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आज भी यहां जिन्नातों की लगती है कचहरी, शौतानो को मिलती है सजा

आपने लोगों से जिन्नों के बारे में तो जरूर सुना होगा। कहा जाता था कि जिन्न बहुत शक्तिशाली होते हैं इन अलौकिक शक्तियों के द्वारा वे कोई भी काम बहुत आसानी से कर सकते थे। लेकिन आज जैसे जैसे विज्ञान तरक्की करता जा रहा है वैसे इन बातों पर यकीन करना मुश्किल होता जा रहा है।

Vidushi Mishra
Published on: 7 May 2019 10:36 AM IST
आज भी यहां जिन्नातों की लगती है कचहरी, शौतानो को मिलती है सजा
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नई दिल्ली: आपने लोगों से जिन्नों के बारे में तो जरूर सुना होगा। कहा जाता था कि जिन्न बहुत शक्तिशाली होते हैं इन अलौकिक शक्तियों के द्वारा वे कोई भी काम बहुत आसानी से कर सकते थे। लेकिन आज जैसे जैसे विज्ञान तरक्की करता जा रहा है वैसे इन बातों पर यकीन करना मुश्किल होता जा रहा है।

संसार में ऐसी जगहों की तो वैसे कमी नहीं है जहां कुछ न कुछ अजीब और अविश्वसनीय हो। फिर चाहे वो भानगढ़ का किला हो या फिर मिश्र के पिरामिड। कहा जाता है की संसार में भूतों और बुरी शक्तियों का अस्तित्व बहुत पुराने जमाने से रहा है। हर बार किसी न किसी के मुंह से हमे ऐसी कहानियां सुनने को मिल जाती हैं।

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बात हो रही है जामी मस्जिद की

आज हम आप को ऐसी ही एक इमारत के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने अजीबो गरीब किस्सों की वजह से मशहूर है। कहा जाता है यही वो जगह है जहां जिन्नातों की कचहरी लगती है और यहां बुरी शक्तियां जो लोगों को परेशान करती हैं उनको सजा भी सुनाई जाती है।

जी हां हम आपको बात करने जा रहे हैं दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में स्थित जामी मस्जिद की। जिसे मुगल काल में सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। अब ये इमारत लगभग खंडहर में तब्दील हो चुकी है। कहा जाता है कि जब पुराने जमाने से इमारत में कोई रहने वाला नहीं बचा तब इस इमारत को जिन्नों ने अपना बसेरा बना लिया।

यहां के लोगों का मानना है कि यहां जिन्नों का बसेरा बहुत पुराने समय से है और पुराने लोगों की मानें तो उन्होंने कई बार यहां जिन्नों को नमाज पढ़ते और घूमते देखा है। कहा जाता है की जिस जगह 14 दिनों तक कोई नहीं जाता वहां ये शक्तियां अपना बसेरा बना लेती हैं।

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यहां आने वाले लोग बताते हैं कि वो अपनी परेशानियाँ एक कागज पर लिखकर यहां रखते हैं और अपनी परेशानी दूर होने की दुआ मांगते हैं। इनमें से कुछ लोगों की दुआ कबूल भी होती है और कहते हैं की यहां बुरी शक्तियों को सजा भी मिलती है।

इन सभी तथ्यों से हम किसी भी अन्धविश्वास को बढावा नहीं देना चाहते हैं लेकिन जैसा सुनने में आ रहा है उस को सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता।



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Vidushi Mishra

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