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जर्मनी में टीचर नहीं कर सकते हड़ताल

seema
Published on: 15 Jun 2018 3:55 PM IST
जर्मनी में टीचर नहीं कर सकते हड़ताल
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बर्लिन : जर्मनी की संवैधानिक अदालत ने एक मामले में कहा है कि ऐसे टीचर जो बतौर सरकारी कर्मचारी (सिविल सर्वेंट्स) व्यवस्था में काम कर रहे हैं उन्हें हड़ताल की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचरियों पर लगे हड़ताल प्रतिबंध में फिलहाल नरमी दिखाने से इनकार कर दिया है। कुछ वक्त पहले, जर्मनी के चार शिक्षकों ने अपने कामकाजी घंटों के वक्त विरोध प्रदर्शन और हड़ताल में हिस्सा लिया था, जिस पर उन्हें अनुशासात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद इन शिक्षकों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। सरकारी सेवाओं के नियम-कानूनों मुताबिक जर्मनी में सरकारी कर्मचारियों का हड़ताल पर जाना प्रतिबंधित है। जर्मनी में करीब 8 लाख शिक्षक कार्यरत हैं। इसमें से तीन-चौथाई सिविल सर्विस कॉन्ट्रेक्ट पर नियुक्त हैं। कोर्ट में चल रहे इस मामले को जर्मनी में काफी अहम माना जा रहा है।

अदालत ने कहा, 'हड़ताल पर प्रतिबंध, जर्मन संविधान में शामिल मूल कानून के साथ नहीं टकराता'। इस मामले में याचिकाकर्ता ने तुर्की के सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल मामले में यूरोपीयन कोर्ट ऑफ ह्रयूमन राइट्स के हालिया निर्देशों का भी उल्लेख किया था। यूरोपीय अदालत ने एक मामले में कहा था कि राजनीतिक संगठनों का गठन करना और हड़ताल करना मानवाधिकार हैं जो सरकारी नौकरी में भी खत्म नहीं हो सकते। जर्मनी के शिक्षकों ने कहा, 'शिक्षकों को इस तरह के प्रतिबंध से छूट मिलनी चाहिए, क्योंकि शिक्षण और अन्य नौकरियों में मौलिक अंतर है।

लेकिन अदालत ने इसके जवाब में कहा कि हड़ताल पर प्रतिबंध यूरोपीय कनवेंशन ऑफ ह्यूमन राइट्स को सीमित नहीं करता है। साथ ही प्रतिबंध देश में शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करता है।

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इन देशों में नहीं है शिक्षकों की कमी

पोलैंड : साल 2015 में जारी यूनेस्को के आंकड़े बताते हैं कि देश में साक्षरता दर तकरीबन 99.8 फीसदी है। प्राइमरी स्कूलों में हर 10 बच्चों पर यहां एक शिक्षक है। आंकड़ों के मुताबिक देश की शिक्षा प्रणाली काफी विकसित है और स्कूलों में बच्चों पर पूरा ध्यान दिया जाता है।

आइसलैंड : मानवाधिकारों के मामले में अच्छा देश माने जाने वाला आइसलैंड शिक्षा और साक्षरता के स्तर में काफी आगे है। यहां भी हर 10 स्कूली बच्चों पर 1 शिक्षक मौजूद है। देश में 6 से 16 साल तक के बच्चों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य है। आइसलैंड में हर बच्चे को पूरी तरह से मुफ्त और अच्छी शिक्षा का अधिकार प्राप्त है।

स्वीडन : स्वीडन की शिक्षा प्रणाली बेहद उन्नत और विकसित मानी जाती है जिसकी बानगी देश के उच्च साक्षरता दर में साफ झलकती है। शिक्षा प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि हर बच्चे को ऐसी शिक्षा मिले जिससे उसका चहुंमुखी विकास हो। यही कारण है कि स्वीडन के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या सबसे अधिक है। यहां भी तकरीबन हर 9-10 बच्चों पर एक शिक्षक होता है।

एंडोरा : फ्रांस और स्पेन के पास बसे इस यूरोपीय देश की साक्षरता दर तकरीबन 100 फीसदी है। देश में 6-16 साल के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। स्थानीय भाषा एंडोरन के अलावा फ्रेंच और स्पेनिश भाषा भी यहां के स्कूलों में पढ़ाई जाती है। यहां के प्राइमरी स्कूलों में हर 9 छात्रों पर एक शिक्षक है।

क्यूबा : साल 2015 में जारी यूनेस्को के आंकड़े बताते हैं कि इस देश की साक्षरता दर 99.7 फीसदी है। यहां सरकार अपने बजट का 10 फीसदी हिस्सा देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए आवंटित करती है। प्राइमरी स्तर तक की स्कूली शिक्षा अनिवार्य है। यहां भी हर 9 बच्चों पर एक शिक्षक है।

लक्जमबर्ग : पश्चिमी यूरोप के इस छोटे से देश लक्जमबर्ग में शिक्षा प्रणाली बेहद संगठित है। यहां 4-16 साल के बच्चों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य है। देश के अधिकतर स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दी जाती है। यहां भी हर नौ छात्रों पर एक शिक्षक होता है।

कुवैत : साल 2013 में जारी विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि कुवैत में साक्षरता दर 96 फीसदी है। यहां प्राइमरी और इंटरमीडिएट स्तर तक की शिक्षा कानूनी रूप से अनिवार्य है। देश की नागरिकता प्राप्त बच्चों के लिए सरकारी स्कूल में शिक्षा मुफ्त है। प्राइमरी स्तर के स्कूलों में यहां हर 9 बच्चों पर एक शिक्षक है।

लिस्टेनश्टाइन : मध्य यूरोप के इस देश में वयस्क साक्षरता दर लगभग 100 फीसदी है। देश न केवल अपनी अच्छी स्कूली शिक्षा के लिए जाना जाता है बल्कि यहां शिक्षकों को अच्छा वेतन भी मिलता है। देश की कुल जनसंख्या महज 36 हजार के करीब है।

बरमूडा : कैरेबियाई द्वीप बरमूडा भी साक्षरता के मामले में काफी आगे है। देश की वयस्क साक्षरता दर तकरीबन 98 फीसदी है। देश में 5-18 साल के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। देश के 60 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और प्राइमरी स्कूलों में हर सात छात्र पर एक शिक्षक है।

सैंट मैरिनो : चारों ओर इटली से घिरे इस छोटे से देश में वयस्क साक्षरता दर तकरीबन 98 फीसदी है। यहां हर छह छात्रों पर एक शिक्षक है। इस देश की शिक्षा व्यवस्था इटली की शिक्षा व्यवस्था पर आधारित है।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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