इराक में खड़ी फसल पर आईएस का कहर

seema
Published on: 14 Jun 2019 10:15 AM GMT
इराक में खड़ी फसल पर आईएस का कहर
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इराक में खड़ी फसल पर आईएस का कहर

बगदाद: एक महीने के भीतर उत्तरी इराक में खेतों में आग लगने के 236 मामले सामने आ चुके हैं। आग के कारण 7000 फुटबॉल मैदानों जितने बड़े इलाके के खेत राख से भर गए और 30 दिन के भीतर 5,183 हेक्टेयर पर खड़ी फलसें राख के ढेर में तब्दील हो गईं। उत्तरी इराक के चार प्रांतों में ये घटनाएं हुई हैं। इन प्रांतों में अब भी कुछ हद तक इस्लामिक स्टेट (आईएस) का दखल और कंट्रोल है। छुपे जिहादी अब भी वहां लोगों को निशाना बनाते रहते हैं।

2017 के आखिर में इराक में इस्लामिक स्टेट का पतन शुरू हुआ लेकिन उसके बाद से आतंकी गुट लगातार गुरिल्ला हमले की रणनीति अपना रहा है। खेतों में आगजनी की जिम्मेदारी भी इस्लामिक स्टेट ने ली है। उसने दावा किया है कि उसके लड़ाकों ने किर्कुक, निनेवेह, सालाहाद्दीन और दियाला प्रांत में हजारों हेक्टर जमीन को बर्बाद किया है। आईएस के मुताबिक यह जमीन 'काफिरों' के कब्जे में थी।

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अधिकारियों ने कहा है कि आगजनी के कुछ मामलों के लिए वे भी आईएस को जिम्मेदार मानते हैं। किर्कुक के एक अधिकारी के मुताबिक शरिया कानून के तहत इस्लामिक स्टेट ने टैक्स भी लगाया था। किसानों द्वारा जकात (टैक्स) देने से इनकार करने पर आईएस के लड़ाकों ने खेतों में आग लगाई। हमलावर मोटरसाइकिलों से आए और आग लगाने लगे। उन्होंने स्थानीय लोगों और दमकल कर्मचारियों को भगाने के लिए वहां विस्फोटक भी लगाए। किर्कुक प्रांत में बारूदी सुरंग के ऐसे ही एक धमाके में कम से कम पांच लोग मारे गए। हालांकि विशेषज्ञ आगजनी के लिए आईएस लड़ाकों को पूरी तरह जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे हैं। मई और जून में उत्तरी इराक में भीषण गर्मी पड़ती है। इस दौरान तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक गया। उनका मानना है कि गर्मी ने फसल को पका कर सुखा दिया और सिगरेट जैसी चीजों ने आग भड़का दी।

कुछ घटनाएं आम तौर पर कबीलों के बीच होने वाले जमीनी झगड़ों का नतीजा भी बताई जाती हैं। किर्कुक प्रांत को लेकर इराक की संघीय सरकार और स्वायत्त कुर्द क्षेत्रीय प्रशासन के बीच भी विवाद है जिस कारण वहां अरब, कुर्द और तुर्कमान लोगों के बीच हिंसा होती रहती है। निनेवेह प्रांत में इसी दौरान 199 आग के मामले सामने आए। प्रांत की राजधानी मोसुल में 2014 में इस्लामिक स्टेट ने अपना हेडक्वार्टर बनाया था। यहीं हजारों यजीदियों का नरसंहार भी किया गया। फसल खाक होने से सैकड़ों किसान बर्बाद हो चुके हैं। कई किसानों की उम्मीद थी कि अच्छी फसल बेच कर वे अपना कर्ज उतार पाएंगे। दो लाख हेक्टेयर जमीन पर खेती करने वाले प्रांत किर्कुक में हर साल औसतन 6,50,000 टन अनाज पैदा होता था। अधिकारियों के मुताबिक इस साल अच्छी बारिश की वजह से बढिय़ा फसल की उम्मीद थी लेकिन आग ने काफी कुछ बर्बाद कर दिया है।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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