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Indo US Relation: भारत-रूस के बीच हुए S-400 डिफेंस डील, बोले अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन

Indo US Relation: अमेरिका भारत द्वारा रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदे जाने पर कोई सख्त कार्रवाई करेगा। अमेरिका ने इसे लेकर बड़ा बयान दिया है।

Krishna Chaudhary
Report Krishna ChaudharyPublished By Praveen Singh
Published on: 12 April 2022 9:19 PM IST
Indo-US Relation
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Indo-US Relation ( image-social media)

Indo US Relation: वाशिंगटन. रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका की नजरें भारत और रूस के संबंधों पर टेढ़ी हो गई है। ऐसे में कूटनीतिक हलकों में इस बात पर चर्चा तेज हो गई कि क्या अमेरिका भारत द्वारा रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदे जाने पर कोई सख्त कार्रवाई करेगा। अमेरिका ने इसे लेकर बड़ा बयान दिया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत की रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील को लेकर अमेरिका ने CATSAA कानून के तहत भारत को संभावित प्रतिबंधों और इससे छूट देने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है।

अमेरिका विदेश मंत्री ने इशारों में भारत को संदेश देने की कोशिश करते हुए कहा कि हमें सभी देशों से रूसी हथियार प्रणालियों के लिए नए बड़े लेन देन से बचने का आग्रह करते हैं। विशेष रूप से मौजूद वक्त भी ये और जरूरी है क्योंकि रूस यूक्रेन में आज क्या है रहा है सबको पता है। ब्लिंकन ने कहा कि हमने अभी तक CATSAA कानून के तहत संभावित प्रतबंधों या संभावित छूट का कोई निर्धारण नहीं किया है।

दरअसल अमेरिकी विदेशमंत्री का ये बयान ऐसे समय में आय़ा है जब भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर टू प्लस टू वार्ता के लिए अमेरिका में हैं। बता दें कि 2018 में तत्कालीन ट्रंप सरकार के चेतावनी के बावजूद भारत ने रूस से 5 मिलियन डॉलर के का भारी भरकम डिफेंस सौदा किया था, जिसके तहत भारत को S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के 5 यूनिट मिलने हैं। दरअसल अमेरिका ने यही मिसाइल सिस्टम नाटो के सहयोगी देश तुर्की द्वारा खरीदे जाने पर उसपर CATSAA कानून के तहत प्रतिबंध लगा चुका है।

क्या है CATSAA कानून

काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CATSAA) अमेरिकी सरकार द्वारा लाया गया ऐसा कानून है जिसके जरिए वो ईरान, उत्तर कोरिया और रूस जैसे देशों के साथ लेन देन करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है। अमेरिका ने इस कानून को रूस को ध्यान में रखते हुए बनाया है। रूस द्वारा 2014 में क्रिमिया पर अवैध कब्जा करने और फिर 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कथित हस्तक्षेप के जवाब में अमेरिका ने ये कानून लाया है। दरअसल रूस अब भी दुनिया का बड़ा हथियार निर्यातक देश है, लिहाजा अमेरिका उसके इस स्ट्रेंथ पर इस कानून के जरिए वार करना चाहता है।



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