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Impact of Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन की लड़ाई का असर खेती-किसानी पर, फ़र्टिलाइज़र की ग्लोबल सप्लाई ठप

Impact of Russia Ukraine War: दुनिया भर में बेलारूस, उक्रेन और रूस पोटाश, अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, पोटाशियम, नाइट्रोजन और फास्फोरस के सबसे अग्रणी सप्लायर हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 7 April 2022 7:58 AM IST
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रूस-यूक्रेन की लड़ाई का असर खेती-किसानी पर (फोटो-सोशल मीडिया)

Impact of Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन लड़ाई का असर खेती-किसानी पर पड़ने लगा है क्योंकि उर्वरकों की ग्लोबल सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। दुनिया भर में बेलारूस, उक्रेन और रूस पोटाश, अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, पोटाशियम, नाइट्रोजन और फास्फोरस के सबसे अग्रणी सप्लायर हैं। युद्ध के चलते इन सब चीजों की सप्लाई बाधित हुई है। चूँकि कृषि प्रोड्यूस बहुत कुछ उर्वरकों पर निर्भर है सो उत्पादन घटने से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ना तय है। प्रतिबंधों और युद्ध के कारण उर्वरक शिपमेंट में व्यवधान ने उर्वरक की कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है। अनाज के ऊंचे दाम और भी बढ़ रहे हैं।

मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, रूस और बेलारूस ने संयुक्त रूप से दुनिया के पोटाश के निर्यात का लगभग 40 फीसदी प्रदान किया था। प्रतिबंधों से रूस का निर्यात प्रभावित हुआ जबकि फरवरी में, बेलारूस के एक प्रमुख निर्माता ने अप्रत्याशित घोषणा की कि वह अपने नियंत्रण से परे वजहों के चलते अपने अनुबंधों को पूरा करने में सक्षम नहीं होगा। ये क्या वजहें हैं, ये स्पष्ट नहीं किया गया है लेकिन इसका संभावित कारण बेलारूस के पड़ोस में चल रही लड़ाई है।

उर्वरकों की कीमत में उछाल

यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट की जितनी ग्लोबल सप्लाई हुई उसमें रूस ने 11 फीसदी यूरिया और 48 फीसदी अमोनियम नाइट्रेट का निर्यात किया था। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, रूस और यूक्रेन मिलकर नाइट्रोजन और फॉस्फोरस के साथ-साथ पोटेशियम से बने 28 फीसदी उर्वरकों का निर्यात करते हैं।

कम सप्लाई, ज्यादा डिमांड और ज्यादा लागत के कारण कुछ उर्वरकों की कीमत दोगुने से भी अधिक हो गई है। मिसाल के तौर पर वैंकूवर में पोटाश की कीमत 2021 की शुरुआत में लगभग 210 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी, और अब इसका मूल्य 565 डॉलर है। मध्य पूर्व में डिलीवरी के लिए यूरिया 2021 की शुरुआत में शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में 268 डॉलर प्रति मीट्रिक टन पर कारोबार कर रहा था और दो दिन पूर्व इसका मूल्य 887.50 डॉलर था।

जिस तरह उर्वरकों की कीमत में उछाल आया है, उसी तरह कृषि जिंसों की कीमतों में भी कमी की आशंका के बीच आसमान छू रहा है। दरअसल, रूस और यूक्रेन ने ऐतिहासिक रूप से वैश्विक गेहूं व्यापार का लगभग 30 फीसदी और वैश्विक मकई व्यापार का 20 फीसदी निर्यात किया है। काला सागर रास्ता बंद होने के कारण उन वस्तुओं का स्टॉक बाजार में नहीं आ रहा है।

उर्वरक उत्पादन प्राकृतिक गैस पर निर्भर करता है, और इससे अमेरिकी उत्पादकों पर फर्क पड़ा है। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, शीर्ष तीन प्रकार के उर्वरकों के सबसे बड़े खरीदार ब्राजील, भारत, अमेरिका और चीन हैं। कुछ किसानों के लिए, उच्च कीमत या अनुपलब्ध उर्वरक का मतलब होगा कि इस वर्ष फसलों को उतना पोषण नहीं मिल सकता है। बदले में, पैदावार कम हो सकती है।

Vidushi Mishra

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