TRENDING TAGS :
Donald Trump News: ट्रम्प कसेंगे पेंच, चीन की इकॉनमी का बंटाधार तय
Donald Trump News: 2018 में चीन का रियल एस्टेट बाजार मजबूत था, जिसने उसकी लगभग एक चौथाई आर्थिक गतिविधि को आगे बढ़ाया।
Donald Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत से चीन, खास तौर पर उसकी इकॉनमी पर गहरा असर पड़ने की पूरी संभावना है। ट्रम्प पहले ही धमका चुके हैं कि वह अमेरिका में चीनी वस्तुओं के आयात पर 60 प्रतिशत टैरिफ लगा देंगे। ऐसा होने पर चीन जैसी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ पर बड़ा ख़तरा पैदा हो जाएगा क्योंकि चीन से अमेरिका में बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट होता है।
पहले भी चीन को कस चुके हैं ट्रम्प
ट्रम्प ने पहले कार्यकाल में भी चीन को कसा था और इम्पोर्ट पर 7.5 से लेकर 25 फीसदी तक टैरिफ दरें लगा दीं थीं, अब ट्रम्प ने 60 फीसदी टैरिफ की बात हाई है जो बहुत ज्यादा है, इसके अलावा चीन की अर्थव्यवस्था भी बहुत कमजोर स्थिति में है।
रियल एस्टेट संकट
2018 में चीन का रियल एस्टेट बाजार मजबूत था, जिसने उसकी लगभग एक चौथाई आर्थिक गतिविधि को आगे बढ़ाया। इस मजबूती के चलते चीन को टैरिफ के झटके को सहने में मदद मिली। लेकिन 2021 के बाद से चीन के रियल एस्टेट में भारी गिरावट आई है और नतीजतन सरकार के राजस्व में गिरावट आई है। अब हालत ये है कि चीन में मकानों की भारी ओवर सप्लाई है। इसका मतलब है कि रियल एस्टेट क्षेत्र अब आगे शायद ही चीनी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में मदद कर पाए।
रियल एस्टेट क्षेत्र की मंदी ने स्थानीय सरकारों को कर्जे के बोझ तले दबा दिया है। हालाँकि बीजिंग उनकी देनदारियों पर अंकुश लगाने के लिए उन्हें मदद दे रहा है, लेकिन बोझ बहुत बड़ा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2023 के अंत में कुल सरकारी क्षेत्र के ऋण की गणना 147 ट्रिलियन युआन ( 20.7 ट्रिलियन डालर) की है। घरेलू और कॉर्पोरेट ऋण को जोड़ें और यह संख्या 350 ट्रिलियन युआन को पार कर जाती है - बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के अनुसार, ये रकम चीनी अर्थव्यवस्था के आकार का लगभग तीन गुना है।
कमजोर घरेलू मांग
कम मजदूरी, कम पेंशन, बढ़ती बेरोजगारी और कमजोर सामाजिक सुरक्षा के चलते चीन का घरेलू खर्च जीडीपी के 40 फीसदी से नीचे है, जो वैश्विक औसत से लगभग 20 प्रतिशत अंक पीछे है। अब तक सरकार ने निर्यात पर निर्भर विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा और बैटरी में उल्लेखनीय सफलता मिली है। लेकिन इसने अमेरिका, यूरोप, तुर्की और अन्य जगहों पर टैरिफ को भी बढ़ावा दिया है। चीन उन क्षेत्रों में बाहरी बिक्री को बढ़ावा देने में सक्षम हो सकता है जहाँ इसकी अर्थव्यवस्था बेहद प्रतिस्पर्धी है, लेकिन बाहरी मांग पर इसका बहुत कम नियंत्रण है।ऐसे में अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से विनिर्माण क्षेत्र पर जबर्दस्त मार हो जायेगी।
कोरोना महामारी के दौरान, अमेरिका ने अपने नागरिकों को नकद सहायता सहित खरबों डॉलर की प्रोत्साहन राशि जारी की थी, जिसके बाद लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ी और चीन में बने सामानों की बिक्री बड़ी तेजी से बढ़ गयी। इसके बाद यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, रूस कई पश्चिमी बाजारों से बाहर हो गया, जिससे उसे चीन से अधिक सामान खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा। ये चीन के लिए अप्रत्याशित अवसर थे लेकिन अब ऐसे अवसर दोहराए जाने की संभावना नहीं है सो ट्रम्प की टैरिफ चीन को गहरा झटका देंगी ये तय है।