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पाक की कैद से ये खूंखार आतंकी फरार, मलाला पर हमले का है आरोपी

इस क्लिप में खूंखार आतंकी एहसान ने कहा है कि वह 2017 में अपने आत्म समर्पण के समय किये गए वादों के पूरे न होने पर पाकिस्तानी बलों के चंगुल से निकल गया है। डान और द एक्सप्रेस ट्रिब्यून सहित पाकिस्तानी अखबारों ने लिखा है कि एहसान आतंकवादियों को निशाना बनाने और पकड़ने के एक अभियान के दौरान भागने में सफल रहा है।

राम केवी
Published on: 9 Feb 2020 2:25 PM GMT
पाक की कैद से ये खूंखार आतंकी फरार, मलाला पर हमले का है आरोपी
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पाक की कैद से खूंखार आतंकी फरार हो गया है। पाकिस्तान के सुरक्षा बल उससे सौदेबाजी में लगे हैं लेकिन उसने वापस लौटने से मना कर दिया है। ये खूंखार आतंकी मलाला यूसुफजई पर हमले सहित तमाम आतंकवादी वारदातों का आरोपी है। मजे की बात ये है कि पाकिस्तान तालिबान के पूर्व प्रवक्ता इस खूंखार आतंकी एहसानुल्लाह एहसान ने इस हफ्ते खुद ही सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप जारी करके दावा किया है कि वह पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों की हिरासत से 11 जनवरी को फरार हो गया है। इसके बाद हड़कंप मचा है।

इस क्लिप में खूंखार आतंकी एहसान ने कहा है कि वह 2017 में अपने आत्म समर्पण के समय किये गए वादों के पूरे न होने पर पाकिस्तानी बलों के चंगुल से निकल गया है। डान और द एक्सप्रेस ट्रिब्यून सहित पाकिस्तानी अखबारों ने लिखा है कि एहसान आतंकवादियों को निशाना बनाने और पकड़ने के एक अभियान के दौरान भागने में सफल रहा है।

तहरीक ए तालिबान (टीटीपी) और जमात उल अहरर (जेयूए) का पूर्व प्रवक्ता एहसान 2012 में मलाला यूसुफजई पर गोली चलाने और 2014 में पेशावर आर्मी स्कूल पर हुए हमले में शामिल था।

एहसानुल्लाह एहसान कौन है

पाकिस्तान के अखबार डान के अनुसार खूंखार आतंकी एहसान का असली नाम लियाकत अली है। वह 2014 तक तहरीक ए तालिबान (टीटीपी) का प्रवक्ता रहा इसके बाद वह जमात उल अहरर (जेयूए) में चला गया जोकि टीटीपी से अलग हुआ धड़ा था।

इन संगठनों का प्रवक्ता रहते हुए एहसान ने मीडिया कैम्पेन चलाए और सोशल मीडिया नेटवर्कों का इस्तेमाल किया। इसके अलावा उसने आतंकवादियों के हमलों की जिम्मेदारी लेने के लिए स्थानीय पत्रकारों से संपर्क किया।

टीटीपी व जेयूए पाकिस्तान में हुए बड़े आतंकवादी हमलों में शामिल रहे हैं जिनमें 2016 में ईस्टर के मौके पर लाहौर में हुआ हमला भी शामिल है जिसमें 75 लोग मारे गए थे।

कोर्ट ने रिहाई कर दी थी फेल

अप्रैल 2017 में एहसान ने पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष समर्पण कर दिया था। इसे सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता माना गया था। लेकिन दिसंबर में पेशावर हाई कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने पाकिस्तान सरकार द्वारा एहसान की रिहाई पर रोक लगा दी थी।

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डान की रिपोर्ट के अनुसार एहसान संवेदनशील और सटीक सूचनाओं की शेयरिंग करता था। जिससे पाकिस्तान के भीतर और बाहर आतंकवादियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने में मददगार होती थीं।

पाक सेना ने नहीं पूरा किया पैसा देने का वादा

न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार आडियो क्लिप में एहसान ने दावा किया है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के समक्ष उसने एक सौदे के तहत गिरफ्तारी दी थी। जिसके तहत उससे और अधिक जानकारियां लेने के लिए वादा किया गया था। 2017 में एहसान सुरक्षाबलों से भारी मात्रा में पैसा मिलने के बदले आत्मसमर्पण करने पर राजी हो गया था।

खबर में यह भी कहा गया है कि एहसान को सामान्य हिरासत में नहीं रखा गया था बल्कि उसे पेशावर के हयताबाद में एक मकान में रखा गया था जहां वह आराम से रह रहा था और उसके एक बच्चा भी था।

भुगतान के लिए तीन साल तक इंतजार करने के बाद एहसान और उसका परिवार जनवरी में फरार हो गया था। पाकिस्तानी एजेंसियों ने उसे वापस लौटने के लिए और पैसा देने का वादा किया लेकिन उसने मना कर दिया। समझा जा रहा है कि एहसान पाकिस्तानी और अफगान सीमा के पहाड़ी इलाके में छिपा हुआ है।

राम केवी

राम केवी

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