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अंतिम समय में कैसे भागे अफगानिस्तान से भारतीय

अफगानिस्तान में फंसे हुए भारतीयों को ये आस है कि जल्द ही सरकार इनको वापस बुला लेगी...

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Ragini Sinha
Published on: 20 Aug 2021 6:04 AM GMT
Indians fled from Afghanistan
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अफगानिस्तान में फैंस भारतीयों को ये आस है कि उन्हें वापस बुला लिया जाएगा (social media)

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद सबसे बुरी हालत वहां फंसे भारतीयों की है। हालांकि उनके परिजन उनकी सकुशल वापसी की उम्मीद लगाए बैठे हैं और उनको दिलासा दे रहे हैं। इन फंसे हुए भारतीयों को ये आस है कि जल्द ही सरकार इनको वापस बुला लेगी। ऐसा दावा भी किया जा रहा है कि इन भारतीयों की सकुशल वापसी के लिए सरकार एक्शन में है। इस युद्ध जैसे हालात से गुजर रहे मुल्क में अभी सैकड़ों भारतीय फंसे हुए हैं। इनमें हिमाचल, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और बंगाल समेत अन्य राज्यों के लोग शामिल हैं जो नौकरी या कामकाज के सिलसिले में यहां आए थे और फंस गए हैं।

अफ़गानिस्तान में फंसे भारतीय सुरक्षित

पराए देश में फंसे इन भारतीयों का कहना है कि वे अभी तक सुरक्षित हैं। लेकिन होटलों में खाने की दिक्कत आनी शुरू हो गई है। एक व्यक्ति का कहना है कि वह दस साल से यहां काम कर रहा है। अब फंसा हुआ और बेबस है। खास बात यह है कि भारतीय दूतावास लगातार भारतीयों को अलर्ट कर रहा था कि अफगानिस्तान छोड़ दें। लेकिन लोगों को लग रहा था कि तालिबान को काबुल तक पहुंचने में दो तीन महीने लग जाएंगे।

कंपनी के कैंप में 220 भारतीय

इसी तरह से फंसे हुए राहुल नामक एक शख्स का कहना है कि उनकी कंपनी के कैंप में 220 भारतीय हैं। कैंप के बाहर तालिबानी लड़ाके बम फोड़ रहे हैं। कैंप के अंदर हैलीपैड है। भारत सरकार इन्हें एयरलिफ्ट कर निकाल सकती है। इस बीच उत्तराखंड के 120 नागरिक जो कि डेनमार्क के दूतावास में फंसे थे। काबुल एयरपोर्ट पर जहाज का इंतजार कर रहे हैं। आईटीबीपी सूत्रों का कहना है कि दूतावास से काबुल एयरपोर्ट पहुंचना बड़ी चुनौती है।

परेशान वह अफगानी छात्र भी हैं जो भारत में है लेकिन उनका वीजा समाप्त हो गया है। उन्हें डर है कि अफगानिस्तान गए तो तालिबानी उनकी हत्या कर देंगे। व वीजा अवधि बढ़ाने के लिए गुहार लगा रहे हैं। विषम हालात में जान बचाने की लड़ाई लड़ रहे एक भारतीय का कहना है होटल में छिपकर रात गुजारी लेकिन सुबह एयरपोर्ट पर उम्मीद टूट गई। अब पता नहीं क्या होगा। उड़ानें रद हो जाने से भी तमाम लोग फंसे हैं।

वो भाग्यशाली जो सकुशल लौट आए

काबुल में तमाम भारतीय फंसे हुए हैं जिनकी जल्द वापसी की उम्मीद है लेकिन कुछ ऐसे भाग्यशाली जो किस्मत से वापस आ गए हैं उनके अनुभव खौफनाक हैं। काबुल में तैनात एयर इंडिया के कंट्री मैनेजर सुदीप्तो मंडल का अनुभव बहुत ही डरावना है। अपने लगभग 36 घंटे के दहशत के माहौल से खुद के सकुशल निकलने पर वह खुद को भाग्यशाली मान रहे हैं। संयोग से उन्होंने हवाई अड्डे पर एक कार देख ली थी, जोकि दूतावास की थी अगर वह उन्हें नहीं मिली होती तो वह कल्पना भी नहीं कर पा रहे हैं कि कितना भयानक हुआ होता। काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद स्थिति बहुत अधिक डरावनी हो गई है। 15 अगस्त को काबुल से एयर इंडिया की अंतिम उड़ान को रवाना करने के बाद सुदीप्तो मंडल अपने कार्यालय लौट आए और ड्राइवर को खुद को लेने के लिए बुलाया लेकिन ड्राइवर ने सड़कें ब्लॉक होने और शहर में बिगड़ते माहौल का हवाला देते हुए आने में असमर्थता व्यक्त कर दी। एयरपोर्ट की स्थिति लगातार खतरनाक हो रही थी। इसी के साथ उनकी बेचैनी बढ़ रही थी। किस्मत से उन्हें हवाई अड्डे पर भारतीय दूतावास की एक कार मिली जो एक अधिकारी को लेने आई थी वह तुरंत उस में बैठ गए।

इस कार में दूतावास के अधिकारी सवार थे यह ड्यूटी पर थे, वह उनके साथ में दूतावास आए और काफी लंबा इंतजार करने के बाद लंबा कुर्ता पहने एक तालिबानी ने उनसे कहा हवाई अड्डे जाने के लिए 5 मिनट में अपना सामान बांध कर तैयार हो जाएं। हम सभी को सुरक्षा प्रदान करते हुए वहां ले जाएंगे वह किसी अनहोनी की आशंका से सहमे थे और गत 16 अगस्त से अपने बचाव के लिए सांस रोक कर इंतजार कर रहे थे। सभी लोगों के लिए यह उचित समय था कि वह बिना किसी सामान के या न्यूनतम जरूरी सामान लेकर वहां से निकल लें। कारों के एक काफिले में ये अधिकारी हवाई अड्डे रवाना हुए और स्वदेश पहुंचे।

अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ रहे अफगानिस्तानी छात्रों का अपने अभिभावकों से संपर्क टूट चुका है। वह काफी तनाव में हैं, उन्हें आर्थिक समस्या भी हो गई है। हालांकि कुलपति ने छात्रों को आश्वस्त किया है कि विश्वविद्यालय उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगा।

भारतीयों की मदद के लिए 24 घंटे काम किया जा रहा

इस बीच भारत सरकार ने कहा है कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा स्थापित विशेष प्रकोष्ठ वहां फंसे भारतीयों की मदद के लिए 24 घंटे काम कर रहा है इस प्रकोष्ठ की स्थापना 16 अगस्त को हो गई थी ताकि अफगानिस्तान से भारतीयों की सकुशल वापसी और अन्य अनुरोधों के संबंध में समन्वय कायम किया जा सके।

Ragini Sinha

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