आजादी मार्च: ऐसा क्या हुआ इमरान सरकार के खिलाफ खड़ी हो गई सेना?

पाकिस्तान में आजादी मार्च को लेकर इमरान सरकार और उलमा-ए-इस्लाम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के बीच गतिरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मौलाना फजलुर रहमान अभी भी इमरान खान के इस्तीफे पर अड़े हुए है।

Aditya Mishra
Published on: 7 Nov 2019 8:19 AM GMT
आजादी मार्च: ऐसा क्या हुआ इमरान सरकार के खिलाफ खड़ी हो गई सेना?
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आजादी मार्च को लेकर इमरान सरकार और उलमा-ए-इस्लाम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के बीच गतिरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है।

मौलाना फजलुर रहमान अभी भी इमरान खान के इस्तीफे पर अड़े हुए है। जिससे इमरान सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही है।

इस बीच पाकिस्तान से एक और बड़ी खबर आ रही है। जो इमरान सरकार के लिए नई मुसीबतें खड़ा कर सकती है।

पाकिस्तानी सेना ने बुधवार को दावा किया कि वह इमरान खान की अगुआई वाली सरकार और विपक्ष के बीच इस मार्च के लिए मध्यस्थता नहीं करेगी।

पाकिस्तानी सेना का कहना है कि आजादी मार्च एक राजनीतिक गतिविधि है और सेना का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

गफूर ने कहा कि पाकिस्तान सेना राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से निपटने के लिए व्यस्त थी, जो जेयूआई-एफ की आजादी मार्च जैसी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल थी।

मेजर जनरल गफूर ने यह पूछे जाने पर कि क्या सेना प्रमुख पीटीआई के नेतृत्व में चल रहे में मध्यस्थता करेंगे या नहीं।

उन्होंने कहा, 'हम राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा संबंधी मामलों में व्यस्त हैं और इन आरोपों का जवाब देना चाहते हैं।

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सेना साफ कर रही अपना रुख

इससे पहले सेना के प्रवक्ता आसिफ गफूर ने शनिवार को एक अन्य टीवी इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान सेना ने हमेशा कानून और संविधान के मुताबिक, लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों का समर्थन किया है।

सुरक्षा का हवाला देते हुए गफूर ने कहा, 'सेना पिछले 20 सालों से राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारियों में लगी हुई है, खासकर पिछले 20 सालों से जैसा कि मैंने पहले भी कहा है। हमारी जिम्मेदारियां हमें किसी भी तरह की (राजनीतिक) गतिविधि में शामिल होने की अनुमति नहीं देती हैं।'

इस्तीफे को छोड़ उनकी सभी मांगें मानने को तैयार हुए इमरान

उलमा-ए-इस्लाम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व में विपक्षी दलों के आजादी मार्च से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दबाव में आ गए हैं। वह अपने इस्तीफे को छोड़ उनकी सभी मांगें मानने को तैयार हो गए हैं। इमरान ने मंगलवार को कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे, लेकिन सभी जायज मांगें मानने के लिए राजी हैं।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, प्रधानमंत्री इमरान ने विपक्षी पार्टियों के साथ बातचीत के लिए रेल मंत्री परवेज खट्टक की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है। उन्होंने इस समिति के साथ बैठक में विपक्ष की मांगों पर अपनी सहमति दी।

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6 दिनों से जारी है विरोध मार्च

पाकिस्तान में पिछले 6 दिनों से जारी आजादी मार्च का उद्देश्य इमरान खान के इस्तीफे की मांग को लेकर है, जिन्हें पाकिस्तान में सरकार बनाए अभी बस एक साल से अधिक का समय हुआ है। फजलुर रहमान उर्फ मौलाना डीजल के अनुसार, आजादी मार्च संविधान, लोकतंत्र और पाकिस्तान के लिए निकाला जा रहा है।

2014 में नवाज का हुआ था विरोध

पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के खिलाफ हो रहा आजादी मार्च देश का सबसे बड़ा सरकार विरोधी प्रदर्शन है। आजादी मार्च ने 2014 में नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली तत्कालीन पाकिस्तान सरकार में धरना देने वालों की संख्या को पार कर दिया है।

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