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Iran: ईरान में एक और प्रदर्शनकारी को सरेआम फांसी
Iran: मजीदरेज़ा रहनवरद को उत्तरपूर्वी शहर मशहद में ‘भगवान के खिलाफ युद्ध छेड़ने’ का दोषी ठहराए जाने के बाद फांसी दे दी गई थी। यह एक ऐसा आरोप है जिसमें मौत की सजा होती है।
Iran Execution: ईरान में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सरकार का दमन लगातार जारी है और अब विरोध प्रदर्शन करने वालों को मौत की सजा दी जाने लगी है। इस क्रम में एक और प्रदर्शनकारी को सरेआम फंसी पर लटका दिया गया। एक हफ्ते से भी कम समय में यह दूसरी फांसी है। मजीदरेज़ा रहनवरद को उत्तरपूर्वी शहर मशहद में 'भगवान के खिलाफ युद्ध छेड़ने' का दोषी ठहराए जाने के बाद फांसी दे दी गई थी। यह एक ऐसा आरोप है जिसमें मौत की सजा होती है।
सरकार के करीबी मीडिया आउटलेट्स का कहना है कि 17 नवंबर को मशहद में विरोध प्रदर्शन के दौरान रहनवरद ने अर्धसैनिक बासिज बल के दो सदस्यों की चाकू मारकर हत्या कर दी, जिनकी पहचान दनियाल रज़ादेह और होसैन ज़ीनलज़ादेह के रूप में की गई थी। बताया गया है कि रहनवरद ने अपना अपराध कबूल किया था।
राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार किए गए कई लोगों की तरह रहनवरद को अपनी पसंद का वकील चुनने या खुद का बचाव करने का अधिकार नहीं था। नॉर्वे स्थित ईरान मानवाधिकार समूह के निदेशक महमूद अमीरी-मोघद्दाम ने एक बयान में कहा - गिरफ्तारी के 23 दिन बाद एक युवा प्रदर्शनकारी की सार्वजनिक फांसी, इस्लामी गणराज्य के नेताओं द्वारा किया गया एक और गंभीर अपराध है और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के लेवल में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है।
मजीदरेज़ा रहनवरद को घोर अनुचित प्रक्रिया और एक शो ट्रायल के बाद ज़बरदस्ती स्वीकारोक्ति के आधार पर मौत की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक के नेता इस तरह के अपराध कर रहे हैं क्योंकि उनको लोगों में डर फैलाना है।
रहनवरद के खिलाफ मामला मशहद रिवोल्यूशनरी कोर्ट में चलाया गया था। तेहरान में एक वकील ने 'ईरान वायर' को बताया कि क्रांतिकारी अदालतों के पास हत्या के मामलों से निपटने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, इसीलिए 'भगवान के खिलाफ युद्ध छेड़ने' का आरोप लगाया जाता है।
दंड प्रक्रिया कानून के अनुच्छेद 303 के अनुसार, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के खिलाफ अपराध, ईश्वर के खिलाफ युद्ध, भ्रष्टाचार, देशद्रोह, मिलीभगत, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना, नेतृत्व और अधिकारियों का अपमान, हथियारों की तस्करी, नशीले पदार्थों और मन:प्रभावी पदार्थों की तस्करी जैसे मामलों की जांच क्रांतिकारी अदालतों द्वारा की जाती है।
वकील ने कहा कि इस व्यक्ति के कबूलनामे से स्पष्ट है कि उसके पास कोई वकील नहीं था, इस व्यक्ति ने अपना बचाव बिल्कुल नहीं किया और सजा में कोई कमी करने के लिए नहीं कहा। उसने कबूल किया और उसे सजा मिली।
ऐसे मामलों में अतीत को देखते हुए उदाहरणों से लगता है कि अभियुक्त इतने अधिक दबाव में था कि उसने उस स्थिति से बाहर निकलना पसंद किया, यहाँ तक कि मर कर भी।
न्यायपालिका से सम्बद्ध मिजान समाचार एजेंसी ने रहनवरद के हवाले से बताया कि वह "गलत रास्ते" पर चला गया था। उसने अदलत से कहा - "मैं स्वीकार करता हूं कि मैंने गलती की है और मैंने जो किया उसके खिलाफ जनता की नफरत की भावना को मैं समझता हूं। मेरे विचार और विश्वास गलत थे। मैंने चाकू अपने हाथ में छिपा लिया और समझ नहीं पाया कि क्या हुआ और अब मैं जल्द से जल्द सजा का इंतजार कर रहा हूं।"
मोहसेन शेखरी को कथित रूप से बासीज सदस्य को घायल करने के लिए भगवान के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी ठहराते हुए ८ दिसंबर को फांसी दी गयी थी। एक प्रदर्शनकारी को पहली बार फांसी पर चढ़ाया गया था।
ईरानवायर द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार, 16 सितंबर को नैतिकता पुलिस की हिरासत में महसा अमिनी की मौत के बाद देशव्यापी विरोध आंदोलन शुरू होने के बाद कुल 28 प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा दी गई है। अमिनी को कथित रूप से सिर पर दुपट्टा अनुचित तरीके से पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया जा रहा था।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर घातक कार्रवाई की है, जिसमें 63 बच्चों और 29 महिलाओं सहित कम से कम 458 लोग मारे गए हैं। कम से कम 18,000 लोगों को हिरासत में लिया गया है।