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भारत ने कहा- सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता बढ़े, बहुमत इसके पक्ष में
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य चाहते हैं कि सुरक्षा परिषद को अधिक सहभागी एवं लोकतांत्रिक निर्णय लेने वाली संस्था बनाने के लिए इसके स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए। यह बात सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता हासिल करने की कोशिश में लगे भारत सहित तीन अन्य देशों ने कही है।
सुरक्षा परिषद के सुधारों पर इंटर गवर्नमेंटल नेगोसिएशंस (आईजीएन) में सोमवार को भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, 'स्थाई और अस्थाई दोनों श्रेणियों की सदस्य संख्या हर हाल में बढ़ाई जाए, ताकि एक ऐसा संतुलन बने जो मौजूदा स्थिति को प्रदर्शित करे।'
जी-4 सुधारों के लिए दाल रहा दबाव
-अकबरुद्दीन जी-4 की ओर से बोल रहे थे। यह भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान का समूह है।
-ये चारों देश संयुक्त रूप से सुधारों के लिए दबाव डाल रहे हैं।
-विस्तारित सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए परस्पर एक-दूसरे का समर्थन भी कर रहे हैं।
इटली-पाकिस्तान के समूह ने फिर किया विरोध
आईजीएन सत्र सदस्यता की श्रेणी और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के मुद्दे से निपटता है। यूनाइटिंग फॉर कॉनसेंसस (यूएफसी) के रूप में जाना जाने वाला 13 सदस्यों का समूह, जिसमें पाकिस्तान भी है। इसका नेतृत्व इटली करता है। उसने स्थाई सदस्य बढ़ाने के अपने विरोध को दोहराया है। जबकि, सुधार प्रक्रिया की सबसे महत्वपूर्ण बात सदस्यों की संख्या बढ़ानी ही है।
स्थाई सदस्यता वाले देशों के पक्ष में झुकेगा पलड़ा
इस समूह के किसी सदस्य देश का नाम लिए बगैर अकबरुद्दीन ने कहा कि केवल अस्थाई श्रेणी के सदस्यों की संख्या बढ़ाने के उनके मत से पांच स्थाई सदस्यता वाले देशों के पक्ष में पलड़ा और झुकेगा। ये पांच वे देश हैं, जो साल 1945 से ही विशेष शक्तियां रखते हैं। दुनिया में नई शक्तियों के उभार से चमत्कारिक बदलाव आया है और संयुक्त राष्ट्र ने खुद ही इसके सदस्यों की संख्या 51 से तीन गुना से भी अधिक बढ़ाकर 193 कर दी है।