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US News: कौन हैं काश पटेल, जिन्हें एफबीआई चलाने के लिए ट्रम्प ने चुना
US News: दिलचस्प बात ये है कि 44 वर्षीय काश पटेल भी डोनाल्ड ट्रम्प की तरह एफबीआई के काम करने के ढंग, नौकरशाही, भ्रष्टाचार और डीप स्टेट के कट्टर आलोचक रहे हैं।
US News: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सबसे वफादार सहयोगियों में से एक काश पटेल को फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (एफबीआई) चलाने के लिए नामित किया है। दिलचस्प बात ये है कि 44 वर्षीय काश पटेल भी डोनाल्ड ट्रम्प की तरह एफबीआई के काम करने के ढंग, नौकरशाही, भ्रष्टाचार और डीप स्टेट के कट्टर आलोचक रहे हैं।
काश पटेल एफबीआई के चीफ के पद पर क्रिस्टोफर रे का स्थान लेंगे, जिन्हें खुद ट्रम्प ने ही अपने पहले कार्यकाल में 2017 में नियुक्त किया था और जिनका 10 साल का कार्यकाल 2027 तक का है। पटेल को पद संभालने के लिए रे को या तो बर्खास्त करना होगा या इस्तीफा देना होगा।
जानिए काश पटेल के बारे में
काश पटेल का पूरा नाम कश्यप प्रमोद विनोद पटेल है। उनका जन्म न्यूयॉर्क शहर में 25 फरवरी,1980 को हुआ था। वे मूल रूप से गुजरात के अप्रवासी माता-पिता की संतान हैं, जो 70 के दशक में उगांडा से कनाडा आ गए थे। फिर अमेरिका में आकर बस गए थे। उनके पिता एक विमानन फर्म में वित्तीय अधिकारी के रूप में काम करते थे। काश पटेल ने कहा है कि उनका हमेशा भारत के साथ ‘बहुत गहरा’ संबंध रहा है।काश पटेल ने लॉन्ग आइलैंड के गार्डन सिटी हाई स्कूल से स्नातक किया। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से अंतर्राष्ट्रीय कानून में सर्टिफिकेट लेने के बाद 2005 में पेस यूनिवर्सिटी से कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इससे पहले, उन्होंने रिचमंड विश्वविद्यालय से आपराधिक न्याय और इतिहास में स्नातक की डिग्री पूरी की।
उन्होंने मियामी-डेड काउंटी में एक सार्वजनिक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया। 2014 में, पटेल न्याय विभाग के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाग में एक संघीय अभियोजक बन गए और इस भूमिका में उन्होंने अल-कायदा, आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी समूहों के सदस्यों के खिलाफ अभियोजन का नेतृत्व किया। पटेल ने संघीय सरकार में कई भूमिकाएँ निभाई हैं, जिनमें रक्षा विभाग के चीफ ऑफ़ स्टाफ़ और ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान उप सहायक के रूप में काम करना शामिल है। पेंटागन में अपने कार्यकाल से पहले, पटेल ने राष्ट्रीय खुफिया विभाग के उप निदेशक और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में राष्ट्रपति के उप सहायक के रूप में कार्य किया।
हालाँकि काश पटेल को अमेरिकी प्रशासन में बहुत से लोगों ने पसंद नहीं किया, बताया जाता है कि एक बार, जब ट्रम्प ने कहा कि वे पटेल को डिप्टी सीआईए निदेशक के रूप में नियुक्त करना चाहते हैं तो तत्कालीन सीआईए निदेशक जीना हास्पेल ने कथित तौर पर इस्तीफा देने की धमकी दी थी । काश पटेल ने ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में आतंकवाद निरोधक प्रभाग की देखरेख करना और बाद में रक्षा विभाग में चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य करना शामिल था। व्हाइट हाउस में अपनी भूमिकाओं से पहले, पटेल ने कांग्रेस में हाउस इंटेलिजेंस कमेटी में काम किया, जहाँ उन्होंने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में कथित रूसी हस्तक्षेप की जाँच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने एफबीआई और न्याय विभाग द्वारा ट्रम्प अभियान की गैरकानूनी निगरानी को भी उजागर किया था।
ट्रंप के पद छोड़ने के तुरंत बाद, पटेल ने ‘फाइट विद काश’ नामक एक संगठन शुरू किया, जो मानहानि के मुकदमों को फण्ड देता है और कई तरह के सामान भी बेचता है। पटेल ने ट्रम्प को आधार बना कर बच्चों की किताबें भी लिखी हैं, एक का नाम है ‘द प्लॉट अगेंस्ट द किंग’ जिसमें हिलेरी क्लिंटन को खलनायक के रूप में दिखाया गया है जबकि काश एक जादूगर की भूमिका निभाता है जो उनकी योजनाओं को विफल करता है। उन्होंने एक और किताब लिखी - गवर्नमेंट गैंगस्टर्स - जो एक संस्मरण और आंशिक रूप से तथाकथित डीप स्टेट के खिलाफ़ वर्णन है।
ट्रम्प ने काश को क्यों चुना?
काश पटेल लंबे समय से डोनाल्ड ट्रम्प के भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं। उनका ट्रम्प के प्रति आस्था और समर्पण मजबूत और पक्का रहा है। पटेल की सोच भी ट्रम्प की सोच से पूरी तरह मेल खाती है। एफबीआई के कामकाज और शासन तंत्र पर ‘डीप स्टेट’ के शिकंजे पर दोनों का ही समान रुख है। पटेल की उम्मीदवारी को ट्रम्प के प्रमुख समर्थकों से भी पूरा समर्थन मिला है, इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो एफबीआई और न्याय विभाग में डोनाल्ड ट्रम्प के एजेंडे का समर्थन करते हैं। पटेल न्यूयॉर्क में ट्रम्प के आपराधिक मुकदमे के दौरान उनके साथ न्यायालय में गए थे। उन्होंने 6 जनवरी, 2021 को यूएस कैपिटल में हुए दंगे से पहले 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों को पलटने के ट्रम्प के प्रयासों से संबंधित कोलोराडो कोर्ट की सुनवाई में ट्रम्प के पक्ष में गवाही भी दी थी।
ट्रम्प ने काश पटेल के नौमिनेशन की घोषणा करते हुए कहा है कि पटेल एफबीआई में "निष्ठा, बहादुरी और ईमानदारी" को बहाल करेंगे। पटेल के नेतृत्व में एफबीआई "अमेरिका में बढ़ती अपराध महामारी को समाप्त करेगी, प्रवासी आपराधिक गिरोहों को खत्म करेगी और सीमा पार मानव और मादक पदार्थों की तस्करी के बुरे अभिशाप को रोकेगी।‘
एफबीआई पर पटेल का रुख
काश पटेल ने इंटरव्यू और सार्वजनिक बयानों के जरिये से एफबीआई को खत्म करने और इसके मिशन को मौलिक रूप से नया रूप देने के दृढ़ संकल्प का संकेत दिया है। उन्होंने ब्यूरो के अधिकारक्षेत्र को नाटकीय रूप से कम करने और इसके अधिकार को सीमित करने का आह्वान किया है। एक साक्षात्कार में पटेल ने एफबीआई की खुफिया जानकारी जुटाने की गतिविधियों को उसके बाकी मिशन से अलग करने का वादा किया था, कहा था कि वह वाशिंगटन डीसी में ब्यूरो के मुख्यालय भवन को बंद कर देंगे, और इसे 'डीप स्टेट' के संग्रहालय के रूप में फिर से खोल देंगे।
क्या है एफबीआई
संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) अमेरिका की घरेलू खुफिया और सुरक्षा सेवा है और देश की प्रमुख संघीय कानून प्रवर्तन एजेंसी है। एफबीआई अमेरिका के न्याय विभाग की एक एजेंसी है, जो देश की खुफिया एजेंसियों में भी शामिल है। एफबीआई अमेरिका के अटॉर्नी जनरल और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक, दोनों को रिपोर्ट करती है। एफबीआई के पास संघीय अपराधों की 200 से अधिक श्रेणियों के उल्लंघन पर अधिकार क्षेत्र है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में एफबीआई की गतिविधियाँ ब्रिटिश एमआई 5 और एनसीए और रूसी एफएसबी की गतिविधियों के बराबर हैं। जहाँ केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) विदेशों में खुफिया जानकारी एकत्र करने पर केंद्रित है, वहीँ एफबीआई मुख्य रूप से एक घरेलू एजेंसी है, लेकिन अपने घरेलू फोकस के बावजूद, एफबीआई एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पहचान भी बनाए रखती है। दुनिया भर में अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में 60 लीगल अटैच कार्यालयों और 15 उप-कार्यालयों का संचालन एफबीआई करती है। ये विदेशी कार्यालय मुख्य रूप से विदेशी सुरक्षा सेवाओं के साथ कोआर्डिनेट करते हैं। एफबीआई कभी-कभी विदेशों में भी गुप्त गतिविधियाँ करती है।
एफबीआई की स्थापना 1908 में ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन, बीओआई या संक्षेप में बीआई के रूप में की गई थी। इसका नाम 1935 में बदलकर फेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) कर दिया गया। एफबीआई का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. में जे. एडगर हूवर बिल्डिंग में है। एफबीआई के पास समूचे अमेरिका में अपराध इन्वेस्टीगेशन का अधिकार होता है। सीआईए की तरह एफबीआई अत्यंत एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से लैस है।
- आतंकवाद : एफबीआई के मुताबिक आतंकवाद का मुकाबला उसकी सर्वोच्च जांच प्राथमिकता है। एजेंसी घरेलू चरमपंथियों को बेअसर करने और दुनिया भर में आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करने में मदद करने के लिए अपनी जांच और खुफिया क्षमताओं का उपयोग करती है।
- साइबर अपराध : एफबीआई अपराधियों, विदेशी दुश्मनों और आतंकवादियों द्वारा किए गए साइबर हमलों की जांच करने वाली प्रमुख संघीय एजेंसी है।
- काउंटर इंटेलिजेंस : एफबीआई अमेरिका में जासूसी सहित खुफिया गतिविधियों को उजागर करने, रोकने और जांच करने वाली प्रमुख एजेंसी है।
- नागरिक अधिकार : नागरिक अधिकार कानून को लागू करना भी इसी एजेंसी का काम है। यह हेट क्राइम, सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा कानून के दुरुपयोग, मानव तस्करी और गुलामी, तथा इलाज तक पहुँच की स्वतंत्रता के उल्लंघन की जाँच करती है।
- सार्वजनिक भ्रष्टाचार : सार्वजनिक भ्रष्टाचार की जाँच एफबीआई की टॉप प्राथमिकता है, जिसमें सीमा भ्रष्टाचार, चुनाव अपराध, अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार और जेल भ्रष्टाचार शामिल हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध : एफबीआई अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध ग्रुपों को खत्म करने के लिए समर्पित है। एजेंसी का मानना है ये ग्रुप अमेरिका की राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।
- हिंसक अपराध : गिरोहों से जुड़े हिंसक अपराध, बच्चों के खिलाफ अपराध, भगोड़े और लापता व्यक्ति, अपहरण और बैंक डकैती से निपटने में एफबीआई महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- सफेदपोश अपराध : एफबीआई का मानना है कि सफेदपोश अपराध किसी कंपनी को नष्ट कर सकते हैं, किसी व्यक्ति की जीवन भर की बचत को खत्म कर सकते हैं, निवेशकों को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचा सकते हैं और संस्थानों में जनता के विश्वास को खत्म कर सकते हैं। ऐसे अपराधों के खिलाफ एफबीआई काम करती है।
- पर्यावरण अपराध : एजेंसी उन आपराधिक मामलों की जांच करती है, जिन्होंने पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य, श्रमिक सुरक्षा और पशु कल्याण की रक्षा के लिए बनाए गए अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन किया है।