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Nepal Election 2022: नेपाल में हो रहे मतदान पर भारत की सतर्क निगाह, द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करेंगे नतीजे

Nepal Election 2022: राजनीतिक अस्थिरता के लिए जाने जाने वाले नेपाल में एकबार फिर से आम चुनाव हो रहे हैं। साल 1990 के बाद से अभी तक यहां 32 सरकारें बदल चुकी हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 20 Nov 2022 10:47 AM GMT
Nepal Election Voting 2022
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Nepal Election Voting 2022 (Social Media)

Nepal Election 2022: राजनीतिक अस्थिरता के लिए जाने जाने वाले नेपाल में एकबार फिर से आम चुनाव हो रहे हैं। हिमालय की गोद में बसे इस छोटे से देश में राजनीतिक उठापटक का आलम ये है कि साल 1990 के बाद से अभी तक यहां 32 सरकारें बदल चुकी हैं। देश में जारी सियासी उथलपुथल के बीच नेपाली जनता नई सरकार को चुनने के लिए फिर से घरों से बाहर निकली है। साल 2015 में घोषित किए गए संविधान के बाद ये दूसरा चुनाव है।

चुनाव पर भारत की भी नजर

नेपाल में चीन की बढ़ती दिलचस्पी ने देश में भारत विरोधी तत्वों को सक्रिय कर दिया है। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। मगर पिछले कुछ सालों में चीन की शह पर नेपाल के कुछ वामपंथी नेताओं ने भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली प्रमुख हैं। चीन नेपाली जमीन का इस्तेमाल भारत को घेरने के लिए करना चाहता है। यही वजह है कि नेपाल में हो रहे आम चुनाव पर भारत की नजरें भी टिकी हुई हैं।

ओली ने उठाया सीमा विवाद का मुद्दा

पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाल कम्यूनिष्ट पार्टी के प्रमुख केपी शर्मा ओली सत्ता के प्रबल दावेदारों में हैं। ओली की भारत विरोधी छवि जगजाहिर है। उन्होंने चुनाव के दौरान भी नेपाली जनता के बीच भारत विरोधी भावना को भड़काने की भरसक कोशिश की। केपी ओली ने अपनी रैलियों में भारत के साथ सीमा विवाद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री बनते ही भारत के सीमा विवाद हल कर देंगे। वे देश की एक इंच भूमि भी भारत के पास नहीं जाने देंगे। ओली के इस रूख से स्पष्ट है कि अगर नेपाल की सत्ता में उनकी फिर से वापसी होती है तो भारत के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो जाएगी।

ओली के कार्यकाल के दौरान भारत और नेपाल के संबंध काफी खराब हो गए थे। साल 2019 में ओली ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भारत सरकार द्वारा जारी नए नक्शे पर आपत्ति जताई थी, जिसमें कालापानी इलाके को भारत के हिस्से में दिखाया गया था। ओली ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा बताते हुए संसद से नया नक्शा भी पास करा लिया था। जिसपर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारत इन जगहों को उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है।

वर्तमान पीएम की क्या है राय

नेपाल के वर्तमान प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के मुखिया शेर बहादुर देउबा की छवि एक शांत राजनेता की है। वह भारत के साथ किसी भी तरह का टकराव मोल नहीं लेना चाहते। दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद को वह बातचीत के जरिए सुलझाना चाहते हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो भारत और नेपाल के संबंध के लिए देउबा का आना ज्यादा सही रहेगा। आपको बता दें कि नेपाल में सत्ता की मुख्य लड़ाई दो प्रमुख चेहरों मौजूदा पीएम शेर बहादुर देउबा और पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली के बीच है। आज शाम 5 बजे तक संसद की कुल 275 सीटों के लिए मतदान होगा। नतीजों के एक हफ्ते में आने की उम्मीद है।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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