×

ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध हो सकता है नाकाम

seema
Published on: 9 Nov 2018 1:04 PM IST
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध हो सकता है नाकाम
X

ईरान पर आर्थिक प्रतिबंधों का निशाना मुख्य रूप से तेल और गैस कंपनियां हैं। ईरान से परमाणु मुद्दे पर बातचीत में प्रवक्ता रहे सैयद हुसैन मुसावियन मानते हैं कि कम से कम 5 ऐसी वजहें हैं जो प्रतिबंधों को नाकाम कर सकती हैं। ये वजहें हैं :

भारी मात्रा में तेल का निर्यात : अमेरिका ईरान से तेल निर्यात को शून्य करना चाहता है लेकिन ये अव्यवहारिक है क्योंकि हर दिन ईरान से होने वाले 25 लाख बैरल तेल के निर्यात की कहीं और से भरपाई मुमकिन नहीं है। सऊदी अरब ने इस कमी को पूरा करने की बात कही है लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सऊदी अरब और उसके सहयोगियों के पास इतनी क्षमता नहीं है। ईरान के तेल निर्यात में कमी के कारण इनकी कीमतें बढ़ेंगी और ईरान इस तरह से अपना नुकसान पूरा कर लेगा।

यह भी पढ़ें : अफगानिस्तान में अमेरिका बुरी तरह फेल

चीन के साथ कारोबारी जंग : चीन के साथ ट्रंप की कारोबारी जंग और रूस पर अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों के कारण ये देश ईरान के मसले पर अमेरिका का साथ नहीं देंगे। यूरोपीय संघ को भी अमेरिका इस मामले में बड़ा सहयोगी नहीं मान सकेगा क्योकि संघ ईरान के साथ हुए परमाणु डील को अपनी विदेश नीति की उपलब्धि मानता है। साथ ही यूरोपीय संघ में इस तरह के प्रतिबंधों को खुद की पहचान और स्वतंत्रता के लिए खतरा मानने की धारणा मजबूत हो रही है।

डॉलर का विकल्प : अमेरिकी प्रतिबंधों ने वैश्विक आर्थिक तंत्र में ऐतिहासिक बदलाव की जमीन तैयार कर दी है। कई दशकों से अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर हावी रहा है।अमेरिका के ईरान के साथ परमाणु डील से बाहर आने के कारण रूस, चीन, भारत और तुर्की जैसे देशों को ईरान के साथ अपनी मुद्रा में व्यापार करने को बढ़ावा मिला है। अगर यूरोपीय संघ ने भी यूरो में कारोबार शुरू कर दिया तो दूसरे देश भी यूरो को अपना लेंगे।

अमेरिका का एकतरफा रुख : परमाणु डील पर अमेरिका के अलावा जिन 5 देशों ने दस्तखत किए वे उसे अमेरिका के एकपक्षीय रुख को चुनौती देने का एक जरिया भी मानते हैं। 6 देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक करार को अमेरिका ने एकतरफा कार्रवाई कर तोड़ दिया। अब वह इसे लागू करने वाले देशों को सजा देने की कोशिश में है। अमेरिका की हर कार्रवाई इस धारणा को मजबूत करेगी और उसका विरोध करने के लिए इस करार को बचाने की हर कोशिश होगी।

क्षेत्रीय राजनीति और जमीनी सच्चाई : जापान और यूरोपीय संघ डील के पक्ष में हैं। सऊदी अरब, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात भले ही ट्रंप के फैसले के साथ हैं लेकिन कई देश और इलाके की जमीनी सच्चाई इसके खिलाफ है। तुर्की, ओमान और इराक जैसे देश करार चाहते हैं। सीरिया में रूसी सहयोग से असद गृहयुद्ध जीत गए हैं, अफगानिस्तान में अमेरिका नाकाम है और सऊदी अरब हूथी विद्रोहियों को नहीं हरा पाया है। यह सब ईरान की प्रतिबंधों से लड़ाई आसान कर देगा।



seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

Next Story