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G 20 Summit: बिडेन ने जिनपिंग से हाथ मिलाया लेकिन दिलों की दूरी बरकरार

G 20 Summit: बिडेन और जिनपिंग अपने अपने देश मे अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा को काफी मजबूती दे चुके हैं। जहां जिनपिंग चीन में माओ के बाद सबसे शक्तिशाली नेता बन चुके हैं वहीं जो बिडेन मध्यावधि चुनाव में डेमोक्रेट्स के बढ़िया प्रदर्शन से उत्साहित हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 14 Nov 2022 5:11 PM IST
Biden Jinping meet at G20 Summit
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Biden Jinping meet at G20 Summit (Image: Social Media)

G20 Summit: अमेरिकी राष्ट्रपति राष्ट्रपति जो बिडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आज अपनी पहली आमने सामने की बैठक शुरू की। शी और बिडेन ने इंडोनेशिया के एक लक्ज़री रिज़ॉर्ट होटल में हाथ मिला कर एक-दूसरे का अभिवादन किया। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि बिडेन का लक्ष्य जी 20 समूह के नेताओं और राष्ट्रों के बीच संबंधों में "एक मंजिल बनाना" है।

बिडेन और जिनपिंग अपने अपने देश मे अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा को काफी मजबूती दे चुके हैं। जहां जिनपिंग चीन में माओ के बाद सबसे शक्तिशाली नेता बन चुके हैं वहीं जो बिडेन मध्यावधि चुनाव में डेमोक्रेट्स के बढ़िया प्रदर्शन से उत्साहित हैं।

बिडेन ने रविवार को कंबोडिया के नोम पेन्ह में संवाददाताओं से बातचीत में चीन के संदर्भ में कहा - "हमें बहुत कम गलतफहमी है। हमें ये देखना है कि हमारे बीच लाल लाइन क्या है और अगले दो वर्षों में हममें से प्रत्येक के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीजें क्या हैं।"

बिडेन ने कहा: "स्पष्ट रूप से घर पर उनकी स्थिति बदल गई है।" राष्ट्रपति ने अपनी स्थिति के बारे में कहा: "मुझे पता है कि मैं और मजबूत हो रहा हूं।"

व्हाइट हाउस के सहयोगियों ने बार-बार दोनों देशों के बीच संघर्ष की किसी भी धारणा को कम करने की कोशिश की है और इस बात पर जोर दिया है कि उनका मानना है कि दोनों देश जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसी साझा चुनौतियों पर मिलकर काम कर सकते हैं।लेकिन अमेरिका और चीन के बीच संबंध लगातार और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं। आर्थिक, व्यापार, मानवाधिकार और सुरक्षा मतभेद और भी सामने आ गए हैं।

राष्ट्रपति के रूप में बिडेन ने उइगर लोगों और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन, हांगकांग में लोकतंत्र कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई, जोर जबरदस्ती वाली व्यापार प्रथाओं, स्व-शासित ताइवान के खिलाफ सैन्य उकसावे और रूस यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों पर मतभेदों के लिए बार-बार चीन को निशाने पर लिया है।

चीनी अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर रूस के युद्ध की सार्वजनिक आलोचना से परहेज किया है, हालांकि बीजिंग ने हथियारों की आपूर्ति जैसे प्रत्यक्ष समर्थन से परहेज किया है।

ताइवान, वाशिंगटन और बीजिंग के बीच सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक के रूप में उभरा है। बिडेन ने कई बार कहा है कि आक्रमण की स्थिति में अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा।



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Rakesh Mishra

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