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International Tiger Day: इसीलिए है ये जंगल का राजा, खूबियां कर देंगी आपको हैरान
राष्ट्रीय पशुओं की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। वैसे कुछ सालों से टाइगर की संख्या बढ़ाने और उनके संरक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है। बाघ, यह उप-प्रजाति भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और दक्षिण तिब्बत के तराई वाले जंगलों में पाई जाती है।
नई दिल्ली: आज International tiger day यानी कि अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस है। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। इसे रॉयल बंगाल टाइगर भी कहते हैं।
इसे यह सम्मान इसकी खूबसूरती और ताकत को देखते हुए मिला है। जंगल का राजा कहलाने वाला बाघ का जूलॉजिकल नाम पेंथेरा टाइग्रिस है जोकी भारत की शान है। भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ को अब बचाने की मुहीम भी चल रही है।
बंगाल का सुंदरबन जंगल टाइगर का प्राकृतिक आवास
राष्ट्रीय पशुओं की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। वैसे कुछ सालों से टाइगर की संख्या बढ़ाने और उनके संरक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है। बाघ, यह उप-प्रजाति भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और दक्षिण तिब्बत के तराई वाले जंगलों में पाई जाती है। बंगाल का सुंदरबन जंगल इसका प्राकृतिक आवास है लेकिन कटते जंगल और बढ़ते शिकार की वजह से यह संकट में है।
यहां जानें बाघों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-
1- वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड एंड ग्लोबल टाइगर फोरम के मुताबिक, दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में ही रहते हैं। 2006 में भारत में 1411 बाघ थे, जो 2010 में 1706 थे। आखिरी गणना 2014 में हुई थी, जिसमें 2226 बंगाल टाइगर पाए गए।
2-तीन साल में ही बाघ वयस्क हो जाते हैं। वो शारीरिक संबंध बना सकते हैं।
3-बाघिन का गर्भकाल 105-115 दिनों तक का होता है।
4-बाघ के बच्चे सातवें हफ्ते से ही शिकार पर लग जाते हैं।
5-मछली की तरह पानी में तैरना भी बाघ को आता है। वो एक अच्छा तैराक होता है।
6-आमतौर पर टाइगर दिन से अधिक रात्रि में शिकार करते हैं। वो रात्रिचर होते हैं।
7-बाघ 65 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है।
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क्या कहती है स्टेटस रिपोर्ट ?
आपको पता है कि भारत में बाघों के संरक्षण पर अब विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विश्व टाइगर दिवस के एक दिन पहले बाघों की गणना की गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि बाघों की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर, कर्नाटक दूसरे और उत्तराखंड तीसरे नंबर पर है। वैसे मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या 526, कर्नाटक में 524, उत्तराखंड में 442, महाराष्ट्र में 312 और तमिलनाडु में 264 बाघों की संख्या दर्ज की गई है। भारत में हर चार साल में एक बार बाघों की गणना की जाती है। हर बार की गणना में कोई न कोई राज्य एक-दूसरे को पछाड़कर बाघों की संख्या पर अपना वर्चस्व कायम करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर फोटोग्राफी
विश्व टाइगर दिवस के दिन ये शानदार फोटोग्राफी हमारे न्यूज़ पोर्टल newstrack.com के फोटोजर्नलिस्ट आशुतोष त्रिपाठी जी ने की है। जिन्होंने बाघ की अलग-अलग क्रिया-कलापों को अपने कैमरे में कैद किया है।