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आतंकवाद से लडऩे के लिए पाकिस्तान ने लांच किया 'चौकस'

raghvendra
Published on: 16 March 2018 9:26 AM GMT
आतंकवाद से लडऩे के लिए पाकिस्तान ने लांच किया चौकस
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पाकिस्तान की सरकार ने एक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है जिसके जरिए लोग नफरत भरे भाषणों की रिपोर्ट कर सकेंगे। सरकार इसके जरिए देश में चरमपंथ और सांप्रदायिकता का मुकाबला करना चाहती है। यह ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम पर मौजूद है और इसका नाम रखा गया है ‘चौकस’।

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इसे पाकिस्तान की नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी यानी एनएसीटीए ने साइबर काउंटर टेररिज्म इनिशिएटिव के तहत लॉन्च किया है। मोबाइल ऐप नागरिकों को बिना अपनी पहचान बताए चरमपंथी भाषणों, बैनरों और इस तरह की गतिविधियों की जानकारी दे सकेगा। ऐप इस्तेमाल करने वाले इसके माध्यम से तस्वीरें, ऑडियो, वीडिया या फिर लिखित संदेश भेज सकेंगे।

एनएसीटीए के प्रवक्ता मुजीबुर रहमान तालपुर ने कहा है कि यह कदम समाज में चरमपंथ की प्रवृत्तियों को फैलने से रोकने के लिए उठाया गया है। सरकार ने नफरत वाले भाषणों की परिभाषा बहुत साफ तौर पर नहीं दी है। हालांकि तालपुर ने उदाहरण के लिए बताया कि ऐसी सामग्री, जो अंतरधार्मिक सद्भाव में बाधा डाला, जो सांप्रदायिकता या चरमपंथी विचारों वाला हो या फि जो किसी धर्म के खिलाफ हो उसे नफरत वाला भाषण माना जाएगा।

पाकिस्तान के डॉन अखबार ने पिछले साल रिपोर्ट दी थी कि देश में प्रतिबंधित 64 चरमपंथी संगठनों में से 41, किसी शख्स या समूह के यूजर प्रोफाइल के रूप में फेसबुक के सैकड़ों पन्नों में मौजूद थे। तालपुर का कहना है कि जो भी जानकारी या डाटा इसमें हासिल होगा उसकी जांच पुलिस, कानून का पालन कराने वाली और दूसरी नियामक एजेंसियां करेंगी।

इससे पहले जनवरी में भी सरकार ने एक ऐप्लिकेशन लॉन्च किया था जिसका नाम है सर्फसेफ। यहां नागरिक किसी भी ऐसी वेबसाइट की रिपोर्ट कर सकते हैं जो चरमपंथी सामग्री छापती हो या फिर जहां नफरत फैलाने वाले भाषण हों।

पाकिस्तान में चरमपंथी गतिविधियों को लेकर जब तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो हल्ला मचता रहता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने खासतौर पर पाकिस्तान की बड़ी आलोचना की है और करोड़ों डॉलर की अमेरिकी सहायता भी रोक दी है। ट्रंप पाकिस्तान पर कई और तरीकों से दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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