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SCO Summit: एससीओ सम्मेलन के दौरान हुई भारत-पाक विदेश मंत्रियों की मुलाकात, रिश्ते होंगे बेहतर!

SCO Summit: ताशकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के बीच मुलाकात हुई।

Krishna Chaudhary
Published on: 30 July 2022 6:43 PM IST (Updated on: 30 July 2022 6:44 PM IST)
Indo-Pak foreign ministers met during SCO summit, relations will be better!
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एससीओ सम्मेलन के दौरान हुई भारत-पाक विदेश मंत्रियों की मुलाकात: Photo- Newstrack

SCO Summit: जम्मू –कश्मीर (Jammu and Kashmir) से विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों (Relations between India and Pakistan) में ठहराव बना हुआ है। दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ कब पिघलेगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। इस तनाव भरे संबंधों के बीच शुक्रवार को उज्बेकिस्तान के ताशकंद (Tashkent of Uzbekistan) में दोनों देशों के विदेशमंत्री शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हुए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (Indian External Affairs Minister S Jaishankar) और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी (Pakistan's Foreign Minister Bilawal Bhutto Zardari) के बीच मुलाकात हुई।

यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान की सत्ता में शरीफ सरकार के आने के बाद दोनों देशों के बड़े नेताओं की ये पहली मुलाकात है। हालांकि, सूत्रों ने ये भी साफ किया कि दोनों देशों के बीच कोई द्वीपक्षीय प्रतिनिधिमंडल की वार्ता नहीं हुई लेकिन एस जयशंकर और बिलावट भुट्टो के बीच शिष्टाचार भेंट जरूर हुई। दोनों नेताओं ने एक दूसरे से हाथ भी मिलाया। ऐसे में दोनों देशों के संबंध जो लंबे समय से पटरी से उतरे हुए हैं, उसकी पुनः पटरी पर लाने की चर्चा तेज हो गई है।

संबंधों में कड़वाहट कम करना चाहता है पाकिस्तान

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Former Prime Minister Imran Khan) के कार्यकाल के दौरान भारत और पाकिस्तान के संबंध एकदम निचले स्तर पर पहुंच चुके थे। खान लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी के खिलाफ अनाप-शनाप बयान देते रहते थे। उनकी सत्ता से रवानगी के बाद पाकिस्तान अब भारत के साथ संबंधों में गर्माहट लाना चाहता है। पाकिस्तानी आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा का बयान और मौजूदा विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के बयान इसके उदाहरण है। भुट्टो पिछले दिनों भारत के साथ दोस्ताना संबंध बहाल करने की वकालत कर चुके हैं।

वहीं पाकिस्तानी फौज द्वारा सीमा पर युद्धविराम का सख्ती से पालन किया जाना बताता है कि वह भी इसे लेकर गंभीर है। दरअसल, इसके पीछे भी पाकिस्तान की अपनी मजबूरियां है। आतंकवाद को लेकर वैश्विक मंचों पर एक्सपोज हो चुका यह देश इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है। आतंकवाद को प्रश्रय देने को लेकर वह पहले से ही अलग –थलग पड़ चुका है। इसके अलावा पाकिस्तान में इन दिनों जबरदस्त अंदरूनी सियासी उठापटक चल रही है, सत्ता से बेदखल किए गए इमरान खान लगातार सेना और सरकार को चुनौती दे रहे हैं। ऐसी सूरत में पाकिस्तान ल भारत से उलझने के बजाय उससे रिश्ते बेहतर करने की सोच रहा है।

भारत भी चाहता है अच्छे संबंध

भारत की भी हमेशा कोशिश रही कि पाकिस्तान एक दुश्मन पड़ोसी देश के बजाय पड़ोसी मित्र की भूमिका निभाए। लेकिन हरबार उसे पाकिस्तान से छल ही मिला है। इसलिए भारत लगातार कहते रहा है कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते। लेकिन इमरान खान सरकार के जाने के बाद भारत को लगता है कि मौजूदा शरीफ सरकार भारत के साथ संबंधों को बेहतर करना चाहती है, खासकर व्यापार संबंधों को। भारत भी चाहता है कि चीनी सीमा पर जारी तनाव के बीच पाकिस्तान के मोर्चे पर शांति बनी रहे ताकि ड्रैगन पर पूरा फोकस किया जा सके।

हालांकि, भारत सरकार को ये भी मानती है कि शरीफ सरकार के पास मुश्किल से एक साल का समय है। ऐसे में चुनावी साल में वह भारत के साथ संबंधों को लेकर कोई ऐसा फैसला नहीं लेगी, जो उसके लिए राजनीतिक आत्महत्या साबित हो। वैसे भी इमरान खान शरीफ परिवार पर भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने के उनके प्रयासों को लेकर उनपर हमलावर रहे हैं।

15 और 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ भी शामिल होंगे। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात होती है या नहीं देखना दिलचस्प होगा।



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Shashi kant gautam

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