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डोनाल्ड ट्रंप ने संरक्षित भूमि में सबसे बड़ी कटौती का आदेश दिया

raghvendra
Published on: 8 Dec 2017 4:21 PM IST
डोनाल्ड ट्रंप ने संरक्षित भूमि में सबसे बड़ी कटौती का आदेश दिया
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वाशिंगटन : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के इतिहास में सार्वजनिक संरक्षित भूमि में अब तक की सबसे बड़ी कटौती का आदेश दिया है। ट्रंप ने परिस्थितिकी वैज्ञानिकों और अमेरिका के मूल निवासियों की कड़ी निंदा के बीच यूटा प्रांत में दो राष्ट्रीय स्मारकों की भूमि में 9,200 वर्ग किलोमीटर की कटौती का आदेश दिया है। सॉल्ट लेक सिटी के दौरे पर ट्रंप ने अपने पूर्ववर्ती बराक ओबामा द्वारा नामित ‘बियर्स इयर्स’ की संघीय संरक्षित भूमि को 13 लाख एकड़ से घटाकर लगभग 2,20,000 एकड़ करने का आदेश दिया।

राष्ट्रपति ने ग्रैंड स्टेयरकेस-एस्केलेनट के आकार को 19 लाख एकड़ से घटाकर केवल 10 लाख एकड़ तक करने का आदेश दिया। ग्रैंड स्टेयरकेस-एस्केलेनट को पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा राष्ट्रीय स्मारक नामित किया गया था। ट्रंप ने उन लोगों की आलोचना की ‘जिनकी राय यह थी कि यूटा के प्राकृतिक संसाधनों को वाशिंगटन स्थित नौकरशाहों द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए।’ ट्रंप ने कहा कि उनका यह ‘ऐतिहासिक’ कदम संघीय सरकार द्वारा अतिक्रमण करने के विपरीत यूटा के नागरिकों के लिए भूमि के अधिकार को बहाल करने के लिए उठाया गया है।

1906 एंटीक्वटीज एक्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्मारक, जो संघ द्वारा संरक्षित भूमि हैं, राष्ट्रपतियों द्वारा कंाग्रेस की मंजूरी के बिना बनाया जा सकता है, हालांकि राष्ट्रीय पार्कों के लिए कंाग्रेस की मंजूरी की आवश्यकता होती है। ट्रंप ने कहा कि व्हाइट हाउस में उनके पूर्ववॢतयों ने उस कानून का उल्लंघन किया जो संघीय नियंत्रण के तहत अधिक जमीन और पानी की जगह लेता है। उन्होंने दावा किया कि ऐसा करने से स्थानीय निवासियों से निर्णय लेने की योग्यता छीन ली गई कि वह उन क्षेत्रों का सर्वोत्तम उपयोग कैसे करें।

इस फैसले के विरोध में पांच अमेरिकी मूल जनजातियां ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा करने जा रही हैं। ये जनजातियां बीयर्स इयर्स के लिए संघीय संरक्षण पाने के लिए दबाव डाल रही हैं। इन जनजातियों में होपी, नवाजो नेशन, यूटे पर्वत जनजाति, पुएब्लो और यूटे इंडियन जनजाति शामिल हैं।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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