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कुर्द मुस्लिमों के अच्छे दिन! इराकी कुर्दिस्तान में जनमत संग्रह शुरू

Rishi
Published on: 25 Sep 2017 8:45 AM GMT
कुर्द मुस्लिमों के अच्छे दिन! इराकी कुर्दिस्तान में जनमत संग्रह शुरू
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बगदाद : इराकी कुर्दो ने सोमवार को विवादास्पद स्वंतत्रता जनमत संग्रह के लिए हो रहे मतदान में वोट डालना शुरू कर दिया है। इस चुनाव के मद्देनजर बगदाद में सरकार और देश के सबसे बड़े जातीय समूह के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, मतदान सोमवार सुबह छह बजे शुरू हुआ और यह शाम छह बजे तक चलेगा। मतदान का पहला परिणाम चुनाव समाप्त होने के 72 घंटे के अंदर आएगा।

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मतदाताओं को क्षेत्र को स्वतंत्र राज्य बनाने के लिए पूछे गए प्रश्न का 'हां' या 'ना' में जवाब देना है। प्रश्न को कुर्दिश, अरबी, तुर्कमेन और असीरियन में अनुवादित किया गया है। उत्तरी इरान में अर्धस्वायत क्षेत्र की प्रशासनिक कमान संभाल रहे कुर्दिस्तान रिजनल गवर्मेट (केआरजी) ने कहा कि जनमत संग्रह हमें इराक से स्वतंत्र होने के लिए बहुमत दिलाएगा।

मतदान पेटी को किरकुक शहर के साथ इराकी कुर्दिश क्षेत्र में सभी जगह पर मत डालने के लिए लगाया है। किरकुक शहर पर केआरजी और इराकी सरकार दोनों दावा करते हैं। इरान ने रविवार को केआरजी की ओर से जनमत संग्रह की घोषणा की कई बार निंदा करते हुए स्वायत कुर्दिस्तान क्षेत्र के लिए अपने वायु क्षेत्र को बंद कर दिया था।

सीएनएन की रपट के अनुसार, ईरान और तुर्की दोनों देशों में कुर्दिश अल्पसंख्यों की काफी संख्या है और इराक में जनमत संग्रह के लिए हो रहे मतदान के बाद दोनों देश भी अपने देशों में कुर्दिशों द्वारा अभियान चलाने को लेकर चिंतित हैं।

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तुर्की के विदेश मंत्री ने एक बयान जारी कर इस जनमत संग्रह को अवैध, निर्थक और अमान्य बताया।

मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि "कट्टरपंथी तत्व और आतंकवादी" इस स्थिति का फायदा हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए उठा सकते हैं, इसलिए हमें इससे बचने के लिए एहतियातन कानूनी सतर्कता बरतनी पड़ेगी।

कुर्दिश प्रवासियों ने 23 सितम्बर को जनमत संग्रह के लिए इलेक्ट्रोनिक मतदान शुरू किए थे। चुनाव आयोग के अनुसार, लगभग 150,000 कुर्द विदेशों से मतदान करेंगे।

इराकी कुर्दिस्तान को 1990 के शुरूआत से स्वायत्ता का अधिकार मिला हुआ है जिसके आधार पर 2005 में इराक को संघीय राज्य का दर्जा दिया गया।

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इराक में क्या हुआ कुर्दों के साथ?

इराक की जनसंख्या में तक़रीबन 20% हिस्सा हैं कुर्दों का है। 1958 में देश में नया संविधान बना, तब इस समुदाय की राष्ट्रीयता को मान मिला। इसके बाद 1970 इराकी सरकार ने कुर्दों की जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया।

1988 में तानाशाह सद्दाम हुसैन ने कुर्दों के खिलाफ जहरीली गैसों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जिसमें हजारों आदमी औरत और बच्चों की मौत हुई।

1991 के खाड़ी युद्ध में इराक की हार के बाद कुर्दों को देश के अंदर कुछ अच्छा माहौल मिला। 2003 में कुर्दों ने सद्दाम के खिलाफ अमेरिका की मदद की। कुर्दिश पार्लियामेंट बनाई गई। 2005 से ही कुर्दिस्तान के प्रेसिडेंट मसूद बरज़ानी हैं।

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लेकिन रूस इस पर चुप

डायचे वैले के मुताबिक इराक में कुर्दो के जनमत संग्रह ने मध्यपूर्व के लोगों को सकते में डाल रखा है। इराक, तुर्की, अमेरिका और दुनिया के तमाम देश आजादी के मुद्दे पर मतदान को टालने के लिए कह रहे हैं लेकिन रूस इस पर चुप है।

कुर्दों से तेल और गैस के लिए रूस ने चार अरब डॉलर से ज्यादा के करार किए हैं और वह उनके लिए धन जुटाने का सबसे बड़ा जरिया बन कर उभरा है।

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अमेरिका और ब्रिटेन ने दी चेतावनी

बीबीसी के मुताबिक इराक़ी कुर्दिस्तान के राष्ट्रपति ने संकेत दिए हैं कि यदि इस महीने होने वाले जनमतसंग्रह के नतीजे इराक़ सरकार ने स्वीकार नहीं किए तो वो भविष्य के कुर्दिस्तान की सीमाएं तय कर लेंगे। मसूद बरज़ानी ने बीबीसी से कहा है कि यदि कुर्द अलग देश बनाने के लिए मतदान करते हैं तो वो केंद्रीय सरकार के साथ समझौता चाहते हैं।

बरज़ानी ने कहा, "ये पहला क़दम है। ये इतिहास में पहली बार होगा जब कुर्द लोग अपना भविष्य स्वतंत्र होकर तय करेंगे।"

उन्होंने कहा, "जनमतसंग्रह के बाद हम बग़दाद के साथ सीमाओं, तेल संपदा और पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत करेंगे।"

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उन्होंने कहा, "हम ये क़दम उठाएंगे लेकिन अगर वो इसे स्वीकार नहीं करते हैं तो फिर ये अलग बात होगी।"

अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र ने भी इस जनमत संग्रह से आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) के खिलाफ अभियान को नुकसान पहुंचने के लिए आरकेजी को चेतावनी दी है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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