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क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का निधन, इन्हें 634 बार मारने की हुई थी कोशिश

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Published on: 26 Nov 2016 11:27 AM IST
क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का निधन, इन्हें 634 बार मारने की हुई थी कोशिश
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क्यूबाः पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का लंबी बीमारी के बाद 90 साल की उम्र में निधन हो गया। यह घोषणा क्यूबा के वर्तमान राष्ट्रपति और फिदेल के भाई राउल कास्त्रो ने शनिवार को की। फिदेल काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने साल 2008 में स्वेच्छा से क्यूबा के राष्ट्रपति का पद छोड़ दिया था, लेकिन वह क्यूबा कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने रहे।

क्रांतिकारी सोच

-बता दें कि फिदेल 1959 से दिसंबर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री रहे। उसके बाद वह क्यूबा के राष्ट्रपति बने।

-फिदेल एक क्रांतिकारी नेता थे। वह एक अमीर परिवार में पैदा हुए थे।

-फिदेल का राजनीतिक करियर हवाना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते समय शुरू हुआ।

-छात्र जीवन की राजनीति के बाद फिदेल क्यूबा की राष्ट्रीय राजनीति में शामिल हो गए।

जेल में रहे

-देश की राजनीति में उनकी शुरुआत फुल्गेंकियो बतिस्ता शासन से हुई।

-क्यूबा के हितों के समर्थन में वह अमेरिकी नीतियों और कॉरपोरेट कंपनियों के प्रभाव के हमेशा आलोचक रहे।

-फिदेल ने मोंकाडा बैरकों पर 1953 में असफल हमले का नेतृत्व किया था। उसके बाद वह अरेस्ट हो गए और उन पर केस चला।

-उन्हें काफी दिनों जेल में रखा गया, लेकिन फिर रिहा कर दिया गया।

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पीएम मोदी ने भी ट्विट कर फिदेल कास्त्रो को लेकर अपनी संवेदना जाहिर की ।



634 बार मारने की हुई थी कोशिश

कास्त्रो का दावा था कि अमेरिका ने उन्हें 634 बार मारने की कोशिश की थी। कास्त्रो का दावा था कि उन्हें 634 बार मारने की कोशिश की गई थी। ये साजिश अमेरिकी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) इसकी मास्टरमाइंड थी। साथ ही इसमें अमेरिकी बेस्ड निर्वासित संगठनों का भी हाथ था। कास्त्रो का कहना था कि मारने के लिए जहरीली दवा, जहरीले सिगार, विस्फोटक और केमिकल वाले डायविंग सूट का इस्तेमाल किया गया था।

82 लोगों से की थी क्रांति की शुरुआत

कास्त्रो ने कहा था, 'क्रांति मैंने 82 लोगों के साथ शुरू की थी। अब दोबारा ऐसा करना पड़ा तो महज 10-15 लोगों की जरूरत होगी। यह मायने नहीं रखता कि आप कितने छोटे हैं। अगर आपके पास प्लान और यकीन है तो जीत मिलती है।'

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उस वक्त के सबसे युवा नेता थे कास्त्रो

गौरतलब है कि 1959 में जब कास्त्रो क्यूबा की सत्ता पर काबिज हुए थे तो उनकी उम्र महज 32 साल थी। पूरे लैटिन अमेरिका में वो सबसे युवा नेता थे। दशकों तक वे लैटिन अमेरिका और अफ्रीका तक रेवोल्यूशन की इंस्पिरेशन बने रहे।

सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड

क्यूबा में लोग उनके 6-6 घंटे के भाषणों के दीवाने थे। फिदेल कास्त्रो के नाम स्पीच देने का एक गिनीज बुक रिकॉर्ड भी दर्ज है। 29 सितंबर 1960 में उन्होंने यूएन में 4 घंटे 29 मिनट की स्पीच दी थी। किसी भी वर्ल्ड बॉडी में अभी तक इतनी लंबी स्पीच नहीं दी गई है। इसके अलावा उनका 7 घंटे 10 मिनट का सबसे लंबा भाषण क्यूबा में 1986 में रिकॉर्ड किया गया था। ये भाषण उन्होंने हवाना में कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस के प्रोग्राम में दिया था। 2012 में टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया के 100 प्रभावशाली शख्सियतों में शुमार किया था।



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