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Pakistan: उप चुनावों में बड़ी जीत के बाद इमरान आक्रामक, शरीफ सरकार पर बढ़ाया जल्द चुनाव कराने का दबाव
Imran Khan: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुए उपचुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने 20 में से 15 सीटों पर जीत हासिल
Imran Khan: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत (Punjab province) में हुए उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Former PM Imran Khan) आक्रामक हो गए हैं। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने 20 में से 15 सीटों पर जीत हासिल करके सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज को बड़ा झटका दिया है। इस जीत ने इमरान खान को बड़ी ताकत दी है और उन्होंने शहबाज शरीफ सरकार (Sharif government) के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है।
इमरान ने साफ तौर पर कहा है कि अब शरीफ सरकार (Sharif government) देश में ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाली है। प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद मध्यावधि चुनाव की मांग करने वाले इमरान ने सरकार पर जल्द चुनाव कराने के लिए दबाव भी बढ़ा दिया है। उपचुनाव के नतीजों से फौज को भी बड़ा संदेश मिला है कि देश में अभी भी इमरान को काफी जनसमर्थन हासिल है।
देश में जल्द चुनाव कराने की मांग
चुनावी जीत के बाद उत्साहित दिख रहे इमरान ने कहा कि देश कई मोर्चों पर गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है और ऐसे में जल्द से जल्द चुनाव कराए जाने चाहिए। वैसे तय समय सीमा के मुताबिक अगले साल अक्टूबर में चुनाव होने हैं मगर इमरान का कहना है कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए अक्टूबर 2023 तक इंतजार नहीं किया जा सकता। देश को बड़ी मुश्किलों से बचाने का सिर्फ अब एक ही रास्ता बचा है और वह रास्ता है चुनाव का।
सियासी जानकारों का मानना है कि पंजाब में 20 में से 15 सीटों पर चुनाव जीतने के बाद इमरान के हौसले काफी बुलंद हुए हैं। उन्हें देश में चुनाव की स्थिति में खुद के मजबूत बनकर उभरने का भरोसा है। इसी कारण अब उन्होंने शरीफ सरकार पर मध्यावधि चुनाव के लिए दबाव बढ़ा दिया है। हांलाकि शरीफ सरकार इमरान की मांग को पहले भी ठुकरा चुकी है। शरीफ सरकार का दावा है कि उन्हें कंगाल पाकिस्तान मिला है और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशें की जा रही हैं।
आर्थिक मोर्चे पर पाक की दिक्कतें बढ़ीं
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के जानकारों का मानना है कि देश के आर्थिक हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि श्रीलंका के तरह ही पाकिस्तान के भी आर्थिक रूप से दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है। आईएमएफ के साथ पाकिस्तान की लंबे समय से बातचीत चल रही है मगर अभी तक आईएमएस ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान तीन साल से फेट की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने में कामयाब नहीं हो सका है। पाकिस्तान को सभी शर्तों को पूरा न करने के कारण फेट की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं किया जा रहा है।
अमेरिकी दबाव का दिख रहा असर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की कमजोर हालत के लिए अमेरिकी दबाव को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ने से पूर्व इमरान खान ने अमेरिका पर खुद को सत्ता से बेदखल करने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। अमेरिका की ओर से कई बार इस दावे का खंडन किए जाने के बावजूद इमरान अपने बयान पर कायम रहे।
इसके साथ ही आतंकी संगठनों की मदद करने के कारण भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की साख को बट्टा लगा है। आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में अमेरिकी प्रभुत्व होने के कारण पाकिस्तान को आर्थिक मदद भी नहीं मिल पा रही है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष में और बढ़ेगा टकराव
जानकारों का कहना है कि देश में राजनीतिक अस्थिरता के साथ ही चीन के सीधे दखल के कारण दूसरे देशों की ओर से पाकिस्तान को मदद की कोई पहल नहीं की जा रही है। देश में अप्रैल में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तलवारें खिंची हुई हैं और शरीफ सरकार को भी स्थिर नहीं माना जा रहा है। आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को मजबूत बनाने के लिए शरीफ सरकार को कड़े फैसले लेने होंगे मगर सरकार लोगों की नाराजगी की आशंका से इन फैसलों को लेने से डर रही है।
यही कारण है कि पाकिस्तान की आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। इससे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सरकार पर हमला करने का बड़ा मौका हाथ लग गया है। चुनावी जीत के बाद अब माना जा रहा है कि इमरान और आक्रामक होंगे। प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद वे लगातार लोगों के बीच जाकर रैलियां करने में जुटे हुए हैं। इमरान का यह दबाव आने वाले दिनों में शरीफ सरकार के लिए और बड़ी मुसीबत बनेगा।