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हसन नसरल्लाह मारा गया, अब क्या करेंगे हिजबुल्लाह और इरान? इजरायल ने बड़े युद्ध की तैयारी की

Hezbollah Chief Killed: इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह के मारे जाने का दावा किया है। बीते कई दिनों से लगातार हवाई हमले हो रहे थे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 28 Sept 2024 1:49 PM IST (Updated on: 28 Sept 2024 2:14 PM IST)
हसन नसरल्लाह मारा गया, अब क्या करेंगे हिजबुल्लाह और इरान? इजरायल ने बड़े युद्ध की तैयारी की
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Hezbollah Chief Killed: इजरायली सेना ने कहा है कि लेबनान में उसकी जबर्दस्त हमले में लेबनान के उग्रवादी शिया इस्लामवादी हिजबुल्लाह आंदोलन का नेता शेख हसन नसरल्लाह मारा गया है साथ ही संगठन के कई टॉप कमांडर भी खत्म कर दिए गए हैं। इज़रायली सेना ने यह भी कहा कि उसने दक्षिणी लेबनान में हिजबुल्लाह की मिसाइल इकाई के कमांडर मुहम्मद अली इस्माइल और उसके डिप्टी हुसैन अहमद इस्माइल को भी मार गिराया है। हिजबुल्लाह पर इस जबर्दस्त प्रहार के बाद पश्चिम एशिया में स्थिति बहुत विस्फोटक हो गयी है क्योंकि हिजबुल्लाह और उसके आका ईरान द्वारा इजरायल के खिलाफ करो या मरो की स्थिति बन गयी है। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामनेई ने इमेंजेसी बैठक की है तो इजरायली प्रधानमंत्री नेतान्याहू अमेरिका यात्रा बीच में छोड़ कर स्वदेश लौट आये हैं। इजरायल ने हिजबुल्लाह, हमास और यमन स्थित हौथी के संभावित हमलों के बारे में अपनी तैयारी कर ली है।

क्या है हिजबुल्लाह

हिजबुल्लाह लेबनानी स्थित शियाओं का हथियारबंद राजनीतिक ग्रुप है जिसका गठन 1982 में इज़राइल से लड़ने के लिए किया गया था। इसे ईरान से पूरा सपोर्ट मिलता है। हिजबुल्ला का उदय 1982 में लेबनान पर इज़राइल के आक्रमण के मद्देनजर ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स द्वारा गठित सशस्त्र समूहों से हुआ था। लेबनान पर इजरायल के करीब 20 साल के कब्जे के दौरान उसके खिलाफ लड़ाई लड़ने में हिजबुल्ला सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरा। आज भी यह इस क्षेत्र में इज़राइल के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है।



हसन नसरल्लाह

1960 में जन्मा हसन नसरल्लाह बेरूत के पूर्वी बुर्ज हम्मौद इलाके में पला बढ़ा, जहाँ उसके पिता अब्दुल करीम एक छोटी सी सब्जी की दुकान चलाते थे। नसरल्लाह नौ बच्चों में सबसे बड़ा था। 1975 में लेबनान के गृहयुद्ध में उतरने के बाद वह ‘अमल' आंदोलन में शामिल हो गया जो उस समय एक शिया मिलिशिया था। शिया मदरसा में भाग लेने के लिए इराकी पवित्र शहर नजफ में थोड़े समय के लिए रहने के बाद वह लेबनान में ‘अमल’ में फिर से शामिल हो गया।

नसरल्लाह और अन्य लोग 1982 में ‘अमल’ से अलग हो और इरान से सपोर्ट से बने हिजबुल्लाह में शामिल हो गए। 1985 में हिजबुल्लाह ने आधिकारिक तौर पर एक "खुला पत्र" प्रकाशित करके अपनी स्थापना की घोषणा की, जिसमें अमेरिका और सोवियत संघ को इस्लाम के प्रमुख दुश्मनों के रूप में पहचाना गया और इजरायल के "विनाश" का आह्वान किया गया, जिसके बारे में कहा गया कि वह मुस्लिम भूमि पर कब्जा कर रहा है। संगठन के बढ़ने के साथ ही नसरल्लाह ने हिजबुल्लाह के रैंकों में अपना रास्ता बनाया।

वह 1992 में 32 वर्ष की आयु में हिजबुल्लाह का तब नेता बन गया जब हिजबुल्लाह सुप्रीमो अब्बास अल-मुसावी की इजरायली हेलीकॉप्टर हमले में हत्या कर दी गई। उसकी पहली कार्रवाई मुसावी की हत्या का बदला लेना था। उन्होंने उत्तरी इज़राइल में रॉकेट हमलों का आदेश दिया जिसमें एक लड़की की मौत हो गई, तुर्की में इज़राइली दूतावास में एक इज़राइली सुरक्षा अधिकारी एक कार बम से मारा गया और अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में इज़राइली दूतावास पर एक आत्मघाती हमलावर ने हमला किया जिसमें 29 लोग मारे गए।



नसरल्लाह ने इज़राइली सेना के साथ एक कम तीव्रता वाला युद्ध भी लड़ा जो 2000 में दक्षिणी लेबनान से उनकी वापसी के साथ समाप्त हो गया, हालांकि उसे व्यक्तिगत नुकसान उठाना पड़ा जब उनके सबसे बड़े बेटे हादी की इज़राइली सैनिकों के साथ गोलीबारी में मौत हो गई।

64 वर्षीय नसरल्लाह के नेतृत्व में हिजबुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ युद्ध लड़े हैं और पड़ोसी सीरिया में संघर्ष में भाग लिया है, जिससे राष्ट्रपति बशर असद के पक्ष में सत्ता का संतुलन बनाने में मदद मिली है। एक चतुर रणनीतिकार नसरल्लाह ने हिजबुल्लाह को इजरायल के कट्टर दुश्मन के रूप में बदल दिया है।

अपने लेबनानी शिया अनुयायियों द्वारा पूजे जाने वाले और अरब और इस्लामी दुनिया भर में लाखों अन्य लोगों द्वारा सम्मानित, नसरल्लाह ने सैय्यद की उपाधि धारण की है, जो शिया मौलवी की वंशावली को दर्शाता है, जो इस्लाम के संस्थापक पैगंबर मुहम्मद से जुड़ा है।

हसन नसरल्लाह पश्चिम एशिया में सबसे प्रसिद्ध और सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक रहा है। नसरल्लाह को इज़राइल द्वारा हत्या किए जाने के डर से वर्षों से सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया। नसरल्लाह के नेतृत्व में, हिजबुल्लाह ने फिलिस्तीनी सशस्त्र समूह हमास के लड़ाकों के साथ-साथ इराक और यमन में मिलिशिया को प्रशिक्षित करने में मदद की है, और इज़राइल के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए ईरान से मिसाइल और रॉकेट प्राप्त किए हैं।



अब क्या होगा

इज़राइल ने गाजा के साथ-साथ हिजबुल्लाह के सहयोगी हमास के रैंकों को भी नष्ट कर दिया है। इस लड़ाई ने लेबनान में जीवन को पहले से ही अस्थिर कर दिया है, संघर्ष के कारण हज़ारों नागरिक विस्थापित हो गए हैं और डर में जी रहे हैं। इज़राइल ने हिजबुल्लाह नेताओं की टारगेटेड हत्याओं के साथ उसे भी करारा जवाब दिया है। अब अगर हिजबुल्लाह इजरायल के खिलाफ बड़े पैमाने पर युद्ध शुरू करता है, तो यह 2006 के संघर्ष की तरह ही हो सकता है, जिसमें कोई विजेता नहीं था, हालांकि यह संभावित रूप से और भी खूनी हो सकता है। 2006 में हिजबुल्लाह के पास 12,000 मिसाइलें होने का अनुमान था लेकिन अब माना जाता है कि उसके पास इससे 10 गुना ज़्यादा मिसाइलें हैं। इसके सैनिकों के पास पहले की तुलना में शहरी युद्ध सहित कहीं ज़्यादा अनुभव है। ईरान के लिए भी ये निर्णायक क्षण है और अगर वह हिजबुल्लाह के समर्थन में इजरायल के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू करता है तो संभवतः अमेरिका में इसमें कूद सकता है और नतीजतन पूरे पश्चिम एशिया में विस्फोटक स्थिति बन जायेगी।



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Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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