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Iran population: घटती आबादी से ईरान परेशान, अब जनसंख्या बढ़ाने की कवायद
Iran Population: मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) के मुताबिक देश की आबादी बढ़ाने के लिए ईरान (Iranka naya kanun) का नया कानून महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है।
Iran Population: ईरान (Iran) को अब अपनी जनसंख्या प्रोग्राम (Population program) को लेकर भारी चिंता होने लगी है। इसीलिए ईरान ने अपनी जनसंख्या नीति (Jansankhya niti) में बदलाव करते हुए अब जोर आबादी बढ़ाने पर लगा दिया है। इसी क्रम में अब ईरानी संसद ने एक नया बिल पास किया है जिसके तहत फैमिली प्लानिंग कार्यक्रमों को बैन कर दिया गया है, गर्भ-निरोधकों पर पाबन्दी लगा दी गयी है और गर्भपात नियमों को और भी सख्त कर दिया गया है। साथ ही ज्यादा बच्चे पैदा करने पर इंसेंटिव देने की घोषणा की गयी है।
महिलाओं की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य आवश्यकताओं का उल्लंघन करता है
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) के मुताबिक देश की आबादी बढ़ाने के लिए ईरान (Iranka naya kanun) का नया कानून महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है। इस समूह ने कहा है कि कानून ईरानी महिलाओं की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य आवश्यकताओं का उल्लंघन करता है। ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने मांग की है कि ईरान बिना किसी देरी के नए कानून को निरस्त करे और इसके उन सभी प्रावधानों को हटा दे, जिससे ईरानी महिलाओं के मौलिक अधिकारों का और उल्लंघन हो सकता है। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान (islamic republic of iran) में नए कानून को 1 नवंबर को शूरा गार्जियन नामक एक राष्ट्रीय निकाय द्वारा अनुमोदित किया गया था। इस कानून को 'देश की आबादी और सहायक परिवारों में युवाओं के अनुपात में वृद्धि' के रूप में करार दिया गया है। ये कानून पुरुषों और महिलाओं की नसबंदी (Mahilaon ki nasbandi) और ईरानी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में गर्भ निरोधकों के मुफ्त वितरण को प्रतिबंधित करता है। अगर गर्भावस्था (Pregnant women) की स्थिति में किसी महिला के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होने का जोखिम हो तो इसमें छूट है। कानून वर्तमान में सात साल के लिए प्रभावी है और ईरान ने पहले से ही गर्भपात और गर्भ निरोधकों तक पहुंच पर प्रतिबंध लगा रखा है।
इस कानून को ईरानी (Iran sansad) की संसद ने इसी साल 16 मार्च को गार्जियन काउंसिल द्वारा अनुमोदित किए जाने से पहले पारित किया था। जैसे ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा और देश के आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा, तबसे कानून लागू हो जाएगा। इस महीने के अंत में ऐसा होने की संभावना है।ईरान में अभी प्रेगनेंसी के पहले चार महीनों के दौरान गर्भपात कानूनी रूप से वैध है। लेकिन ये तभी किया जा सकता है जब कम से कम तीन डाक्टर इस बात पर एकमत हों कि प्रेगनेंसी से महिला के जीवन को ख़तरा है।
घट रही जनसंख्या
90 के दशक की शुरुआत में ईरान ने जनसँख्या नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किये थे क्योंकि ऐसी चिंता थी किदेश की आबादी बहुत जल्दी बढ़ रही है। दरअसल, 1979 की इस्लामिक क्रांति के एक दशक के भीतर ईरान की आबादी दोगुनी हो गयी थी। 2016 की गिनती के अनुसार ईरान की जनसंख्या 7 करोड़ 99 लाख थी जो 1956 की तुलना में चार गुना थी। 1976 से 1986 के बीच सालाना जनसंख्या वृद्धि करीब 4 फीसदी हो गयी थी लेकिन प्रजनन लेवल घटने के चलते 2011 से 2016 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर मात्र 1.2 फीसदी रह गयी।
ईरान की आबादी 8.5 करोड़
अध्ययनों के अनुसार, ईरान की जनसंख्या ग्रोथ की दर धीमी होती जायेगी और 2050 में 10 पर स्थिर हो जायेगी। 2012 में देश की आधी जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु वर्ग की थी। अब 2021 में ईरान की आबादी 8.5 करोड़ है। ह्यूमन राइट्स वॉच में ईरान पर एक वरिष्ठ शोधकर्ता तारा सहपहरी फर कहती हैं कि जनसंख्या वृद्धि कानून ईरान की आधी आबादी को स्वास्थ्य, बुनियादी अधिकार और गरिमा से वंचित करता है। वह महिलाओं को बुनियादी प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल और आवश्यक जानकारी तक पहुंच से भी रोकता है।
ज्यादा बच्चों पर मिलेगा लाभ
ईरान में इस नए कानून के साथ बच्चों वाले परिवारों को कई नए लाभों का वादा किया गया है। उदाहरण के लिए गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए रोजगार लाभ में वृद्धि की गई है। लेकिन इस तथ्य का कोई समाधान नहीं निकला है कि ईरानी महिलाओं को घरेलू नौकरी बाजार का व्यावहारिक हिस्सा बनने से रोक दिया गया है और रोजगार के मामले में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव समाप्त नहीं हुआ है।