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Indonesia Palm Oil: भारत को भी दिक्कत, जानिए क्यों 22000 रुपये प्रति लीटर हुई तेल की कीमत

Palm Oil Crisis : दुनिया के सबसे बड़े पाम ऑयल उत्पादक देश इंडोनेशिया में पाम ऑयल का संकट गहरा गया है। जहां कीमतें 22000 हज़ार रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई हैं।

Bishwajeet Kumar
Written By Bishwajeet Kumar
Published on: 8 April 2022 12:43 PM IST
Palm Oil
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Palm Oil (Image Credit - Social Media)

Indonesia Palm Oil Crisis : देश और दुनिया के लगभग सभी घरों में पाम ऑयल (Palm Oil) और वनस्पति तेल (Vegetable oil) का उपयोग खानपान में जरूर होता है। लेकिन क्या हो जब किसी देश में 1 लीटर तेल की कीमत सोने की कीमत के बराबर हो जाए। बात इंडोनेशिया की जो खुद विश्व का सबसे बड़ा कच्चे पाम ऑयल उत्पादक करने वाला देश है। वह इंडोनेशिया आज खुद पाम ऑयल के संकट (Palm Oil Crisis in Indonesia) से जूझ रहा है। इंडोनेशिया में इस वक्त का पाम ऑयल की कीमतें आसमान छू रही हैं। जो देश खुद पहले दुनिया भर में पाम ऑयल को एक्सपोर्ट करता था आज वहां पाम ऑयल की कीमतें सोने की तरह महंगी हो गई हैं।

22000 रुपये प्रति लीटर तक पहुंची कीमतें

इंडोनेशिया में जो पाम ऑयल पहले बेहद सस्ते दरों पर मिल जाता था उसी पाम ऑयल की कीमत इंडोनेशिया की मुद्रा में आज 22000 रुपये प्रति लीटर हो गई है। इंडोनेशिया में पाम आयल का संकट पैदा होने से इसका असर पूरे विश्व पर पड़ रहा है। अगर साल 2021 की बात करें तो उस वक्त इंडोनेशिया में पाम ऑयल की कीमत इंडोनेशिया की मुद्रा में 14000 रुपए प्रति लीटर था। लेकिन महज एक साल के अंदर ही अब कीमत दोगुनी के लगभग हो गई है।

निजीकरण के कारण बढ़ा दाम

इंडोनेशिया ने हाल ही में सीपीयू के उत्पादन का 60% हिस्सा निजी कंपनियों को दे दिया। जिसके कारण देश के फुल सीपीओ उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा निजी कंपनियों के पास हो गया और आम किसानों के पास उत्पादन कम होने के कारण निजी कंपनियों ने दुनिया भर में आर्थिक हालातों को देखते हुए पाम ऑयल का संकट इंडोनेशिया में पैदा कर दिया। इस संकट का असर इंडोनेशिया समेत पूरे विश्व पर देखने को मिलता है। हाल ही में इंडोनेशिया के व्यापार मंत्री मोहम्मद अली ने कहा था कि देश में पाम ऑयल का संकट निजी कंपनियों के कारण हुआ है।

जमाखोरी

इंडोनेशिया में पाम ऑयल संकट पैदा होने का एक बहुत बड़ा कारण वहां जमाखोरी भी है। इंडोनेशिया के निजी कारोबारियों ने पर्याप्त मात्रा में उत्पादन होने के बावजूद पाम ऑयल को ना ही देश में बिकने दे रहे हैं और ना ही उसे विश्व के अन्य किसी देशों में निर्यात कर रहे हैं। जमाखोरी के कारण इसका पूरा असर घरेलू बाजार पर देखने को मिला।

पाम आयल के जमाखोरी तब शुरू हुआ जब इंडोनेशिया सरकार ने कीमतों को काबू में करने के लिए पाम ऑयल की अधिकतम कीमत को 14000 रुपये (इंडोनेशिया की मुद्रा) प्रति लीटर तय कर दिया। सरकार ने यह भी तय कर दिया कि कोई भी आम आदमी एक बार में केवल 2 लीटर तेल खरीद सकेगा। इसके अलावा इंडोनेशिया की सरकार ने सीपीओ के कीमतों पर भी एक दायरा लागू कर दिया और कहा कि 9300 (इंडोनेशिया की मुद्रा) रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक सीपीओ की बिक्री नहीं होगी।

रूस-यूक्रेन युद्ध

इंडोनेशिया में पाम ऑयल की कीमतों के आसमान छूने का एक बहुत बड़ा वजह रूस यूक्रेन युद्ध भी रहा। दुनिया भर के सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में बहुत बड़ा हिस्सा रूस और यूक्रेन का है जो कुल 75% सूरजमुखी की आपूर्ति दुनिया को करते हैं। सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति प्रभावित होने के कारण दुनियाभर में लोगों ने पाम ऑयल की खरीदारी तेज कर दी जिसके कारण भी इसकी कीमतों पर असर पड़ा।

भारत पर असर

इंडोनेशिया में पाम ऑयल संकट आने के कारण भारत के लोगों पर भी इसका असर पड़ा। भारत दुनिया में सबसे अधिक पाम ऑयल का निर्यातक है इंडोनेशिया में पाम ऑयल संकट गहराने के कारण भारत में भी इसकी आपूर्ति पर प्रभाव पड़ा जिसके कारण यहां भी कीमतों में उछाल आई।

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