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India Help Afghanistan: भारत की बड़ी डिप्लोमैटिक जीत, अफगानिस्तान को भेजी मानवीय मदद
India Help Afghanistan: भारत ने तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की नई सरकार को मान्यता नहीं दी है और वह काबुल में वास्तविक रूप से समावेशी सरकार बनाने की आवाज बुलंद करता रहा है।
India Help Afghanistan: अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) के नियंत्रण के बाद से दुनिया ने उससे किनारा कर लिया है। इसके चलते हालत ये हो गई है कि अफगानी लोग खाने और दवाओं के मोहताज हो गए हैं। ऐसे में भारत ने अफगानिस्तान (Afghanistan) के साथ पुरानी दोस्ती निभाते हुए वहां मेडिकल सप्लाई (medical supplies) की बड़ी खेप भेजी है। जिस तरह अफगानिस्तान में पाकिस्तान (pakistan), रूस (Russia) और चीन (China) अपनी रणनीति अपनाए हुए हैं, उसमें भारत की ये एक बड़ी और महत्वपूर्ण डिप्लोमेसी है। भारत ने अपने इस कदम के जरिये ये मैसेज दिया है कि वह अफगान लोगों का हमदर्द है। भारत ने तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की नई सरकार को मान्यता नहीं दी है और वह काबुल में वास्तविक रूप से समावेशी सरकार बनाने की आवाज बुलंद करता रहा है।
मानवीय मदद
तालिबान के नियंत्रण के बाद पहली बार भारत ने अफगानिस्तान को जीवनरक्षक चिकित्सकीय सामग्री भेजी है जो भारत से काबुल को भेजी गई मानवीय मदद की पहली खेप है। दस भारतीयों और 94 अफगान नागरिकों को काबुल से 10 दिसम्बर को दिल्ली लेकर आए विमान के जरिए चिकित्सकीय सामग्री को अफगानिस्तान भेजा गया। भारत में फंसे करीब 90 अफगान नागरिकों को भी इस विमान के जरिए वापस भेजा गया। अफगान राजदूत फरीद ममुंदजे ने बताया है कि भारत ने 1.6 टन जीवनरक्षक दवाएं भेजी हैं। इस खेप को काबुल में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों को सौंपा जाएगा। फिर ये काबुल स्थित इंदिरा गांधी बाल चिकित्सालय (Indira Gandhi Children's Hospital) में दी जाएंगी।
भारत का रुख
भारत का रुख रहा है कि अफगानिस्तान में मानवीय संकट से निपटने के लिए वहां मानवीय सहायता निर्बाध रूप से दी जानी चाहिए। इसी के साथ भारत काबुल में एक वास्तविक समावेशी सरकार के गठन का भी समर्थक रहा है जिसमें हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो। भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। भारत ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान के जरिए 50 हजार टन गेहूं और दवाएं भेजने की घोषणा भी की है। भारत और पाकिस्तान इस खेप को भेजने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे रहे हैं।
प्राचीन वस्तुएं लाईं गईं
अफगानिस्तान से जो लोग भारत आये हैं वे अपने साथ 'गुरु ग्रंथ साहिब के दो स्वरूप' और कुछ प्राचीन हिंदू पांडुलिपियां भी लाए हैं।'' तालिबान द्वारा 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा किए जाने के बाद अफगानिस्तान से भारतीयों और अफगान नागरिकों को लाने के भारत के 'ऑपरेशन देवी शक्ति'' के तहत इन लोगों को लाया गया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत कुल 669 लोगों को अफगानिस्तान से लाया गया है, जिनमें 448 भारतीय और 206 अफगान नागरिक हैं। इनमें अफगान हिंदू और सिख भी हैं। अगस्त में 438 भारतीयों समेत 565 लोगों को अफगानिस्तान से निकाला गया था।
कूटनीतिक पहल
समझा जाता है कि 'तालिबान शासन' और 'अफगानिस्तान के लोगों' के बीच अंतर करने का फैसला कुछ समय पहले किया गया था। इस फैसले के तहतभारत, संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियों के माध्यम से जरूरी चीजों की सप्लाई के साथ अफगानिस्तान के लोगों तक पहुंचेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से दवाएं और विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत अनाज सप्लाई किया जाएगा। इस डिप्लोमेसी में भारत पिछले चार महीनों में तालिबान के अधिकारियों के साथ पर्दे के पीछे की बातचीत में शामिल हुआ। भारतीय दूत दीपक मित्तल ने अगस्त में आधिकारिक तौर पर तालिबान के दोहा कार्यालय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। भारत ने 10 नवंबर को अफगानिस्तान पर एक क्षेत्रीय वार्ता की मेजबानी भी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने भाग लिया था। तालिबान के कंट्रोल के पहले बीते दो दशकों में भारत, अफगानिस्तान के सबसे बड़ा क्षेत्रीय मददगार रहा है। भारत ने अफगानिस्तान के डेवलपमेंट में 3 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है।