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गोल्ड का इस्लामिक स्टेट और अलकायदा कनेक्शन

seema
Published on: 29 Nov 2019 12:44 PM IST
गोल्ड का इस्लामिक स्टेट और अलकायदा कनेक्शन
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गोल्ड का इस्लामिक स्टेट और अलकायदा कनेक्शन

दमिश्क। आतंकवादियों के लिए सोना बहुत काम की चीज और आदर्श मुद्रा है जिसका इस्तेमाल मध्यपूर्व और एशिया में होता है। इस्लामिक स्टेट और अल कायदा जैसे आतंकी संगठन अपना करोबार चलाने के लिए सोने का इस्तेमाल करते हैं। अफ्रीकी देशों की खानों से वैध-अवैध तरीके से निकाला गया सोना दुनिया के हर कोने ता पहुंचता है। मिसाल के तौर पर, अफ्रीकी देश बुरकिना फासो से अवैध तरीके से निकाला गया सोना लंबी यात्रा तय करता है। ये सोना तस्करी के जरिए पड़ोसी देशों में पहुंचता है, खासतौर से टोगो में फिर वहां से यह सऊदी अरब, तुर्की, स्विट्जरलैंड और भारत भेजे जाने से पहले रिफाइनरियों में ले जाया जाता है। रिफाइनरी में पहुंचनेके बाद इसे बड़ी आसानी से पिघलाकर कहीं भी ले जाया जा सकता है।

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50 टन सोना सालाना

बुरकिना फासो, माली और नाइजर की अनौपचारिक खानों से हर साल करीब 50 टन सोना निकलता है जिसकी कीमत 2 अरब अमेरिकी डॉलर है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी के मुताबिक इसमें से बुरकिना फासो की छोटी खानों से हर साल करीब 15-20 टन सोना निकलता है। खान से निकलने के बाद यह सोना खुली जमीनी सीमाओं से कारों और बसों में बाहर जाता है। कई बार तो इन्हें घासफूस के बीच छिपा कर साइकिल के सहारे ही सीमा पार करा दिया जाता है। सोने की तस्करी में भ्रष्ट अधिकारी भी मदद करते हैं। इसके खरीदारों में कुछ स्थानीय और कुछ घाना, टोगो, बेनिन और नाइजर जैसे पड़ोसी देशों के व्यापारी होते हैं। पड़ोसी देश टोगो में सोने का उत्पादन कम होता है और यह सोने की तस्करी का गढ़ है। हाल के वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात टोगो से आने वाले सोने को रिफाइन करने और बेचने के सबसे बड़े केंद्र के रूप में उभरा है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में संयुक्त अरब अमीरात ने कुल 7 टन सोने का आयात किया था। यूएई से इस सोने के सबसे बड़े खरीदार सऊदी अरब, तुर्की और स्विट्जरलैंड हैं।

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इस्लामिक स्टेट और अल कायदा

मध्य पूर्व के देशों में जमीन खिसकने के बाद अल कायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े गुट अफ्रीका में फैल रहे हैं। पूरे इलाके में मौजूद सोने की खानों पर इनकी नजर है। दुनिया के दो सबसे कुख्यात आतंकवादी संगठन औद्योगिक गतिविधियों पर हमला करने के अलावा बुर्किना फासो, माली और नाइजर में 2 अरब डॉलर से ज्यादा के सोने के अनौपचारिक कारोबार पर भी कब्जा कर रहे हैं। यहां इस कारोबार पर पहले से ही सरकार का नियंत्रण नहीं है। संयुक्त राष्ट्र और रिसर्चर इस बारे में चेतावनी दे चुके हैं कि चरमपंथी इलाके की खानों तक पहुंच रहे हैं। इस्लामी चरमपंथियों के लिए ये खान छिपने की जगह भी हैं और खजाना भी। इसका इस्तेमाल वे लोग हमले के लिए नए सदस्यों को भर्ती करने, हथियार और विस्फोटक खरीदने में करते हैं, जिससे उनका प्रभाव बढ़ता है। छोटे किसानों का गरीब देश बुरकिना फासो हाल के वर्षों में स्थानीय चरमपंथियों और क्षेत्रीय जिहादी गुटों के अभियान के केंद्र में आ गया है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। 2018 में उपग्रह से किए सरकारी सर्वेक्षण के बाद बुरकिना फासो में करीब 2200 अनौपचारिक खानों की पहचान हुई थी। इनमें से आधे से ज्यादा 25 किलोमीटर के दायरे में हैं और उन पर चरमपंथी हमले करते रहते हैं।

यह बताना मुश्किल है कि इन खानों से कितना सोना निकलता है और कौन उन्हें नियंत्रित करता है। इनमें से कई ऐसी जगहों पर हैं जहां सरकारी सेना का कोई कंट्रोल या मौजूदगी तक नहीं है। 2018 में सरकारी अधिकारियों ने सिर्फ 24 ऐसी जगहों का दौरा किया था जहां हमले हुए थे और अनुमान लगाया था कि वहां से हर साल कुल मिलाकर 727 किलो सोना निकाला जा रहा है।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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