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इस देश ने ढूंढ निकाला कोरोना वायरस का तोड़, कई मरीजों को ठीक कर भेजा घर

दुनिया भर के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के काम में जुटे हुए हैं। ऐसे समय में कोरोना वायरस के इलाज को लेकर नई हॉन्ग कॉन्ग से राहत भरी आ रही है। हॉन्ग कॉन्ग के अस्पतालों में डॉक्टरों ने तीन दवाओं के मिक्सचर से कुछ मरीजों को तेजी से ठीक किया है।

Aditya Mishra
Published on: 10 May 2020 11:01 AM IST
इस देश ने ढूंढ निकाला कोरोना वायरस का तोड़, कई मरीजों को ठीक कर भेजा घर
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हॉन्ग कॉन्ग: पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है। अमेरिका, चीन, इटली, भारत और पाकिस्तान में इस वायरस के चलते भारी तादाद में लोगों की मौतें हो चुकी हैं।

दुनिया भर के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के काम में जुटे हुए हैं। ऐसे समय में कोरोना वायरस के इलाज को लेकर नई हॉन्ग कॉन्ग से राहत भरी आ रही है। हॉन्ग कॉन्ग के अस्पतालों में डॉक्टरों ने तीन दवाओं के मिक्सचर से कुछ मरीजों को तेजी से ठीक किया है। इस दवा से ठीक हुए मरीजों और चिकित्सा पद्धति की यह रिपोर्ट द लैंसेंट में प्रकाशित हुई है।

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आखिर कौन सी ये दवाएं

जिन तीन दवाओं को एक साथ मिलाया गया वो हैं- एचआईवी थेरेपी की दवा लॉपिनविर, हेपेटाइटिस की दवा रीबाविरीन और साथ में सक्लेरोरिस की दवा।

ये रिसर्च हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी में किया गया। यहां डॉक्टर क्वॉक-यंग-युवेन की टीम ने तीन दवाओं का मिश्रन तैयार किया और इसे 127 मरीजों को दिया गया। गौरतलब है कि सक्लेरोरिस में आमतौर पर किसी भी मरीज का इम्यून अपने ही टिसु पर हमले करता है।

सामने आए अच्छे रिजल्ट

नतीजे में सामने आया कि जिन मरीजों को इन तीन दवाओं का मिश्रन दिया गया वो बाकी मरीजों के मुकाबले 5 दिन पहले ठीक हो गए। जबकि जिन्हें ये दवा नहीं दी गई उन्हें ठीक होने में 12-14 दिन लग गए। रिसर्च कर रहे प्रोफेसर डॉक्टर क्वॉक-यंग-युवेन का कहना है कि ट्रायल से ये साबित होता है कि जिन्हें शुरुआत में हल्के लक्षण हैं उन पर इन तीन दवाओं का मिश्रण अच्छा काम कर रहा है।

इससे किसी कोरोना के मरीज का इलाज कर रहे मेडिकल स्टाफ को संक्रमित होने का खतरा भी कम हो जाता है। दरअसल रिसर्च में ये पता चला है कि इन दवाओं के मिश्रण से कोरोना वायरस के आगे बढ़ने की क्षमता कम हो जाती है।

अभी और होगा इस पर रिसर्च

इसे तैयार किया है अमेरिकी कंपनी गिलीड साइंस ने। कहा गया है कि सांस लेने की तकलीफ वाले मरीजों में इस दवा ने बेहतर काम किया है। साथ ही अगर संक्रमण के शुरुआत के ही दिनों में मरीज को दवा दी जाती है तो इसका बेहतर रिजल्ट आता है।

ये रिसर्च 10 फरवरी से 20 मार्च के बीच हॉन्ग कॉन्ग की यूनिवर्सिटी में किए गए। फिलहाल डॉक्टरों का कहना है कि इस दवाई का अब ज्यादा संख्या में मरीजों पर टेस्ट किए जाएंगे। साथ ही ये दवाई ऐसे मरीजों पर आजमाया जाएगा जिसकी हालत ज्यादा गंभीर है। बता दें कि फिलहाल कोरोना के लिए एक मात्र दवा रेमडेसिवीर को मंजूरी मिली है।

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Aditya Mishra

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