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खून के थक्के जमाकर फेफड़ों को ब्लॉक कर देता है कोरोना, नए अध्ययन में हुआ खुलासा

इस वायरस का एक और खतरा यह सामने आया है कि यह फेफड़ों में करीब 100 छोटे-छोटे ब्लॉकेज बना देता है जिससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है और मरीज की मौत हो जाती है।

Shivani Awasthi
Published on: 2 May 2020 10:45 AM IST
खून के थक्के जमाकर फेफड़ों को ब्लॉक कर देता है कोरोना, नए अध्ययन में हुआ खुलासा
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अंशुमान तिवारी

डबलिन। कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर दुनिया भर में तरह-तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं। इन अध्ययनों में रोज नए तथ्यों का खुलासा हो रहा है। अब आयरलैंड में हुए एक अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना वायरस शरीर में खून के थक्के जमाकर फेफड़ों को ब्लॉक कर देता है। इस अध्ययन को करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि इस वायरस का एक और खतरा यह सामने आया है कि यह फेफड़ों में करीब 100 छोटे-छोटे ब्लॉकेज बना देता है जिससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है और मरीज की मौत हो जाती है।

डबलिन के सेंट जेम्स हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने कोरोना से पीड़ित 83 गंभीर मरीजों पर अध्ययन के बाद नए खुलासे किए हैं। शोधकर्ता प्रोफेसर जेम्स ओ डोनेल का कहना है कि कोरोना वायरस एक खास तरह के ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर यानी खून के थक्के जमाने की वजह बनता है। जो सीधे तौर पर सबसे पहले फेफड़ों पर ही हमला करता है।

83 गंभीर मरीजों पर किया गया अध्ययन

ब्रिटिश जर्नल आफ हिमेटोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जिन 83 गंभीर मरीजों पर यह अध्ययन किया गया उनमें दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोग थे। इनमें 81 फ़ीसदी यूरोपियन, 12 फ़ीसदी एशियाई, 6 फीसदी अफ्रीकन और एक फीसदी स्पेनिश मरीज थे। मरीजों की औसत उम्र 64 साल थी और इनमें से करीब 80 फ़ीसदी पहले से ही किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे थे। कोरोना के हमले के बाद में 60 फ़ीसदी रिकवर हुए थे और 15.7 फ़ीसदी मरीजों ने दम तोड़ दिया।

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अध्ययन में अपनाई गई यह तकनीक

शोधकर्ताओं ने डी-डाइमर नामक प्रोटीन के स्तर को चेक करके यह पता लगाने की कोशिश की कि मरीजों में रक्त के थक्के कितनी जल्दी जानते हैं। डी डाइमर एक ऐसा प्रोटीन है जो शरीर में ज्यादा होने पर खून का थक्का जमने का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्च में शामिल मरीजों में डी डायमर सामान्य से अधिक मात्रा में मिला था। विशेषज्ञों का कहना है कि मरीजों के फेफड़ों के असामान्य ब्लडकॉटिंग के मामले दिखे जो छोटे-छोटे थक्के जमने की वजह से बने थे।

थक्कों को समझने की हो रही कोशिश

शोधकर्ताओं का कहना है कि निमोनिया भी फेफड़ों को प्रभावित करता है,लेकिन कोरोना के मरीजों में फेफड़ों में जैसा संक्रमण दिख रहा है, वैसा दूसरे संक्रमण में अभी तक नहीं देखा गया है। फेफड़ों में जमने वाले इन छोटे-छोटे थक्कों को समझने की कोशिश की जा रही है ताकि मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सके। हाई रिस्क जोन वाले मरीजों में खून के थक्के जमने के मामले ज्यादा देखे गए हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन के लोगों में आनुवांशिक भिन्नताओं के कारण उनमें रक्त के थक्के जमने के मामले काफी कम पाए जाते हैं। यही कारण है कि चीन के मुकाबले यूरोप और अमेरिका में कोरोना वायरस ने गंभीर रूप ले लिया है।

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अमेरिकी विशेषज्ञों की भी यही राय

इससे पहले अमेरिकी विशेषज्ञों ने भी एक रिपोर्ट में कहा था कि कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की सर्वाधिक मौत की वजह शरीर में खून के थक्के जमना है। एक अन्य रिसर्च में भी यह बात सामने आई है कि ऐसे मरीजों में अनियंत्रित रक्त के थक्के हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले भी बढ़ा रहे हैं।

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Shivani Awasthi

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