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Duniya Ka Sabse Bada Gaddha: दुनिया का सबसे बड़ा गड्ढा, 100000 वर्ष है पुराना, जानें कहां पर है ये क्रेटर

Duniya Ka Sabse Bada Gaddha: आइए जानते है दुनिया के सबसे बड़े गड्ढे कहां पर है और यह कितना वर्ष पुराना है?

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Newstrack NetworkPublished By Chitra Singh
Published on: 13 Oct 2021 8:32 AM GMT
The Yilan Crater
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द यिलान क्रेटर (फोटो- @ForbesScience Twitter)

Duniya Ka Sabse Bada Gaddha: क्या आपको पता है कि दुनिया का सबसे बड़ा गड्ढा कहां पर है (Duniya Ka Sabse Bada Gaddh kahan per hai)? दरअसल मौसम विज्ञान और ग्रह विज्ञान (Meteoritics & Planetary Science) पत्रिका ने अपने नए शोध में दुनिया के सबसे बड़े गड्ढे के बारे में जिक्र किया है। यह गड्ढा लगभग 1.85 किलोमीटर व्यास में है। चलिए जानते है इस बड़े गड्ढे के बारे में..

मौसम विज्ञान और ग्रह विज्ञान पत्रिका के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा गड्ढा (Largest Meteorite Impact Crater) पूर्वोत्तर चीन के हेइलोंगजियांग (Heilongjiang Northeast China) प्रांत में है। इस गड्ढे को 'द यिलान क्रेटर' (The Yilan Crater) के नाम से पुकारा जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह गड्ढा एक मीटियोराइट (उल्कापिंड) क्रेटर की अलौकिक उत्पत्ति की पुष्टि करता है।

अगर बात करे इस गड्ढे की गहराई की तो इस गड्ढे की गहराई लगभग 300 मीटर से अधिक है। वहीं यह गड्ढा 1.85 किलोमीटर के व्यास में है। कहा जाता है कि पिछले 100,000 वर्षों में यह पृथ्वी पर सबसे बड़ा इम्पैक्ट क्रेटर है।

शोध में पता चला है कि क्रेटर का दक्षिणी का तीसरा भाग गायब है, लेकिन इसका अन्य भाग अच्छी तरह से सुरक्षित है। यह वर्तमान क्रेटर से लगभग 150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जब वैज्ञानिकों ने इसे देखा तो उन्हें पहले संदेह लगा कि ज़िंगान पहाड़ों (Xing'an mountains) के घने जंगलों में बने अर्धचंद्राकार में बना यह गड्ढा कोई रिम होगा, लेकिन इस संरचना के केंद्र से ड्रिलकोर ने इम्पैक्ट ऑर्जिन के लिए मात्र एक सबूत ही ला पाए, जिसमें यह खुलासा हुआ कि यह गड्ढा उल्कापिंड के टकराने से हुआ है।

खोज में पता चला की इस गड्ढे के के नीचे एक झील भी है, जो दलदल का रूप ले चुका है। इसके नीचे 319 मीटर मोटी ग्रेनाइट की परत भी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह उल्कापिंड के जोरदार टक्कर के कारण इसका आधार टूट गया है। वहीं कई जगहों पर पत्थर के पिघले हुए अंश भी मिले है। शोधकर्ताओं का तो यह भी कहना है कि इस टकराव के बाद यहां का तापमान 1200 डिग्री तक गर्म हो गया था और धीरे-धीरे यह ठंडा हो गया। ठंड में बदलने के कारण यह ग्रेनाइड क्रिस्टल के रूप में परिवर्तित हो गया।

शोधकर्ताओं ने टूटी हुई ग्रेनाइट की जांच की। इसके इकाई में बिना पिघले ग्रेनाइट के विस्फोटों की पेट्रोग्राफिक जांच में चौंकाने वाले खनिजों की मौजूदगी पाई गई। इस जांच में जो खनिज पाए गए वे है- क्वार्ट्ज क्रिस्टल, एक अलग पैटर्न के साथ तलीय दरारें, पत्थरों की चादरें आदि।

द यिलान क्रेटर (फोटो- सोशल मीडिया)

100,000 वर्ष पुराना है 'द यिलान क्रेटर'

'द यिलान क्रेटर' का नाम पास के शहर यिलान के नाम पर पड़ा है। कार्बनिक मलबे से प्राप्त रेडियोकार्बन के आधार यह पता लगा कि यह क्रेटर लगभग 47,000 से 53,000 साल से भी पुराना है। लेकिन जब यहां के पत्थरों और परतों की जांच हुई तो पता चला कि यह 100,000 वर्ष पुराना है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जब यह उल्कापिंड से टकराया होगा तो उस समय साइबेरिया और एशिया में रहने वाले मनुष्यों ने इसे जरूर देखा होगा ।

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गड्ढा

बताते चलें कि यिलान क्रेटर के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गड्ढा एरिजोना में स्थित है। इसका व्यास 1.2 किलोमीटर तक है और इसकी चौड़ाई 100 किमी है। यह गड्ढा उत्तर-पश्चिम साइबेरिया में है। इस गड्ढे को पोपीगाई क्रेटर कहा जाता है।

Chitra Singh

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