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अब यूरोपीय अदालतों में युद्ध पीडि़तों की लड़ाई

seema
Published on: 17 Aug 2018 1:21 PM IST
अब यूरोपीय अदालतों में युद्ध पीडि़तों की लड़ाई
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अब यूरोपीय अदालतों में युद्ध पीडि़तों की लड़ाई

बर्लिन: सात साल में हजारों लोगों की मौत, लाखों लोगों के विस्थापन और शहरों की बर्बादी के बाद अब सीरिया की भयंकर लड़ाई खत्म होने की राह में है जिसमें रूस और ईरान के सहयोग से राष्ट्रपति बशर अल असद की जीत साफ दिखाई पड़ रही है। लेकिन इस लड़ाई में अपना सब कुछ खो चुके लोग एक आखिरी लड़ाई यूरोप की अदालतों में लड़ रहे हैं। सीरिया के मानवाधिकार वकील अनवर अल बुन्नी २०१४ में सीरिया से भाग कर जर्मनी पहुंचे थे। अनवर के संघर्ष का ही नतीजा है कि जर्मनी के फेडरल सुप्रीम कोर्ट ने सीरिया के एक टॉप मिलिट्री अधिकारी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है। अनवर ने जो आपराधिक शिकायत दर्ज करायी थी उसके अनुसार सीरिया की कुख्यात एयर फोर्स इंटेलिजेंस डाइरक्टोरेट के मुखिया जमील हसन की निगरानी में सीरिया में सबसे ज्यादा जुल्म ढाए गए जिसमें योजनाबद्ध तरीके से रेप और हजारों लोगों की हत्याएं शामिल हैं।

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हाल के वर्षों में लाखों सीरियायी नागरिकों ने जर्मनी में शरण ली है। इन्हीं में से ढेरों लोग अब न्याय के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं। विधि विशेषज्ञों के अनुसार जुल्मों के शिकार लोगों के लिए यही आखिरी उम्मीद है। सीरियायी शरणार्थियों की मदद करने वालों में बर्लिन स्थित यूरोपियन सेंटर फॉर कांस्टीट्यूशनल एण्ड ह्यूमन राइट्स भी शामिल है। इस संगठन ने जर्मनी आौर ऑस्ट्रिया में आपराधिक शिकायतें दर्ज करायीं हैं। जर्मनी के अलावा सीरियायी लोगों को न्याय दिलाने के लिए अमेरिका, यूके तथा अन्य देशों में भी अभियान छेड़े गए हैं। वाशिंगटन में तो सीरिया के हालातों, वहां ढाए गए जुल्मों की दास्तान दुनिया को बताने के लिए एक म्यूजियम भी बनाया गया है।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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