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International Day of Peace 2021: पीस यानी शांति यह क्या होता है, क्या पीस डे भी मनाया जाता है
भारत को प्राचीन काल से शांति का अग्रदूत कहा जाता है। क्योंकि विदेशियों के आक्रमण से पहले भारत का केवल एक धर्म था हिन्दुत्व यानी सनातन धर्म। इस धर्म का आधार ही वसुधैव कुटुम्बकम था। अर्थात सारी सृष्टि एक परिवार है।
लखनऊ: 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है। शांति एक बहुत छोटा सा शब्द है जो अपने आप में समंदर से गहराई को समेटे हैं। शांति तो मरघट, श्मशान, कब्रिस्तान में भी होती है। किसी का निधन हो जाए तो भी एक अजीब सी शांति छा जाती है। लेकिन असली सवाल यह है कि शांति शब्द का उच्चारण करते हुए हम चाहते क्या हैं। अमूमन बहस मुबाहिसे में इस शब्द को कहने का आशय अपनी बात कहने के लिए स्पेस या जगह बनाने के लिए होता है। व्यापक अर्थों में इसका प्रयोग घर में शांति यानी कोई झगड़ा झंझट न हो स्मूथ फंक्शनिंग के लिए होता है। कार्यस्थल में भी शांति है कहने का मतलब होता है सब कुछ ठीक चल रहा है। शहर में शांति है यानी कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हो रही। राज्य में शांति है यानी सब ठीक चल रहा है। देश में शांति है। यानी बेहतर शासन है। दो मुल्कों के बीच शांति है यानी कोई वाद विवाद नहीं है।
वैश्विक शांति है कोई भी आसानी से नहीं कह सकता क्योंकि इस विश्व में कहीं न कहीं दुनिया का कोई न कोई कोना अशांत जरूर होगा। कहीं युद्ध की विभीषिका होगी तो कहीं भुखमरी या महामारी का प्रकोप। कई बार लोग शांति से लोग घबड़ा भी जाते हैं और कहते हैं कैसी अजीब सी शांति छायी है, अनिष्ट की आशंका में भी इसका इस्तेमाल होता है। चलिए आज आपको बताते हैं कि शांति शब्द कहां सबसे पहले प्रयुक्त हुआ। शांति से हम क्या चाहते हैं और शांति दिवस या अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई यह दिन क्यों मनाया जाता है?
हिन्दी शब्द कोश में शांति की परिभाषा देते हुए कहा गया है कि वेग या क्रिया का अभाव, किसी प्रकार की हलचल न होना शांत या शांति है। किसी व्यक्ति के मरने पर शरीर शांत हो गया, ऐसा कहा जाता है। व्यापक अर्थों में शांति है से आशय किसी प्रकार का उपद्रव न होने से होता है। इसके इतर शांति का आशय मधुरता और भाईचारे से भी होता है। व्यापक या वैश्विक संदर्भों में शांति युद्धविराम या संघर्ष में ठहराव से लिया जाता है। प्रसिद्ध उपन्यास 'वार एंड पीस' इसी थीम पर लिखा गया था।
भारत को प्राचीन काल से शांति का अग्रदूत कहा जाता है। क्योंकि विदेशियों के आक्रमण से पहले भारत का केवल एक धर्म था हिन्दुत्व यानी सनातन धर्म। इस धर्म का आधार ही वसुधैव कुटुम्बकम था। अर्थात सारी सृष्टि एक परिवार है। हिन्दुओं के पांच देवताओं में भगवान विष्णु शांति और वैभव के देवता माने गए हैं।
वेदों में शांति मंत्र
देश में हर घर में पूजा पाठ के आरंभ में शांति पाठ अनिवार्य रूप से होता है
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षं शान्ति:
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:
सर्वं शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
यजुर्वेद के इस शांति पाठ मंत्र में सृष्टि के समस्त तत्वों व कारकों से शांति बनाये रखने की प्रार्थना की गई है। इसमें कहा गया है कि द्युलोक में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हों, जल में शांति हो, औषधियों में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, विश्व में शांति हो, सभी देवतागणों में शांति हो, ब्रह्म में शांति हो, सब में शांति हो, चारों और शांति हो, शांति हो, शांति हो, शांति हो।
अद्भुत है हम वैदिक काल से सम्पूर्ण विश्व में शांति और अमन चैन की प्रार्थना करते आ रहे हैं। आज भी इस देश के करोड़ों लोग अपने घरों से वैश्विक शांति की अलख नित्य प्रति जगाते रहते हैं। शांतिपूर्ण अहिंसक आंदोलन के लिए महात्मा गाँधी को शांति दूत कहा जाता है। गीतों में कहा गया है दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना, ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।
अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस या विश्व शांति दिवस मनाने की शुरुआत 1981 से हुई है। यह दिन विश्व शांति को समर्पित है। खासकर इसे युद्ध और हिंसा को खत्म करने के लिए मनाया जाता है। इसको मनाने का उद्देश्य युद्धग्रस्त क्षेत्रों या हिंसा वाले क्षेत्रों में मानवीय मदद पहुंचाने के लिए युद्ध विराम कर रास्ता देना भी है।
इसके उद्घाटन के दिन न्यूयार्क सिटी में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शांति की घंटी बजायी गई थी। इस घंटी को अफ्रीका को छोड़कर सभी कांटिनेट से बच्चों के पैसे से खरीदा गया था। ये जापान की ओर से संयुक्त राष्ट्र को एक उपहार था जो कि युद्ध की मानवीय त्रासदी की याद दिलाता है। इसमें एक संदेश निहित है कि विश्व में शांति कायम रहे।