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Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान में इसबार फीका रहेगा नेशनल डे परेड, किसी विदेशी मेहमान को बुलावा नहीं
Pakistan Economic Crisis: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। शहबाज शरीफ सरकार देश को इस मुश्किल घड़ी से निकालने के लिए तमाम कोशिशें कर रही हैं, लेकिन अब तक उनके पहल का सार्थक नतीजा नहीं निकल पाया है।
Pakistan Economic Crisis: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। शहबाज शरीफ सरकार देश को इस मुश्किल घड़ी से निकालने के लिए तमाम कोशिशें कर रही हैं, लेकिन अब तक उनके पहल का सार्थक नतीजा नहीं निकल पाया है। पाक सरकार अब पाई-पाई बचाने में जुट गई है। राजकीय खर्चों में भारी कटौती की जा रही है। यही वजह है कि पाकिस्तान में इसबार नेशनल डे काफी फीका रहने वाला है।
इस बार लोगों को सेना का भव्य परेड देखने को नहीं मिलेगा। दरअसल, पाकिस्तान हर साल 23 मार्च को नेशनल डे मनाता है। इस मौके पर पाक आर्मी एक भव्य परेड निकालती है। ये वैसा ही होता है जैसा कि भारत में गणतंत्र दिवस के मौके पर होता है। इस बार यह परेड केवल प्रतीकात्मक होगी यानी पाक आर्मी के फाइर जेट्स और टैंक कोई करतब नहीं दिखाते नजर आएंगे। इसके अलावा इस बार किसी विदेशी मेहमान को भी आमंत्रित नहीं किया गया है।
सरकारी फिजूलखर्ची रोकने की कवायद
पाकिस्तान में हर साल राजधानी इस्लामाबाद के सबसे बड़े मैदान शकरपारियां में नेशनल डे के मौके पर भव्य परेड निकाला जाता है। जिसमें पाकिस्तानी सेना के तीनों अंग अपना करतब दिखाते हैं और हथियारों की प्रदर्शनी होती है। इसके लिए महीनों पहले से तैयारी की जाती है, जिसमें काफी धन खर्च होता है। आटे जैसी बेसिक चीजों के लिए तरस रही आम जनता की मुश्किलों को देखते हुए शक्तिशाली सेना ने इसबार अपनी ताकत न दिखाने का फैसला किया है।
इस बार यह प्रोग्राम खुले मैदान की जगह राष्ट्रपति भवन के लॉन में होगा। इस मौके पर कोई विदेशी मेहमान नहीं होगा। सादे समारोह में केवल पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पाक सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल शामिल होंगे। सरकार का मानना है कि क्राइसिस के समय इस तरह के भव्य कार्यक्रमों का कोई औचित्य नहीं है।
सरकारी खर्चों में हो रही भारी कटौती
भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रही पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के सामने कई गंभीर चुनौतियां मुंह बाए खड़ी है। पाकिस्तान को तत्काल बड़ी आर्थिक मदद की जरूरत है। लेकिन संकट के इस घड़ी में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसी के अलावा उसके सदाबहार मित्र भी खुलकर मदद करने से हिचक रहे हैं। देश का विदेशी मुद्दा भंडार महज 2.79 अरब डॉलर बचा है, जो कि चीन और सऊदी अरब का गारंटी डिपोजिट है। जिसे सरकार खर्च नहीं कर सकती।
पाकिस्तान की अधिकांश आबादी की खरीद क्षमता 42 प्रतिशत तक कम हो गई। महंगाई के कारण रोजमर्रा की चीजों को जुटाना मुश्किल हो रहा है। मुल्क में फैक्ट्रियां मांग नहीं होने के कारण बंद हो रही हैं। विदेशों से सामान का आयात काफी कम हो चुका है, जिसके कारण जरूरी चीजों की भारी कमी देखी जा रही है। शहबाज शरीफ सरकार ने नकदी संकट को दूर करने के लिए कुछ सख्त कदम उठाए हैं। सरकार की कोशिश राजकीय फिजूलखर्ची पर रोक लगाकर करीब 200 अरब पाकिस्तानी रूपये का बचत करना है।