आज केवल 4 फ़ीसदी रोजगार कृषि क्षेत्र में हैं, जबकि 1975 में यह 22 फ़ीसदी था; उद्योग और निर्माण क्षेत्र में 14 फीसदी रोजगार है, जो 38 फीसदी से कम है, जबकि सेवा क्षेत्र में 76 फीसदी रोजगार उपलब्ध हैं।

5. वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात तीन गुना से भी अधिक बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 32 फीसदी हो गया।

स्पेन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवक 1980 में 5.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (प्रारंभिक दर्ज आंकड़ा) से बढ़कर 2014 में 722 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गयी।

6. सुप्रसिद्ध बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के निर्माण के साथ प्रत्यक्ष निवेश का बाह्य स्टॉक 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 674 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

7. इस वर्ष पर्यटकों की संख्या 27 मिलियन से बढ़कर अनुमानतः 68 मिलियन हो गयी।

8. 1975 में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर 123 कारें थीं और आज यह संख्या 500 से अधिक है।

9. जनसंख्या में 10.4 मिलियन की वृद्धि हुई और यह 46.4 मिलियन हो गई, जो कि मुख्यतः 10 वर्ष की अवधि में आप्रवासियों के अभूतपूर्व आगमन के परिणामस्वरूप हुई। 2008-13 के संकट से पहले के दशक में स्पेन में किसी भी अन्य यूरोपीय संघ के देश की तुलना में जनसंख्या के अनुपात में अधिक आप्रवासी आए।

10. 1975 में पुरुषों और महिलाओं की औसत जीवन प्रत्याशा 73.3 वर्ष थी, आज यह 82 वर्ष है। स्पेन की महिलाएं 85 वर्ष तक जीवित रहती हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है।

11. 1975 में करीब 30 फीसदी आबादी 15 वर्ष से कम आयु की थी, आज यह 15 फीसदी है। 65 वर्ष से अधिक आयु वालों की संख्या 10 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी से अधिक हो गई है।

12. प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या आधी से भी अधिक घटकर 1.3 रह गई है, जो विश्व की सबसे कम प्रजनन दरों में से एक है।

13. आज कामकाजी आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 46 फीसदी है, जो 1975 में 30 फीसदी थी। महिला विश्वविद्यालय की छात्राएं पुरुष स्नातकों से ज़्यादा हैं और संसद में 40 फ़ीसदी सीटें रखती हैं।

14. समाज भी तेज़ी से धर्मनिरपेक्ष होता जा रहा है और रोमन कैथोलिक चर्च से कम प्रभावित हो रहा है, जो फ्रेंको शासन के अंतिम वर्षों तक एक स्तंभ था।

स्पेन का तानाशाही शासन एक गहरे और अंधेरे दौर का प्रतीक है, जिसमें नागरिक अधिकारों का उल्लंघन और स्वतंत्रता पर प्रतिबंध थे। फ्रांको का शासन एक दुखद अध्याय था। लेकिन उसकी मृत्यु के बाद स्पेन ने लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ाया। इस तानाशाही ने स्पेन में एक लंबी राजनीतिक अस्थिरता, समाजिक दबाव और जनसंघर्ष को जन्म दिया, जिनसे आज भी देश जूझ रहा है।



Shreya

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