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Earthquake in Myanmar: भूकंप के झटकों से सहमा म्यांमार, रिक्टर पैमाने पर 4.5 रही तीव्रता
Earthquake in Myanmar: नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.5 मापी गई। हालांकि, इस भूकंप से किसी तरह की जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
Earthquake in Myanmar: इन दिनों दुनिया के कई देशों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। साल के शुरूआत में तुर्किये और सीरिया में भयानक तबाही मची थी। इसके बाद मोरक्को और फिर हाल – फिलहाल में अफगानिस्तान में एक के बाद एक भूकंप के झटकों ने लाशें बिछा दीं। दुनियाभर में हजारों लोग इस साल अब तक इसकी भेंट चढ़ चुके हैं। भारत और नेपाल में भी अब तक छोटे-बड़े कई झटके महसूस किए जा चुके हैं। पड़ोसी देश म्यांमार में भी शनिवार तड़के 4 बजकर 53 मिनट पर धरती डोली।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.5 मापी गई। हालांकि, इस भूकंप से किसी तरह की जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। म्यांमार में इस माह आया यह दूसरा भूकंप है। इससे पहले 23 अक्टूबर को भी लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। सुबह करीब साढ़े छह बजे के आसपास आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.3 मापी गई थी।
भारत में भी बार-बार आ रहा भूकंप
भारत में ही इस साल अब तक छोटे-बड़े भूकंप के कई झटके महसूस किए जा चुके हैं। हिमालयी राज्यों से लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, हरियाणा, यूपी और बिहार जैसे राज्यों में धरती कई बार हिल चुकी है। बताया जाता है कि हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर हो गई है। इसके चलते लंबे समय तक इस तरह के भूकंप आते रहेंगे। जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और नेपाल में आने वाले भूकंपों का असर इस सटे राज्यों में भी देखने को मिलता है।
क्यों आता है भूकंप ?
पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब अधिक दवाब बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती है और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
रिक्टर स्केल और भूकंप की तीव्रता का संबंध
0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर केवल सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है। 2 से 2.9 रिक्टर स्केल का भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है। 3 से 3.9 रिक्टर स्केल का भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए ऐसा महसूस होता है। 4 से 4.9 रिक्टर पैमाने का भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। 5 से 5.9 रिक्टर स्केल का भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है। 6 से 6.9 तीव्रता का भूकंप आने पर इमारत की नींव दरक सकती है। 7 से 7.9 तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतें जमींदोज हो सकती हैं और जमीन के नीचे बिछे पाइप फट सकते हैं। 8 से 8.9 तीव्रता का भूकंप आने पर बड़ी से बड़ी इमारतें और विशाल पुल भी ढ़ह सकते हैं। 9 और उससे ज्यादा की तीव्रता वाले भूकंप का मतलब है संपूर्ण तबाही। अगर किसी समंदर के किनारे इतनी तीव्रता वाला भूकंप आता है तो सुनामी आ जाएगा।